Vanijyik Bank Aur Sahakari Bank Ke Beech Ka Antar वाणिज्यिक बैंक और सहकारी बैंक के बीच का अंतर

वाणिज्यिक बैंक और सहकारी बैंक के बीच का अंतर



GkExams on 22-02-2019

भारतीय रिज़र्व बैंक आंकड़ों के अनुसार, 2017 में देश में 31राज्य सहकारी बैंक काम कर रहे हैं। भारत में केंद्रीय सहकारी बैंकों की संख्या 2013-14 में 370 थी। सन 2013-14 में केंद्रीय या जिला सहकारी बैंकों की संख्या के मामले में शीर्ष 10 राज्यों में उत्तर प्रदेश (50), मध्यप्रदेश (38), महाराष्ट्र (31), राजस्थान (29), तमिलनाडु (23), आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा शामिल थे। वर्तमान में भारत में 81वाणिज्यिक बैंक कार्यरत हैं।



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वाणिज्यिक बैंकों के कार्य और उद्देश्य सहकारी बैंकों से अलग होते हैं। इस लेख में हम इन दोनों प्रकार के बैंकों के बीच कुछ उल्लेखनीय अंतर बता रहे हैं।


1. वाणिज्यिक बैंक मुख्य रूप से मुनाफा कमाने के दृष्टिकोण से काम करते हैं जबकि सहकारी बैंक सहयोग के सिद्धांत पर काम करते हैं। यही कारण है कि राज्य सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक से कम से कम 2% सस्ता ऋण मिलता है।


2. वाणिज्यिक बैंकों का गठन संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियम द्वारा किया गया है, जबकि सहकारी बैंकों की स्थापना विभिन्न राज्यों के सहकारी समितियों से संबंधित विभिन्न अधिनियमों के आधार पर की गयी है l


3. सहकारी बैंकों में भारत में तीन स्तरीय व्यवस्था है जैसे राज्य स्तर पर सहकारी समिति, मध्य स्तर पर जिला सहकारी बैंक और निचले स्तर पर प्राथमिक सहकारी बैंक कार्यरत हैं जबकि वाणिज्यिक बैंकों में इस तरह की कोई स्तरीय व्यवस्था नही है l राज्य स्तर पर सहकारी समिति, सहकारी बैंकों की सबसे ऊंचे पायदान की अथॉरिटी है और यह जिला सहकारी बैंकों को ऋण उपलब्ध कराती है l


4. प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण लेने का अधिकार है, जबकि सहकारी बैंकों में केवल राज्य सहकारी बैंक इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैंं।



5. वाणिज्यिक बैंक पूरे देश की किसी भी जिला / राज्य में अपनी शाखाएं स्थापित कर सकते हैं जबकि दूसरी तरफ सहकारी बैंक केवल सीमित इलाकों के भीतर अपनी गतिविधियों को संचालित कर सकते हैं। जिला सहकारी बैंक केवल संबंधित जिले की सीमा के भीतर ही बैंकिंग गतिविधियां कर सकते हैं और प्राथमिक सहकारी बैंक केवल संबंधित गांवों में काम कर सकते हैं।


6. वाणिज्यिक बैंक विदेशों में शाखाएं खोल सकते हैं लेकिन सहकारी बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं।


7. बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 पूरी तरह से भारत के सभी वाणिज्यिक बैंकों पर लागू है, जबकि सहकारी बैंक आंशिक रूप से इस अधिनियम का पालन करने के लिए बाध्य है।


8.वाणिज्यिक बैंकों के उदाहरण हैं: भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ोदा, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक आदि।


9.सहकारी बैंकों के उदाहरण हैं: आंध्र प्रदेश राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, बिहार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक, गोवा स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गुजरात स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और हरियाणा राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड आदिl


निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि सहकारी बैंकों की तुलना में वाणिज्यिक बैंकों को अधिक स्वतंत्रता और संसाधन हैं इसलिए देश के विकास में इन बैंकों की ज्यादा बड़ी भूमिका हैl




GkExams on 22-02-2019

भारतीय रिज़र्व बैंक आंकड़ों के अनुसार, 2017 में देश में 31राज्य सहकारी बैंक काम कर रहे हैं। भारत में केंद्रीय सहकारी बैंकों की संख्या 2013-14 में 370 थी। सन 2013-14 में केंद्रीय या जिला सहकारी बैंकों की संख्या के मामले में शीर्ष 10 राज्यों में उत्तर प्रदेश (50), मध्यप्रदेश (38), महाराष्ट्र (31), राजस्थान (29), तमिलनाडु (23), आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा शामिल थे। वर्तमान में भारत में 81वाणिज्यिक बैंक कार्यरत हैं।



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भारतीय रिज़र्व बैंक के मुख्य कार्य क्या हैं?


वाणिज्यिक बैंकों के कार्य और उद्देश्य सहकारी बैंकों से अलग होते हैं। इस लेख में हम इन दोनों प्रकार के बैंकों के बीच कुछ उल्लेखनीय अंतर बता रहे हैं।


1. वाणिज्यिक बैंक मुख्य रूप से मुनाफा कमाने के दृष्टिकोण से काम करते हैं जबकि सहकारी बैंक सहयोग के सिद्धांत पर काम करते हैं। यही कारण है कि राज्य सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक से कम से कम 2% सस्ता ऋण मिलता है।


2. वाणिज्यिक बैंकों का गठन संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियम द्वारा किया गया है, जबकि सहकारी बैंकों की स्थापना विभिन्न राज्यों के सहकारी समितियों से संबंधित विभिन्न अधिनियमों के आधार पर की गयी है l


3. सहकारी बैंकों में भारत में तीन स्तरीय व्यवस्था है जैसे राज्य स्तर पर सहकारी समिति, मध्य स्तर पर जिला सहकारी बैंक और निचले स्तर पर प्राथमिक सहकारी बैंक कार्यरत हैं जबकि वाणिज्यिक बैंकों में इस तरह की कोई स्तरीय व्यवस्था नही है l राज्य स्तर पर सहकारी समिति, सहकारी बैंकों की सबसे ऊंचे पायदान की अथॉरिटी है और यह जिला सहकारी बैंकों को ऋण उपलब्ध कराती है l


4. प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण लेने का अधिकार है, जबकि सहकारी बैंकों में केवल राज्य सहकारी बैंक इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।



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5. वाणिज्यिक बैंक पूरे देश की किसी भी जिला / राज्य में अपनी शाखाएं स्थापित कर सकते हैं जबकि दूसरी तरफ सहकारी बैंक केवल सीमित इलाकों के भीतर अपनी गतिविधियों को संचालित कर सकते हैं। जिला सहकारी बैंक केवल संबंधित जिले की सीमा के भीतर ही बैंकिंग गतिविधियां कर सकते हैं और प्राथमिक सहकारी बैंक केवल संबंधित गांवों में काम कर सकते हैं।



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6. वाणिज्यिक बैंक विदेशों में शाखाएं खोल सकते हैं लेकिन सहकारी बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं।


7. बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 पूरी तरह से भारत के सभी वाणिज्यिक बैंकों पर लागू है, जबकि सहकारी बैंक आंशिक रूप से इस अधिनियम का पालन करने के लिए बाध्य है।



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शैडो बैंकिंग क्या होती है और यह अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है?


8.वाणिज्यिक बैंकों के उदाहरण हैं: भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ोदा, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक आदि।


9.सहकारी बैंकों के उदाहरण हैं: आंध्र प्रदेश राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, बिहार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक, गोवा स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गुजरात स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और हरियाणा राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड आदिl



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निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि सहकारी बैंकों की तुलना में वाणिज्यिक बैंकों को अधिक स्वतंत्रता और संसाधन हैं इसलिए देश के विकास में इन बैंकों की ज्यादा बड़ी भूमिका हैl






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Comments Hansraj on 12-04-2023

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