Taare Ke Jeevan Chakra Ke Vibhinn Charanon Ka Varnnan तारे के जीवन चक्र के विभिन्न चरणों का वर्णन

तारे के जीवन चक्र के विभिन्न चरणों का वर्णन



GkExams on 25-03-2022

आमतौर पर सितारे का जीवन चक्र दो तरह का होता है और लगभग सभी तारे इन दो जीवन चक्र मे से किसी एक का पालन करते है। इन दो जीवन चक्र मे चयन का पैमाना उस तारे का द्रव्यमान होता है। कोई भी तारा जिसका द्रव्यमान तीन सौर द्रव्यमान के तुल्य हो वह मुख्य अनुक्रम (निले तारे से लाल तारे) मे परिवर्तित होते हुए अपनी जिंदगी बिताता है। लगभग 90 फीसदी तारे इस प्रकार के होते है।


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तारे का जीवनकाल :




किसी तारे के जीवनकाल की लंबाई उसके द्रव्यमान पर निर्भर करती है। यदि तारा में बहुत अधिक द्रव्य है और इसलिए एक उच्च द्रव्यमान है, तो इसका जीवनकाल कम होगा। यह थोड़ा जवाबी लग सकता है, क्योंकि कोई आश्चर्यचकित हो सकता है कि अधिक परमाणु ईंधन का मतलब होगा कि तारा अधिक समय तक चमकने में सक्षम होगा। छोटे तारे वास्तव में उनके पास मौजूद ईंधन से अधिक कुशल होते हैं; हालाँकि, बड़े तारे अपने परमाणु ईंधन का उपयोग अधिक तेज़ गति से करते हैं। एक तारे का द्रव्यमान इस बात पर निर्भर करता है कि एक नेबुला के रूप में ज्ञात बादल में कितना पदार्थ था, जिसने तारे का निर्माण किया।


मीरा लाल दानव :


इतना समय बीत जाने के बाद लाल दानव का यादातर पदार्थ कार्बन से बना होता है। यह कार्बन हिलीयम संलयन प्रयिा मे से बना है। अगला संलयन कार्बन से लोहे मे बदलने का होगा। लेकिन तारे के केन्द्र मे इतना दबाव नही बन पाता कि यह प्रक्रिया प्रारंभ हो सके। अब बाहर की ओर दिशा मे दबाव नही है, जिससे केन्द्र सिकुड जाता है और केन्द्र से बाहर की ओर झटके से तंरंगे भेजना शुरू कर देता है।


इसमे तारे की बाहरी तहे अंतरिक्ष मे फैल जाती है, इससे ग्रहीय निहारीका का निर्माण होता है। बचा हुआ केन्द्र सफेद बौना(वामन) तारा कहलाता है। यह केन्द्र शुध्द कार्बन(कोयला) से बना होता है और इसमे इतनी उर्जा शेष होती है कि यह चमकीले सफेद रंग मे चमकता है। इसका द्रव्यमान भी कम होता है क्योंकि इसकी बाहरी तहे अंतरिक्ष मे फेंक दी गयी है। इस स्थिति मे यदि उस तारे के ग्रह भी दूर धकेल दिये जाते है, यदि वे लाल दानव के रूप मे तारे द्वारा निगले जाने से बच गये हो तो।


सफेद बौने (वामन) तारे :




सफेद बौना तारा की नियती इस स्थिति मे लाखों अरबों वर्ष तक भटकने की होती है। धीरे धीरे वह ठंडा होते रहता है। अंत मे वह पृथ्वी के आकार (8000 किमी व्यास) मे पहुंच जाता है। इसका घन्त्व अत्यधिक अधिक होता है, एक माचिस की डिब्बी के बराबर पदार्थ एक हाथी से यादा द्रव्यमान रखेगा! इसका अधिकतम द्रव्यमान सौर द्रव्यमान से 1।4 (चन्द्रशेखर सीमा) गुना हो सकता है।


ठंडा होने के बाद यह एक काले बौने (black dwarf) बनकर कोयले के ढेर के रूप मे अनंत काल तक अंतरिक्ष मे भटकते रहता है। इस कोयले के ढेर मे विशालकाय हीरे भी हो सकते है।


महाकाय तारे की मौत :




सूर्य से काफी बड़े तारे की मौत सूर्य (मुख्य अनुम के तारे) की अपेक्षा तीव्रता से होगी। इसकी वजह यह है कि जितना यादा द्रव्यमान होगा उतनी तेजी से केन्द्रक संकुचित होगा, जिससे हाइड्रोजन संलयन की गति यादा होगी।


लगभग 100 से 150 लाख वर्ष मे (मुख्य अनुक्रम तारे के लिये 10 अरब वर्ष) एक महाकाय तारे की कोर कार्बन की कोर मे बदल जाती है और वह एक महाकाय लाल दानव (gignatic red gaint) मे परिवर्तित हो जाता है। मृग नक्षत्र मे कंधे की आकृती बनाने वाला तारा इसी अवस्था मे है। यह लाल रंग मे इसलिये है कि इसकी बाहरी तहे फैल गयी है और उसे गर्म करने के लिये यादा उर्जा चाहिये लेकिन उर्जा का उत्पादन बढा नही है। इस वजह से वह ठंडा हो रहा है और चमक लाल हो गयी है। ध्यान दे निले रंग के तारे सबसे यादा गर्म होते है और लाल रंग के सबसे कम।


इस स्थिति मे मुख्य अनुक्रम के तारे और महाकाय तारे मे अंतर यह होता है कि महाकाय तारे मे कार्बन को लोहे मे परिवर्तित करने के लायक दबाव होता है जो कि मुख्य अनुम के तारे मे नही होता है। लेकिन यह संलयन उर्जा देने की बजाय उर्जा लेता है। जिससे उर्जा का ह्रास होता है, अब बाहर की ओर के दबाव और अंदर की तरफ के गुरुत्वाकर्षण का संतुलन खत्म हो जाता है।


अंत मे गुरुत्वाकर्षण जीत जाता है, तारा केन्द्र एक भयानक विस्फोट के साथ सिकुड जाता है , यह विस्फोट सुपरनोवा कहलाता है। 4 जुलाई 1054 मे एक सुपरनोवा विस्फोट 23 दिनो तक दोपहर मे भी दिखायी देते रहा था। इस सुपरनोवा के अवशेष कर्क निहारीका के रूप मे बचे हुये है।


कर्क निहारीका (सुपरनोवा विस्फोट के अवशेष) :




इसके बाद इन तारों का जीवन दो रास्तों मे बंट जाता है। यदि तारे का द्रव्यमान 9 सौर द्रव्यमान से कम लेकिन 1.4 सौर द्रव्यमान से यादा हो तो वह न्यूट्रॉन तारे में बदल जाता है। वही इससे बड़े तारे श्याम वीवर मे बदल जाते है जिसका गुरुत्वाकर्षण असीम होता है जिससे प्रकाश भी बच कर नही निकल सकता।


बौने (वामन) तारे की मौत :


सूर्य एक मुख्य अनुम का तारा है, लेकिन यह पिले बौने तारे की श्रेणी में भी आता है। इस लेख मे सूर्य से छोटे तारों को बौना (वामन) तारा कहा गया है।


बौने तारो में सिर्फ लाल बौने तारे ही सयि होते है जिसमें हाइड्रोजन संलयन की प्रयिा चल रही होती है। बाकी बौने तारों के प्रकार, भूरे, सफेद और काले है जो मृत होते है। लाल बौने का आकार सूर्य के द्रव्यमान से 13 से 12 के बीच और चमक 1100 से 11,000,000 के बीच होती है। प्राक्सीमा सेंटारी , सूर्य के सबसे नजदिक का तारा एक लाल बौना है जिसका आकार सूर्य से 15 है।


यदि उसे सूर्य की जगह रखे तो वह पृथ्वी पर सूर्य की चमक 110 भाग ही चमकेगा ,उतना ही जितना सूर्य प्लूटो पर चमकता है।


प्राक्सीमा (लाल वामन तारा- Red Dwarf) केन्द्र में सबसे चमक पिला लाल तारा लाल बौने अपने छोटे आकार के कारण अपनी हाइड्रोजन धीमे संलयन करते है और कई सैकडों खरबों वर्ष तक जीवित रह सकते है।


जब ये तारे मृत होंगे ये सरलता से ग़ायब हो जायेंगे, इनके पास हिलीयम संलयन के लिये दबाव ही नही होगा। ये धीरे धीरे बुझते हुये अंतरिक्ष मे विलीन हो जायेंगे।





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