ठाकुर सूरजमल
डाकोर के ठाकुर सूरजमल ने लुणावाड़ा पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए 1857 में लुणावाड़ा के राजा पर आक्रमण कर दिया। राजा ने ब्रितानियोें का सहारा लिया। सूरजमल गोधरा के पास पाल गांव के ठाकुर कानदास के पास गया उसने उसे आश्रय दिया। ब्रितानी सेना ने सारे गांव पर आक्रमण कर उसे फ़ूँक डाला। इसी तरह खानपुर, कानोरिया, दुबारा गांवों के लोगों को आग लगा कर जला दिया। पंचमहल के संखेड़ा के नायकदास ने भी विद्रोह का झंडा उठाया और रुपानायक तथा केवल बेट्स की सेना पर आक्रमण कर दिया। इसमें मुसलमानों ने साथ दिया। उन्होने चंपानेर और नरुकोट के बीच के प्रदेश को मुक्त कर दिया। ब्रितानियोें ने दो वर्षों के संघर्ष के पश्चात इन भीलों पर काबू पाया। भीलों, कोलियों और अन्य पिछड़ी जातियों की स्वतंत्रता की भावना की मशाल अन्यत्र मिलना दुर्लभ है।