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Rajesh Kumar at  2018-08-27  at 09:30 PM
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आँवले का प्रवर्धन एवं मूलवृंत
आँवले के बाग़ स्थापना में सबसे बड़ी समस्या सही किस्मों के पौधों का न मिलना है। हाल के वर्षो में आँवले के पौधों की मांग में कई गुना वृद्धि हुई है। अतः कायिक प्रवर्धन की व्यवसायिक विधि का मानकीकरण आवश्यक हो गया है।
पारम्परिक रूप से आँवले के पौधों के बीज द्वारा भेंट कलम बंधन द्वारा तैयार किये जाते थे। बीज द्वारा प्रवर्धन आसान एवं सस्ता होता है, परन्तु परपरागित होने के कारण बीज द्वारा तैयार पौधे अधिक समय में फलत देते हैं एवं गुण, आकार में भी मातृ पौधों के समान नहीं पाये जाते हैं। आँवले के पौधे ऊपर की तरफ बढ़ने वाले होते हैं। अतः निचली सतह से बहुत कम शाख निकलती हैं, जिससे भेंट कलम बंधन अधिक सफल नहीं हैं। हाल के वर्षो में आँवले के प्रवर्धन हेतु कई कायिक विधियों का मानकीकरण किया गया है। अब इसका सफल प्रवर्धन पैबंदी चश्मा, विरूपित छल्ला विधि, विनियर कलम एवं कोमल शाखा बंधन द्वारा सफलतापूर्वक किया जा सकता है।



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