माही नदी
माही नदी का उद्गम मध्य प्रदेश में अमरोरू जिले में मेहद झील से होता है। अंग्रेजी के उल्टे " यू (U) " के आकार की इस नदी का राजस्थान में प्रवेश स्थान बांसवाडा जिले का खादू है। तथा नरवाली तक बहने के बाद दक्षिण पश्चिम दिशा में बांसवाड़ा डुंगरपुर की सीमा बनती हुई सलकारी गांव से गुजरात के पंचमहल जिले में रामपुर के पास प्रवेश करती है। (इस नदी पर कड़ाना बांध यहीं बना हुआ है ।) व फिर खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इसके प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान भी कहते है। यह तीन राज्यों मध्यप्रदेश राजस्थान व गुजरात में बहती है।
इसकी कुल लम्बाई 576 कि.मी. किमी है। राजस्थान में इसकी लम्बाई 171 कि.मी. है। बागड की गंगा, कांठल की गंगा, आदिवासियों की गंगा, दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा भी कहते है।
आदिवासियों की जीवन रेखा, दक्षिणी राजस्थान की स्वर्ण रेखा कहे जाने वाली माही नदी दूसरी नित्यवाही नदी है।यह नदी प्रतापगढ़ जिले के सीमावर्ती भाग में बहती है। और तत् पश्चात दक्षिण की ओर मुड़ जाती है। और गुजरात के पंचमहल जिले से होती हुई अन्त में खम्भात की खाड़ी में जाकर समाप्त हो जाती है।
माही नदी की कुल लम्बाई 576 कि.मी. है। जबकि राजस्थान में यह नदी 171 कि.मी बहती है।
इसकी सहायक नदियां : सोम, जाखम, चाप, अजास, अराव, एरन, अनास, हरण, मोरन, भादर है।
यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
माही की सहायक नदी इरू नदी इसमें माही बांध के पास ही मिलती है। शेष सहायक नदियां माही बांध के पश्चात इसमें आकर मिलती है।
बांसवाड़ा के बोरखेड़ा ग्राम के पास दस पर माही बजाज बांध बनाया गया है।