अनुच्छेद 17. “ अस्पृश्यता ” का अंत किया जाता है और उसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध किया जाता है। “ अस्पृश्यता ” से उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करना अपराध होगा जो विधि के अनुसार दंडनीय होगा।