आधुनिक भारत का इतिहास-आंग्ल-सिक्ख संघर्ष Gk ebooks


Rajesh Kumar at  2018-08-27  at 09:30 PM
विषय सूची: History of Modern India >> 1857 से पहले का इतिहास (1600-1858 ई.तक) >>> आंग्ल-सिक्ख संघर्ष

आंग्ल-सिक्ख संघर्ष

महाराज रणजीत सिंह ने जुलाई, 1799 ई. में लाहौर पर अधिकार कर लिया। उन्होंने 1805 ई. में अमृतसर पर अधिकार कर लिया। रणजीत सिंह ने 1806 तथा 1807 ई. में दो बार पटियाला, नाभा एवं जीद पर आक्रमण किया। ये राज्य ब्रिटिश संरक्षण में चले गए। 1809 ई. में अमृतसर में ब्रितानियों तथा रणजीत सिंह के मध्य एक सन्धि हो गए। इसके अनुसार रणजीत सिंह ने सतलज एवं यमुना के बीच की सिक्ख रियासतों पर ब्रितानियों का प्रभाव मानते हुए उन पर आक्रमण करना स्वीकार किया। वहीं ब्रितानियों ने सतलज तथा सिन्धु नदी के बीच के प्रदेश पर रणजीतसिंह का प्रभाव मानते हुए उनमें हस्तक्षेप न करना स्वीकार कर लिया।

रणजीत सिंह ने झेलम से सिन्धु नदी के मध्य अनेक सिक्ख राज्यों पर अधिकार कर लिया। उन्होंने कसूर, झंग, कांगड़ा, अटक, मुल्तान, कश्मीर, पेशावर तथा लद्दाख आदि राज्यों पर विजय प्राप्त की। उन्होंने 1820 में डेरा गाजी खाँ को तथा 1822 ई. में डेरा इस्माइल खाँ को परास्त किया।

27 जून, 1839 ई. को रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई। अपनी मृत्यु के समय वह एक विशाल साम्राज्य छोड़कर गए थे, जो उत्तर में लद्दाख व इस्कार्टु तक, उत्तर-पश्चिम में सुलेमान पहाड़ियों तक, दक्षिण-पूर्व में सतलज नदी तक एवं दक्षिण पश्चिम में शिकारपुर-सिंध तक विस्तृत था। रणजीत सिंह ने ब्रितानियों से सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखे। नाभा, पटियाला व जींद के मामले में तथा तत्पश्चात् सिन्ध के मामले (1831-31) एवं शिकारपुर के मामले (1836) में उन्होंने धैर्य से काम लेकर अनावश्यक संघर्ष को टाला। लार्ड आकलैण्ड ने दिसम्बर, 1838 ई. में पंजाब की यात्रा की तथा रणजीत सिंह से मुलाकात की। उन्होंने दरबार में जाकर ब्रितानियों तथा सिक्खों की स्थायी मित्रता की प्रार्थना की। इसके बाद लाहौर में रणजीत सिंह से एक सन्धि की गई, जिसके द्वारा ब्रितानियों ने अफगानिस्तान के मामले में रणजीत सिंह का सहयोग प्राप्त कर लिया। इस समय ब्रितानियों का पंजाब एवं सिन्ध को छोड़कर सम्पूर्ण भारत पर अधिकार था एवं वे बहुत शक्तिशाली थे। रणजीत सिंह जानते थे कि अगर ब्रितानियों से संघर्ष किया गया, तो उसका राज्य नष्ट हो जाएगा। अतः: उन्होंने ब्रितानियों से सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखे। वस्तुतः: ब्रितानियों के नियंत्रण से मुक्त एक स्वतंत्र सिक्ख राज्य की स्थापना करना रणजीत सिंह की एक महान सफलता थी।

रणजीत सिंह ने धार्मिक भेद-भावों के बिना सभी जातियों के व्यक्तियों को योग्यतानुसार उच्च पदों पर नियुक्त किया। उनके प्रधानमंत्री डोगरा राजपूत राजा ध्यान सिंह एवं विदेश मंत्री फकीर अजीजुद्दीन थे। वस्तुतः: रणजीत सिंह एक महान् एवं दूरदर्शी शासक थे, जिनकी सहिष्णुता की भावना की सभी इतिहासकारों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी अयोग्य एवं निर्बल थे, अतः: उनकी मृत्यु के 10 वर्षों बाद ही उनके साम्राज्य पर ब्रितानियों का अधिकार हो गया।



सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख
भारत का संवैधानिक विकास ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना
यूरोपियन का भारत में आगमन
पुर्तगालियों का भारत आगमन
भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद का कठोरतम मुकाबला
इंग्लैण्ड फ्रांस एवं हालैण्ड के व्यापारियों का भारत आगमन
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की नीति में परिवर्तन
यूरोपियन व्यापारियों का आपसी संघर्ष
प्लासी तथा बक्सर के युद्ध के प्रभाव
बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना
द्वैध शासन के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट के पारित होने के कारण
वारेन हेस्टिंग्स द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण
ब्रिटिश साम्राज्य का प्रसार
लार्ड वेलेजली की सहायक संधि की नीति
आंग्ल-मैसूर संघर्ष
आंग्ला-मराठा संघर्ष
मराठों की पराजय के प्रभाव
आंग्ल-सिक्ख संघर्ष
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध
लाहौर की सन्धि
द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध 1849 ई.
पूर्वी भारत तथा बंगाल में विद्रोह
पश्चिमी भारत में विद्रोह
दक्षिणी भारत में विद्रोह
वहाबी आन्दोलन
1857 का सैनिक विद्रोह
बंगाल में द्वैध शासन व्यवस्था
द्वैध शासन या दोहरा शासन व्यवस्था का विकास
द्वैध शासन व्यवस्था की कार्यप्रणाली
द्वैध शासन के लाभ
द्वैध शासन व्यवस्था के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट (1773 ई.)
रेग्यूलेटिंग एक्ट की मुख्य धाराएं उपबन्ध
रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट का महत्व
बंगाल न्यायालय एक्ट
डुण्डास का इण्डियन बिल (अप्रैल 1783)
फॉक्स का इण्डिया बिल (नवम्बर, 1783)
पिट्स इंडिया एक्ट (1784 ई.)
पिट्स इण्डिया एक्ट के पास होने के कारण
पिट्स इण्डिया एक्ट की प्रमुख धाराएं अथवा उपबन्ध
पिट्स इण्डिया एक्ट का महत्व
द्वैध शासन व्यवस्था की समीक्षा
1793 से 1854 ई. तक के चार्टर एक्ट्स
1793 का चार्टर एक्ट
1813 का चार्टर एक्ट
1833 का चार्टर एक्ट
1853 का चार्टर एक्ट

Aangal - Sikkh Sangharsh MahaRaj Rannjeet Singh ne July 1799 Ee Me Lahore Par Adhikar Kar Liya Unhonne 1805 Amritsar 1806 Tatha 1807 Do Baar Patiyala nabha Aivam जीद Aakramann Kiya Ye Rajya British Sanrakhshan Chale Gaye 1809 Britanian Ke Madhy Ek Sandhi Ho Iske Anusaar Satluj Yamuna Beech Ki Riyasaton Ka Prabhav Mante Hue Un Karna Sweekar Wahin Sindhu Nadi Pradesh Rannjeetsingh Unme Hastakshep n Jhelam Se Anek Rajyon Kasoor


Labels,,,