कृषि एवं उद्यानिकी-आँवले की किस्में Gk ebooks


Rajesh Kumar at  2018-08-27  at 09:30 PM
विषय सूची: कृषि खेती और उद्यानिकी >> आंवला की खेती >>> आँवले की किस्में

पूर्व में आँवला की तीन प्रमुख किस्में यथा बनारसी, फ्रांसिस (हाथी झूल) एवं चकैइया हुआ करती थी। इन किस्मों की अपनी खूबियाँ एवं कमियाँ रही हैं। बनारसी किस्म में फलों का गिरना एवं फलों का कम भंडारण क्षमता, फ्रान्सिस किस्म में यद्यपि बड़े आकार के फल लगते हैं परन्तु उत्तक क्षय रोग अधिक होता है। चकैइया के फलों में अधिक रेशा एवं एकान्तर फलन की समस्या के कारण इन किस्मों के रोपण को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। पारम्परिक किस्मों की इन सब समस्याओं के निदान हेतु नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, फैजाबाद ने कुछ नयी किस्मों का चयन किया है जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न है:


आँवला की किस्म कंचन (एन ए-4)

आँवला की किस्म कंचन (एन ए-4)
यह चकइया किस्म से चयनित किस्म है। इस किस्म में मादा फूलों की संख्या अधिक (4-7 मादा फूल प्रति शाखा) होने के कारण यह अधिक फलत नियमित रूप से देती है। फल मध्यम आकार के गोल एवं हल्के पीले रंग के व अधिक गुदायुक्त होते है। रेशेयुक्त होने के कारण यह किस्म गूदा निकालने हेतु एवं अन्य परिरक्षित पदार्थ बनने हेतु औद्योगिक इकाईयों द्वारा पसंद की जाती है। यह मध्यम समय में परिपक्व होने वाले किस्म हैं (मध्य नवम्बर से मध्य दिसम्बर) तथा महाराष्ट्र एवं गुजरात के शुष्क एवं अर्धशुष्क क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगायी जा रही है।



आँवला की किस्म कृष्णा (एन.ए.-5)

आँवला की किस्म कृष्णा (एन.ए.-5)
यह बनारसी किस्म से चयनित एक अगेती किस्म है जो अक्टूबर से मध्य नवम्बर में पक कर तैयार हो जाती है। इस किस्म के फल बड़े ऊपर से तिकोने, फल की सतह चिकनी, सफेद हरी पीली तथा लाल धब्बेदार होती है। फल का गूदा गुलाबी हरे रंग का, कम रेशायुक्त तथा अत्यधिक कसैला होता है। फल मध्यम भंडारण क्षमता वाले होते हैं। अपेक्षाकृत अधिक मादा फूल आने के कारण, इस किस्म की उत्पादन क्षमता बनारसी किस्म की अपेक्षा अधिक होती है। यह किस्म मुरब्बा, कैन्डी एवं जूस बनाने हेतु अत्यंत उपयुक्त पायी गयी है।



नरेन्द्र आँवला-6

नरेन्द्र आँवला-6
यह चकैइया किस्म से चयनित किस्म है जो मध्यम समय (मध्य नवम्बर से मध्य दिसम्बर) में पक कर तैयार हो जाती है। पेड़ फैलाव लिए अधिक उत्पादन देने वाले होते हैं। (फलों का आकार मध्यम से बड़ा गोल, सतह चिकनी, हरी पीली, चमकदार, आकर्षक) गूदा रेशाहीन एवं मुलायम होता है। यह किस्म मुरब्बा, जैम एवं कैन्डी बनाने हेतु उपयुक्त पायी जाती है।



नरेन्द्र आँवला-7

नरेन्द्र आँवला-7
यह फ्रांसिस (हाथी झूल) किस्म के बीजू पौधों से चयनित किस्म है। यह शीघ्र फलने वाली, नियमित एवं अत्यधिक फलन देने वाली किस्म है। इस किस्म में प्रति शाखा में औसत मादा फूलों की संख्या 9.7 तक पायी जाती है। यह मध्यम समय (मध्य नवम्बर से मध्य दिसम्बर) तक पक कर तैयार हो जाती है। यह किस्म उत्तक क्षय रोग से मुक्त है। फल मध्यम से बड़े आकार, के ऊपर तिकोने, चिकनी सतह तथा हल्के पीले रंग वाले होते हैं। गूदे में रेशे की मात्रा एन ए-6 किस्म से थोड़ी अधिक होती है। इस किस्म की प्रमुख समस्या अधिक फलत के कारण इसकी शाखाओं को टूटना है। अतः फल वृद्धि के समय शाखाओं में सहारा देना उचित होता है यह किस्म च्यवनप्राश, चटनी, अचार, जैम एवं स्क्वैश बनाने हेतु अच्छी पायी गयी है। इस किस्म को राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल तथा तमिलनाडु के क्षेत्रों में अच्छी तरह अपनाया गया है।



नरेन्द्र आँवला-10

नरेन्द्र आँवला-10
यह किस्म बनारसी किस्म के बीजू पौधों से चयनित अधिक फलन देने वाली किस्म है। फल देखने में आकर्षक, मध्यम से बड़े आकार वाले, चपटे गोल होते हैं। सतह कम चिकनी, हल्के पीले रंग वाली गुलाबी रंग लिए होती है। फलों का गूदा सफेद हरा, रेशे की मात्रा अधिक एवं फिनाल की मात्रा कम होती है। अधिक उत्पादन क्षमता, शीघ्र पकने के कारण एवं सुखाने एवं अचार बनाने हेतु उपयुक्तता के कारण यह व्यवसायिक खेती हेतु उपयुक्त किस्म हैं, परन्तु इस किस्म में एकान्तर फलन की समस्या पायी जाती है।
इन सब किस्मों के अलावा लक्ष्मी-52, किसान चकला, हार्प-5, भवनी सागर आनंद-1, आनंद-2, एवं आनंद-3 किस्में विभिन्न शोध संस्थाओं से विकसित की गयी हैं परन्तु इनकी श्रेष्ठता देश के अन्य भागों में अभी सिद्ध नहीं हो पाई है।


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