भारत का संविधान-संवैधानिक उपचारों का अधिकार इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार। Gk ebooks


Rajesh Kumar at  2018-08-27  at 09:30 PM
विषय सूची: संविधान के भाग विषय सूची >> संविधान भाग 3 मूल अधिकार >>> संवैधानिक उपचारों का अधिकार इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार।

संवैधानिक उपचारों का अधिकार इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार।
32.
(1) इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए समुचित कार्यवाहियों द्वारा उच्चतम न्यायालय में समावेदन करने का अधिकार प्रत्याभूत किया जाता है।

(2) इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों में से किसी को प्रवर्तित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय को ऐसे निदेश या आदेश या रिट, जिनके अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार- पृष्छा और उत्प्रेषण रिट हैं, जो भी समुचित हो, निकालने की शक्ति होगी।

(3) उच्चतम न्यायालय को खंड
(1) और खंड
(2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, संसद्, उच्चतम न्यायालय द्वारा खंड
(2) के अधीन प्रयोक्तव्य किन्हीं या सभी शक्तियों का किसी अन्य न्यायालय को अपनी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर प्रयोग करने के लिए विधि द्वारा सशक्त कर सकेगी।

(4) इस संविधान द्वारा अन्यथा उपबंधित के सिवाय, इस अनुच्छेद द्वारा प्रत्याभूत अधिकार निलंबित नहीं किया जाएगा।
2 32क. [राज्य विधियों की संवैधानिक वैधता पर अनुच्छेद 32 के अधीन कार्यवाहियों में विचार न किया जाना] संविधान (तैंतालीसवां संशोधन) अधिनियम 1977 की धारा 3 द्वारा (13- 4-1978 से) निरसित।
इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद् की शक्ति।
3 [33. संसद्, विधि द्वारा, अवधारणा कर सकेगी कि इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों में से कोई,—
(क) सशस्त्र बलों के सदस्यों को, या
(ख) लोक व्यवस्था बनाए रखने का भार साधन करने वाले बलों के सदस्यों को, या
(ग) आसूचना या प्रति आसूचना के प्रयोजनों के लिए राज्य द्वारा स्थापित किसी ब्यूरो या अन्य संगठन में नियोजित व्यक्तियों को, या
(घ) खंड
(क) से खंड
(ग) में निर्दिष्ट किसी बल, ब्यूरो या संगठन के प्रयोजनों के लिए स्थापित दूरसंचार प्रणाली में या उसके संबंध में नियोजित व्यक्तियों को, लागू होने में, किस विस्तार तक निर्बन्धित या निराकृत किया जाए जिससे उनके कर्तव्यों का उचित पालन और उनमें अनुशासन बना रहना सुनिश्चित रहे।]
जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर निर्बन्धन।
34. इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, संसद् विधि द्वारा संघ या किसी राज्य की सेवा में किसी व्यक्ति की या किसी अन्य व्यक्ति की किसी ऐसे कार्य के संबंध में क्षतिपूर्ति कर सकेगी जो उसने भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर किसी ऐसे क्षेत्र में, जहां सेना विधि प्रवृत्त थी, व्यवस्था के बनाए रखने या पुन—स्थापन के संबंध में किया है या ऐसे क्षेत्र में सेना विधि के अधीन पारित दंडादेश, दिए गए दंड, आदिष्ट समपहरण या किए गए अन्य कार्य को विधिमान्य कर सकेगी।
इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान।
35. इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी,—
(क) संसद् को शक्ति होगी और किसी राज्य के विधान- मंडल को शक्ति नहीं होगी कि वह—
(i) जिन विषयों के लिए अनुच्छेद 16 के खंड
(3), अनुच्छेद 32 के खंड
(3), अनुच्छेद 33 और अनुच्छेद 34 के अधीन संसद् विधि द्वारा उपबंध कर सकेगी उनमें से किसी के लिए, और
(ii) ऐसे कार्यों के लिए, जो इस भाग के अधीन अपराध घोषित किए गए हैं, दंड विहित करने के लिए, विधि बनाए और संसद् इस संविधान के प्रारंभ के पश्चात यथाशक्य शीघ्र ऐसे कार्यों के लिए, जो उपखंड
(ii) में निर्दिष्ट हैं, दंड विहित करने के लिए विधि बनाएगी ;
(ख) खंड
(क) के उपखंड
(i) में निर्दिष्ट विषयों में से किसी से संबंधित या उस खंड के उपखंड
(ii) में निर्दिष्ट किसी कार्य के लिए दंड का उपबंध करने वाली कोई प्रवृत्त विधि, जो भारत के राज्यक्षेत्र में इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रवृत्त थी, उसके निबंधनों के और अनुच्छेद 372 के अधीन उसमें किए गए किन्हीं अनुकूलनों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए तब तक प्रवृत्त रहेगी जब तक उसका संसद् द्वारा परिवर्तन या निरसन या संशोधन नहीं कर दिया जाता है।
स्पष्टीकरण—इस अनुच्छेद में, “ “ प्रवृत्त विधि ” ” पद का वही अर्थ है जो अनुच्छेद 372 में है।



सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख
अनुच्छेद 13. मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियां
मूल अधिकार अनुच्छेद 12 परिभाषा
अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समता
अनुच्छेद 15 धर्म मूलवंश जाति लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता
अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत
अनुच्छेद 18 उपाधियों का अंत
अनुच्छेद 19 स्वातंत्र्य-अधिकार - वाक्-स्वातंत्र्य आदि
अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
अनुच्छेद 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
अनुच्छेद 22 कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण
अनुच्छेद 23 और 24 शोषण के विरुद्ध अधिकार
अनुच्छेद 25 26 27 28 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
शिक्षा संस्थाओं की स्थापना अौर प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
29 अल्पसंख्यक - वर्गों के हितों का संरक्षण
कुछ अधिनियमों अौर विनियमों का विधिमान्यकरण।
कुछ निदेशक तत्वों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
संवैधानिक उपचारों का अधिकार इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार।

Sanwaidhanik Upcharon Ka Adhikar Is Bhag Dwara Pradatt Adhikaron Ko Pravartit Karane Ke Liye Upchar 32 1 Samuchit Karyawahiyon Uchhtam Nyayalaya Me समावेदन Karne Pratyabhoot Kiya Jata Hai 2 Se Kisi Aise निदेश Ya Adesh Rit Jinke Antargat Bandi Pratyakshikaran Paramadesh Pratishedh पृष्छा Aur Utpreshan Hain Jo Bhi Ho Nikalne Ki Shakti Hogi 3 Khand Shaktiyon Par Pratikool Prabhav Dale Bina Sansad Adheen Prayoktavy Kinhi Sabhi Anya


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