आधुनिक भारत का इतिहास-बंगाल में द्वैध शासन व्यवस्था

Bangal Me Dvaidh Shashan Vyavastha

बंगाल में द्वैध शासन व्यवस्था

17वीं शताब्दी तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत में अपनी व्यापारिक स्थिति दृढ़ कर चुकी थी। इसके पश्चात उसने भारत के राजनीतिक मामलों में विशेष रूचि लेनी आरम्भ कर दी। उसके कर्मचारियों की इस नीति के कारण बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला तथा कम्पनी के आपसी सम्बन्ध बहुत कटु हो गए। इसका परिणाम यह हुआ कि दोनों पक्षों के बीच 1757 ई. में प्लासी का युद्ध हुआ। इस युद्ध को क्लाइव ने बिना किसी विशेष प्रयास के षड्यंत्र द्वारा जीत लिया। इस युद्ध में सिराजुद्दौला की पराजय होने के कारण अंग्रेज बंगाल के कर्ता-धर्ता बन गए। इसके बाद उन्होंने अपनी इच्छानुसार बंगाल का नवाब बनाने तथा बदलने का कार्य आरम्भ किया। सिराजुद्दौला के पश्चात उनके सेनापति मीर जाफर ने बंगाल का शासक बनाया गया, जिन्होंने ब्रितानियों के हितों की पूर्ति हेतु अपने स्वामी के साथ विश्वासघात किया था। उन्होंने कलकत्ता पर कम्पनी की प्रभुसत्ता को स्वीकार कर लिया और कम्पनी को सेना रखने का अधिकार दे दिया। इसके अतिरिक्त नवाब बनने के अवसर पर चौबीस परगने भी ब्रितानियों को दे दिए। तीन वर्ष पश्चात ब्रितानियों ने मीर जाफर को गद्दी से हटा दिया और उनके स्थान पर उनके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नवाब नियुक्त कर दिया, ताकि उन्हें अधिक से अधिक धन प्राप्त हो सके। मीर कासिम ने कम्पनी को बर्दवान, मिदनापुर और चिटगाँव के जिले तथा अपार धनराशि दी।

मीर कासिम बहुत योग्य व्यक्ति थे। वह नाम मात्र के नवाब बनकर नहीं रहना चाहते थे। अतः: उन्होंने अपनी स्थिति को दृढ़ करने के लिए कुछ प्रशासनिक कदम उठाये, जिसके कारण उनके तथा ब्रितानियों के आपसी सम्बन्ध बहुत बिगड़ गए। परिणामस्वरूप, 1764 ई. में बक्सर नामक स्थान पर युद्ध हुआ। इस युद्ध में ब्रितानियों ने तीन प्रमुख शक्तियों-मुगल सम्राट शाह आलम, बंगाल ने नवाब मीर कासिम और अवध के नवाब शुजाउद्दौला को पराजित किया था। इससे सम्पूर्ण भारत में ब्रितानियों की शक्ति की धाक जम गई।

इन असाधारण घटनाओं की सूचना पाकर कम्पनी के संचालकों को भारत के सम्बन्ध में बहुत चिन्ता हुई। अतः: उन्होंने लार्ड क्लाइव को दुबारा बंगाल का गवर्नर बनाकर भारत भेजा गया। क्लाइव ने भारत में पहुँचकर कम्पनी के असैनिक और सैनिक प्रशासन में अनेक सुधार किए। उन्होंने कर्मचारी वर्ग को निजी व्यापार करने तथा उपहार आदि लेने के लिए मना कर दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने अंग्रेज सैनिक अधिकारियों का भत्ता कम कर दिया तथा रिश्वत और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी आवश्यक कदम उठाये। इन प्रशासनिक सुधारों के अतिरिक्त लार्ड क्लाइव ने 12 अगस्त, 1765 ई. में मुगल सम्राट शाह आलम के साथ एक सन्धि की, जो इलाहाबाद की सन्धि कहलाती है। इस सन्धि के द्वारा बंगाल में दोहरी सरकार अथवा द्वैध शासन की स्थापना हुई।


सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख
भारत का संवैधानिक विकास ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना
यूरोपियन का भारत में आगमन
पुर्तगालियों का भारत आगमन
भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद का कठोरतम मुकाबला
इंग्लैण्ड फ्रांस एवं हालैण्ड के व्यापारियों का भारत आगमन
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की नीति में परिवर्तन
यूरोपियन व्यापारियों का आपसी संघर्ष
प्लासी तथा बक्सर के युद्ध के प्रभाव
बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना
द्वैध शासन के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट के पारित होने के कारण
वारेन हेस्टिंग्स द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण
ब्रिटिश साम्राज्य का प्रसार
लार्ड वेलेजली की सहायक संधि की नीति
आंग्ल-मैसूर संघर्ष
आंग्ला-मराठा संघर्ष
मराठों की पराजय के प्रभाव
आंग्ल-सिक्ख संघर्ष
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध
लाहौर की सन्धि
द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध 1849 ई.
पूर्वी भारत तथा बंगाल में विद्रोह
पश्चिमी भारत में विद्रोह
दक्षिणी भारत में विद्रोह
वहाबी आन्दोलन
1857 का सैनिक विद्रोह
बंगाल में द्वैध शासन व्यवस्था
द्वैध शासन या दोहरा शासन व्यवस्था का विकास
द्वैध शासन व्यवस्था की कार्यप्रणाली
द्वैध शासन के लाभ
द्वैध शासन व्यवस्था के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट (1773 ई.)
रेग्यूलेटिंग एक्ट की मुख्य धाराएं उपबन्ध
रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट का महत्व
बंगाल न्यायालय एक्ट
डुण्डास का इण्डियन बिल (अप्रैल 1783)
फॉक्स का इण्डिया बिल (नवम्बर, 1783)
पिट्स इंडिया एक्ट (1784 ई.)
पिट्स इण्डिया एक्ट के पास होने के कारण
पिट्स इण्डिया एक्ट की प्रमुख धाराएं अथवा उपबन्ध
पिट्स इण्डिया एक्ट का महत्व
द्वैध शासन व्यवस्था की समीक्षा
1793 से 1854 ई. तक के चार्टर एक्ट्स
1793 का चार्टर एक्ट
1813 का चार्टर एक्ट
1833 का चार्टर एक्ट
1853 का चार्टर एक्ट

Bangal, Me, Dvaidh, Shashan, Vyavastha, 17th, Satabdi, Tak, East, India, Company, Bhaarat, Apni, Vyaparik, Sthiti, Dridh, Kar, Chuki, Thi, Iske, Paschaat, Usane, Ke, RajNeetik, Mamlon, Vishesh, Ruchi, Leni, Aarambh, Dee, Uske, Karmchariyon, Ki, Is, Neeti, Karan, Nawab, Sirajudaula, Tatha, Aapsi, Sambandh, Bahut, Katu, Ho, Gaye, Iska, Parinnam, Yah, Hua, Dono, Pakshon, Beech, 1757, Ee, Plasi, Ka, Yudhh, Ko, Clive, ne, Bina, Kisi, Prayas, Shdyantra, Dwara, Jeet, Liya, Parajay, Hone, Angrej, Karta,