Tight
= कस() (Kas)
कस ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कष]
१. परीक्षा । कसौटी । जाँच । उ॰—जौ मन लागै रामचरन अस । देह, गेह, सुत, बित, कलत्र महँ मगन होत बिनु जतन किए जस । द्वंद—रहित, गतमान, ज्ञान रत, बिषय—बिरत खटाइ नाना कस । —तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ५६१ । क्रि॰ प्र॰—पर खींचना या रखना ।
२. तलवार की लचक जिससे उसकी उत्तमता की परख होती है । कस ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कसना]
१. वह रस्सी जिसके कोई वस्तु कसकर बाँधी जाय; जैसे, —गाड़ी की कस । मोट या पुरवट की कस ।
२. बंध । बंद । उ॰—खेल किधौं सतभाव लाड़िले कंचुकि के कस खोंलौ । —घनानंद, पृ॰ ५६६ । कस ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ कसना]
१. बल । जोर । उ॰—रहि न सक्यो कस करि रह्यो बस करि लीनी मार । भेद दुसार कियो हियो तन दुति भेदी सार । —बिहारी (शब्द॰) । यौ॰—कसबल ।
२. दबाव । वश । काबू । इख्तियार । जैसे, —(क) वह आदमी हमारे कस का नहीं है । (ख) यह बात हमारे कस की होती तब तो ? मुहा॰—कस का = वश का । अधीन । जिसपर अपना इख्तियार हो । कस में करना या रखना = वश में रखना । अधीन रखना । कस की गोदी = कुश्ती का पेंच । विशेष—जब विपक्षी पेट में घुस आता है, तब खिलाड़ी अपना एक हाथ उसकी बगल के नीचे से ले जाकर उसकी गर्दन पर इस प्रकार चढ़ाता है कि दोनों की काँखें मिल जाती हैं । फिर वह दूसरे हाथ से विपक्षी का आगे बढ़ा हुआ पैर और (उसी और का) हाथ थींचकर गर्दन की और ले जाता हैं और झोंका देकर चित करता है ।
३. रोक । अवरोध । मुहा॰—कस में कर रखना = रोक रखना । दबाना । उ॰—पर- तिय दोष पुराण सुनि हैसि मुलकी सुखदानि । कस करि राखी मिश्रहूँ मुख आई मुसकानि । —बिहारी (शब्द॰) । कस ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कषीय हिं॰ कसाव]
१. 'कसाव' का संक्षिप्त रूप ।
२. निकाला हुआ अर्क ।
३. सार । तत्व । कस ^५ † क्रि॰ वि॰
१. कैसे । क्योंकर ।
२. क्यों । उ॰—सो काशी सेइय कस न । —तुलसी (शब्द॰) ।
कस ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कष]
१. परीक्षा । कसौटी । जाँच । उ॰—जौ मन लागै रामचरन अस । देह, गेह, सुत, बित, कलत्र महँ मगन होत बिनु जतन किए जस । द्वंद—रहित, गतमान, ज्ञान रत, बिषय—बिरत खटाइ नाना कस । —तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ५६१ । क्रि॰ प्र॰—पर खींचना या रखना ।
२. तलवार की लचक जिससे उसकी उत्तमता की परख होती है । कस ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कसना]
१. वह रस्सी जिसके कोई वस्तु कसकर बाँ
कस meaning in english