द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1849 ई.)
लाहौर की सन्धि की अपमानजनक शर्तों को स्वतंत्रता प्रेमी सिक्ख सहन नहीं कर सकते थे। सर हेनरी लारेन्स नेरानी जिन्दाँ पर कुछ आरोप लगाकर उसे कैद कर बनारस भेज दिया। समूचे पंजाब के सिक्ख सरदार अपनी महारानी के अपमान के विरूद्ध उठ खड़े हुए। मुल्तान के गवर्नन मूलराज ने विद्रोह कर दिया। विद्रोह के दमन के लिए भेजा गया शेर सिंह भी उनके साथ मिल गए। धीरे-धीरे विद्रोह पंजाब में फैलने लगया। यदि गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी (1848-56 ई.) चाहता, तो इस समय विद्रोह को दबा सकता था, किन्तु उसने विद्रोह को पंजाब में फैलने दिया, ताकि इसकी आड़ में पंजाब का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय हो सके।
लार्ड डलहौडी ने 10 अक्टूबर, 1848 ई. को सिक्खों के विरूद्ध संघर्ष की घोषणा कर दी। सिक्खों ने शेर सिंह के नेतृत्व में युद्ध किया। 13 जनवरी, 1849 ई. को चिलियांवाला नामक स्थान पर सिक्खों ने ब्रितानियों को परास्त किया। अन्त में ब्रिटिश सेनापति सर ह्जू गफ ने 21 फरवरी, 1849 ई. को गुजरात (चिनाब नदी के पास का कस्बा) नामक स्थान पर सिक्खों को निर्णायक रूप से परास्त किया। गुजरात का युद्ध भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण युद्धों में से एक था। इस युद्ध में सिक्ख बड़ी बहादुरी से लड़े, किन्तु अपने सीमित साधनों के कारण वे परास्त हुए। इस युद्ध में जहाँ सिक्खों के पास मात्र 21 तोपों तथा 61,500 सैनिक थे, वहीं ब्रितानियों के पास 100 तोपें तथा 2.50 लाख सैनिक थे। 13 मार्च, 1849 ई. को सिक्खों ने आत्मसमर्पण
इस युद्ध के पश्चात 1849 ई. में पंजाब का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर दिया गया। अब समूचा भारत ब्रितानियों के आधिपत्य में आ गया था।
सिक्ख सेना को दुर्बल बना दिया गया। बड़े-बड़े सिक्ख सरदारों की सम्पत्ति छीनकर ब्रितानियों ने अपने विश्वासपात्र सिक्खों में बांट दी।
दिलीप सिंह को ईसाई बनाकर 1860 में अपनी माता के साथ इंग्लैण्ड भेज दिया गया। यद्यपि बाद में दिलीप सिंह ने पुन: सिक्ख धर्म ग्रहण कर लिया था, किन्तु फिर भी उन्हें पुन: भारत नहीं आने दिया गया।
लाहौर में ब्रिटिश सेना की छावनी स्थापित की गई।
पंजाब में प्रशासनिक सुधार किए गए तथा सर हेनरी लारेन्स के स्थान पर सर जॉन लारेन्स को पंजाब का चीफ कमीश्नर बनाया गया, जो बडे सख्त थे। उन्होंने सिक्ख दरबारियों से कहा कि क्या आप कलम का शान चाहते हैं अथवा तलवार का, इन दोनों में से एक को चुन लीजिए (Will you be governed by the pen, or sword, choose)।
इस प्रकार पंजाब के ब्रिटिश साम्राज्य में विलय के साथ ही आंग्ल-सिक्ख संघर्ष समाप्त हो गया। अब समूचा भारतवर्ष ब्रितानियों के प्रभुत्व में आ चुका था।
Dvitiya Aangal - Sikkh Yudhh 1849 Ee Lahore Ki Sandhi ApmanJanak Sharton Ko Swatantrata Premi Sahan Nahi Kar Sakte The Sar Henry Laurence नेरानी Jindan Par Kuch AaRop Lagakar Use Kaid Banaras Bhej Diya Samooche Punjab Ke Sardar Apni MahaRani Apman Virooddh Uth Khade Hue Multan गवर्नन Moolraj ne Vidroh Daman Liye Bheja Gaya Sher Singh Bhi Unke Sath Mil Gaye Dhire Me Failne लगया Yadi Governer General Lord Dalhauji 1848 56 Chah