योजना की रणनीति और फोकस क्षेत्र
उपर्युक्त उददेश्यों को प्राप्त करने के लिए पीएमकेएसवाई को सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला पर विस्तार सेवा आदि में मूलभूत समाधान पर फोकस करते हुए रणनीति पर बनाई जाएगी। वृहत रूप में पीएमकेएसवाई निम्नलिखित पर फोकस करेगा ;
क. नये जल स्त्रोतों का निर्माण, जीर्ण जल स्त्रोतों का पुर्नस्थापन और पुनरोद्धार, जल ग्रामीण स्तर पर परम्परागत जल तालाबों जैसे जल मन्दिर (गुजरात) ; खतरी, कुहल (हिमाचल प्रदेश) ; जेबो (नागालैंड) ; इड़ी, ओरेनिस (तमिलनाडु) ; डॉग (असम), कतास, बंधा (ओडिशा और मध्य प्रदेश) आदि की क्षमता बढ़ाना ।
ख. जहां सिंचाई स्रोत (आश्वासित अथवा संरक्षित दोनों) उपलब्ध हैं अथवा निर्मित हैं में वितरण नेटवर्क का विस्तार/वृद्धि करना ।
ग. वैज्ञानिक आर्द्रता संरक्षण की वृद्धि करना और भू-जल पुर्नभरण सुधार के लिए आवाह नियंत्रण उपाय करना ताकि शैलों ट्यूब/डगबैल के माध्यम से पुनर्भरित जल तक पहुंच के लिए किसानों हेतु अवसरों का निर्माण किया जा सके।
deleteall. प्रभावी जल परिवहन और फार्म के भीतर क्षेत्र अनुप्रयोग उपकरणों यथा भूमिगत पाईप प्रणाली, पीवोट, रेनगन और अन्य अनुप्रयोग उपकरणों आदि को प्रोत्साहित करना ।
ड़. पंजीकृत उपयोग कर्ता समूह/कृषक उत्पादक संगठनों/एनजीओ के माध्यम से सामुदायिक सिंचाई को प्रोत्साहित करना और
च. कृषक उन्मुख गतिविधियों जैसे क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और प्रदर्शन दौरे, प्रदर्शन, फार्म स्कूल, प्रभावी जल में कोशल विकास और मास मीडिया अभियान के माध्यम से अधिक फसल प्रति बूंद पर बृहद स्तरीय जागरूकता सहित फसल प्रबंधन प्रणालियां (फसल संयोजन), प्रदर्शनियां, फील्ड डेज तथा लघु कार्टून फिल्मों के माध्यम से विस्तार गतिविधियाँ आदि ।
उपर्युक्त क्षेत्र केवल पीएमकेएसवाई के वृहद फलक का खाका प्रस्तुत करते हैं ; कार्यकलापों के संयोजन के लिए स्थल विशिष्ट स्थितियों और आवश्यकताओं के आधार पर अपेक्षित हैं जिसे जिला और राज्य सिंचाई योजनाओं के माध्यम से चिन्हित किया जायेगा । सिंचाई कवरेज के लिए विभिन्न राज्यों में सिंचाई विकास पर अधिक फोकस किया जायेगा । राज्यवार वर्षा सिंचित और सिंचित क्षेत्र को दर्शाने वाला राज्यवार मैट्रिक्स अनुबंध-क पर है ।