kachavaha
= कछवाहा() (Kachhwaha)
कछवाहा संज्ञा पुं॰ [सं॰ कच्छ + हिं॰ वाहा (प्रत्य॰)] राजपूतों की एक जाति ।
जयपुर में प्राथमिक रूप से जागीरदारों का विभाजन 'बारह कोटड़ी 'से आधारित था, सरदारों में सबसे मुख्य राजपूत कछवाहा थे, जो राजा के निकट सम्बन्धी होते थे। जयपुर के समीप स्थित आमेर का किला कछवाहा राजपूतों के गौरवशाली इतिहास का गवाह है। आमेर की घाटी में मीणाओं को फतह कर उन्होंने जब आमेर नगरी बसाई तो वहीं एक पहाडी पर उन्होंने भव्य किले का निर्माण कराया था। वही किला आज आमेर फोर्ट के नाम से विख्यात है। आमेर घाटी को फूलों की घाटी कहा जाता है। घाटी में प्रवेश करते ही दूर से विशाल दुर्ग की प्राचीर, उसके गुंबद, बुर्ज और प्रवेशद्वार नजर आने लगते हैं। जिस पहाडी पर आमेर दुर्ग स्थित है उसके सामने एक सुंदर झील है। इसे मावठा सरोवर कहते हैं। झील के एक छोर पर ही किले में जाने का मार्ग है। जहां एक सुंदर वाटिका बनी है। इसे राजा जयसिंह के समय में बनवाया गया था। इसका नाम दूलाराम बाग है। बाग में कुछ छतरीनुमा कक्ष बने हैं। वहां एक छोटा सा संग्रहालय भी है। जिसमें ढूंढाढ क्षेत्र की धरोहरें प्रदर्शित हैं। इनमें प्राचीन मूर्तियां, शिलालेख, शिलापट्ट और सिक्के आदि शामिल हैं। किला करीब 150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से आगे पैदल ढलान पर बढते हुए 10-15 मिनट में किले तक पहुंचा जा सकता है। यहीं कुछ गाइड पर्यटकों को घेर लेते हैं। इतिहास और स्थापत्य में रुचि रखने वाले सैलानी यहां गाइड जरूर करते हैं। उनसे उन्हें इमारत से जुडी तमाम गाथाओं की जानकारी हो जाती है। मार्ग में गाइड किले के निर्माण और कछवाहा राजपूतों का इतिहास बताने लगते हैं। आमेर के अतीत पर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि छ: शताब्दियों तक यह नगरी ढूंढाढ क्षेत्र के सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी रही है। बलुआ पत्थर से बने आमेर के किले का निर्माण 1558 में राजा भारमल ने शुरू करवाया था। निर्माण की प्रक्रिया बाद में राजा मानसिंह और राजा जयसिंह के समय में भी जारी रही। करीब सौ वर्ष के अंतराल के बाद राजा जयसिंह सवाई के काल में यह किला बन कर पूरा हुआ। उसी दौर में कछवाहा राजपूत और मुगलों के बीच मधुर संबंध भी बने, जब राजा भारमल की पुत्री का विवाह अकबर से हुआ था। बाद में राजा मानसिंह अकबर के नवरत्नों में शामिल हुए और उनके सेनापति बने। वही आमेर घाटी और इस
कछवाहा meaning in english
ढुंढाड के कछवाहा राजवंश की प्रथम राजधानी थी -
कछवाहा वंश का इतिहास
कछवाहा राजपूत कुलदेवी
कछवाहा राजपूत गोत्र
जयपुर के कछवाहा राजवंश की आराध्य देवी है
kachavaha
meaning in Gujarati: કચવાહા
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kachavaha
meaning in Marathi: कचवाहा
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kachavaha
meaning in Bengali: কাচওয়াহা
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kachavaha
meaning in Telugu: కచ్వాహ
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kachavaha
meaning in Tamil: கச்வாஹா
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