आधुनिक भारत का इतिहास-भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना

Bhaarat Me British Samrajy Ki Sthapana

भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना: बंगाल विजय

18वीं सदी में भारत का राजनीतिक अवसान होने लगा। औरंगजेब के अयोग्य उत्तराधिकारियों के कारण मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन होने लगा। पंजाब में सिक्खों, महाराष्ट्र में मराठों, हैदराबाद में नवाब तथा मैसूर में वहाँ के महाराज ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित किया। इन छोटे-छोटे राज्यों में भी परस्पर संघर्ष चलता रहता था। कूपलैण्ड ने लिखा है, हर जगह स्थानीय शक्तिशाली व्यक्ति जाति तथा वंश के सरदार, महत्वाकांक्षी व्यक्ति और शक्तिशाली सिपाही भूमि तथा शक्ति के लिए आपस में लड़ने लगे। कानूनी अनुशक्ति का नामों-निशान न रहा। हर जगह जिसकी लाठी, उसकी भैंस की स्थिति कायम हो गई। यूरोपियनों ने इसका जमकर लाभ उठाया। एक इतिहासकार के शब्दों में, भारत पर यूरोपीय जातियाँ ऐसी टूटी, जैसे मुर्दे पर गिद्ध टूटते हैं। यदि भारत के शासकों में दूरदर्शिता होती और यदि वे अपने मुसाहिबों तथा शराब के ऐसे गुलाम न होते, तो पश्चिम के व्यापारियों के पाँव अपने राज्य में न जमने देते। वे चूक गये, जिसका फल यह हुआ कि इन व्यापारी भेष में आए हुए मेहमानों ने घर पर कब्जा करने का प्रयत्न आरम्भ कर दिया।

ब्रिटिश साम्राज्यवाद की स्थापना बंगाल से प्रारम्भ हुई। ब्रितानियों ने 23 जून, 1757 ई. को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को परास्त किया। अब मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया। वह ब्रितानियों के हाथों की कठपुतली थी। इस प्रकार प्लासी के युद्ध से भारत में ब्रितानी सत्ता की नींव पड़ी। ब्रितानियों ने 1764 ई. में बंगाल के नवाब मीर कासिम तथा मुगल सम्राट शाह आलम को बक्सर के युद्ध में संयुक्त रूप से परास्त किया। 1765 ई. ब्रितानियों ने मुगल सम्राट शाह आलम के साथ संधी करके बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में दीवानी अधिकारी (सम्पत्ति के अभियोगों का निर्णय करने एवं भूमि कर एकत्रित करने सम्बन्धी अधिकार) प्राप्त कर लिय। शाह आलम को इलाहाबाद तथा कड़ा के जिले दिए गए तथा 26 लाख रूपये वार्षिक पेन्शन दे दी गई। डॉ. ईश्वरी प्रसाद ने लिखा है, दीवानी अधिकारों का इसलिए महत्व है कि शाह आलम अभी तक भारत का सम्राट माना जाता था। इसके द्वारा क्लाइव ने अपने अधिकारों को कानूनी रूप प्रदान कर दिया। पी.ई. रोबर्ट्स ने लिखा है, बंगाल पर दीवानी का प्रसिद्ध अधिकार कम्पनी द्वारा प्रादेशिक सत्ता की ओर प्रथम महान कदम था।


सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख
भारत का संवैधानिक विकास ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना
यूरोपियन का भारत में आगमन
पुर्तगालियों का भारत आगमन
भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद का कठोरतम मुकाबला
इंग्लैण्ड फ्रांस एवं हालैण्ड के व्यापारियों का भारत आगमन
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की नीति में परिवर्तन
यूरोपियन व्यापारियों का आपसी संघर्ष
प्लासी तथा बक्सर के युद्ध के प्रभाव
बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना
द्वैध शासन के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट के पारित होने के कारण
वारेन हेस्टिंग्स द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण
ब्रिटिश साम्राज्य का प्रसार
लार्ड वेलेजली की सहायक संधि की नीति
आंग्ल-मैसूर संघर्ष
आंग्ला-मराठा संघर्ष
मराठों की पराजय के प्रभाव
आंग्ल-सिक्ख संघर्ष
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध
लाहौर की सन्धि
द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध 1849 ई.
पूर्वी भारत तथा बंगाल में विद्रोह
पश्चिमी भारत में विद्रोह
दक्षिणी भारत में विद्रोह
वहाबी आन्दोलन
1857 का सैनिक विद्रोह
बंगाल में द्वैध शासन व्यवस्था
द्वैध शासन या दोहरा शासन व्यवस्था का विकास
द्वैध शासन व्यवस्था की कार्यप्रणाली
द्वैध शासन के लाभ
द्वैध शासन व्यवस्था के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट (1773 ई.)
रेग्यूलेटिंग एक्ट की मुख्य धाराएं उपबन्ध
रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट का महत्व
बंगाल न्यायालय एक्ट
डुण्डास का इण्डियन बिल (अप्रैल 1783)
फॉक्स का इण्डिया बिल (नवम्बर, 1783)
पिट्स इंडिया एक्ट (1784 ई.)
पिट्स इण्डिया एक्ट के पास होने के कारण
पिट्स इण्डिया एक्ट की प्रमुख धाराएं अथवा उपबन्ध
पिट्स इण्डिया एक्ट का महत्व
द्वैध शासन व्यवस्था की समीक्षा
1793 से 1854 ई. तक के चार्टर एक्ट्स
1793 का चार्टर एक्ट
1813 का चार्टर एक्ट
1833 का चार्टर एक्ट
1853 का चार्टर एक्ट

Bhaarat, Me, British, Samrajy, Ki, Sthapanaa, Bangal, Vijay, 18th, Sadee, Ka, RajNeetik, Awsaan, Hone, Laga, AuRangjeb, Ke, Ayogya, Uttaradhikariyon, Karan, Mugal, Teji, Se, Patan, Punjab, Sikkhon,, Maharashtra, MaRaathon, Hyedrabad, Nawab, Tatha, Masoor, Wahan, MahaRaj, ne, Apna, Swatantr, Rajya, Sthapit, Kiya, In, Chhote, -, Rajyon, Bhi, Paraspar, Sangharsh, Chalata, Rehta, Tha, KoopLand, Likha, Hai, Har, Jagah, Sthaniya, Shaktishali, Vyakti, Jati, Vansh, Sardar, Matvakankshi, Aur, Sipahi, Bhu