निबंध (Nibandh) = Essay
निबंध संज्ञा पुं॰ [सं॰ निबन्ध]
१. बंधन ।
२. वह व्याख्या जिसमें अनेक मतों का संग्रह हो ।
३. लिखित प्रबंध । लेख । रचनात्मक गद्य साहित्य की एक विधा ।
४. गीत ।
५. नीम का पेड़ ।
६. आनाह रोग । पेशाब बंद होने की बीमारी । करक ।
७. वह वस्तु जिसे किसी को देने का वाद कर दिया गया हो ।
८. कोटिल्य के अनुसार सरकार ी आज्ञा ।
९. प्रतिबंध । रोक (को॰) ।
१०. संलग्न होना । संलग्नता (को॰) ।
११. बँधन या जोड़ने का कार्य (को॰) ।
१२. कारण (को॰) ।
१३. आधार । नींव (को॰) ।
निबन्ध (Essay) गद्य लेखन की एक विधा है। लेकिन इस शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक और बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए भी किया जाता है। निबंध के पर्याय रूप में सन्दर्भ, रचना और प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है। लेकिन साहित्यिक आलोचना में सर्वाधिक प्रचलित शब्द निबंध ही है। इसे अंग्रेजी के कम्पोज़ीशन और एस्से के अर्थ में ग्रहण किया जाता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार संस्कृत में भी निबंध का साहित्य है। प्राचीन संस्कृत साहित्य के उन निबंधों में धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों की तार्किक व्याख्या की जाती थी। उनमें व्यक्तित्व की विशेषता नहीं होती थी। किन्तु वर्तमान काल के निबंध संस्कृत के निबंधों से ठीक उलटे हैं। उनमें व्यक्तित्व या वैयक्तिकता का गुण सर्वप्रधान है। इतिहास-बोध परम्परा की रूढ़ियों से मनुष्य के व्यक्तित्व को मुक्त करता है। निबंध की विधा का संबंध इसी इतिहास-बोध से है। यही कारण है कि निबंध की प्रधान विशेषता व्यक्तित्व का प्रकाशन है। निबंध की सबसे अच्छी परिmभाषा है-इस परिभाषा में अतिव्याप्ति दोष है। लेकिन निबंध का रूप साहित्य की अन्य विधाओं की अपेक्षा इतना स्वतंत्र है कि उसकी सटीक परिभाषा करना अत्यंत कठिन है। सारी दुनिया की भाषाओं में निबंध को साहित्य की सृजनात्मक विधा के रूप में मान्यता आधुनिक युग में ही मिली है। आधुनिक युग में ही मध्ययुगीन धार्मिक, सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति का द्वार दिखाई पड़ा है। इस मुक्ति से निबंध का गहरा संबंध है। हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार-इस प्रकार निबंध में निबंधकार की स्वच्छंदता का विशेष महत्त्व है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है:इसका तात्पर्य यह है कि निबंध में किन्हीं ऐसे ठोस रचना-नियमों और तत्वों
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