Baba Balak Nath Sadhana बाबा बालक नाथ साधना

बाबा बालक नाथ साधना



Pradeep Chawla on 22-10-2018

बाबा बालकनाथ जी की कहानी बाबा बालकनाथ अमर कथा में पढ़ी जा सकती है, ऐसी मान्यता है, कि बाबाजी का जन्म सभी युगों में हुआ जैसे कि सत्य युग,त्रेता युग,द्वापर युग और वर्तमान में कल युग और हर एक युग में उनको अलग-अलग नाम से जाना गया जैसे “सत युग” में “ स्कन्द ”, “ त्रेता युग” में “ कौल” और “ द्वापर युग” में “महाकौल” के नाम से जाने गये। अपने हर अवतार में उन्होंने गरीबों एवं निस्सहायों की सहायता करके उनके दुख दर्द और तकलीफों का नाश किया। हर एक जन्म में यह शिव के बड़े भक्त कहलाए।द्वापर युग में, ”महाकौल” जिस समय “कैलाश पर्वत” जा रहे थे, जाते हुए रास्ते में उनकी मुलाकात एक वृद्ध स्त्री से हुई, उसने बाबा जी से गन्तव्य में जाने का अभिप्राय पूछा, वृद्ध स्त्री को जब बाबाजी की इच्छा का पता चला कि वह भगवान शिव से मिलने जा रहे हैं तो उसने उन्हें शिव में बाबा बालकनाथ जी ने गुजरात, काठियाबाद में “देव” के नाम से जन्म लिया। उनकी माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम वैष्णो वैश था, बचपन से ही बाबाजी ‘आध्यात्म’ में लीन रहते थे। यह देखकर उनके माता पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय किया, परन्तु बाबाजी उनके प्रस्ताव को अस्विकार करके और घर परिवार को छोड़ कर ‘ परम सिद्धी ’ की राह पर निकल पड़े। और एक दिन जूनागढ़ की गिरनार पहाडी में उनका सामना “स्वामी दत्तात्रेय” से हुआ और यहीं पर बाबाजी ने स्वामी दत्तात्रेय से “ सिद्ध” की बुनियादी शिक्षा ग्रहण करी और “सिद्ध” बने। तभी से उन्हें “ बाबा बालकनाथ जी” कहा जाने लगा।


बाबाजी के दो पृथ्क साक्ष्य अभी भी उप्लब्ध हैं जो कि उनकी उपस्तिथि के अभी भी प्रमाण हैं जिन में से एक है “ गरुन का पेड़” यह पेड़ अभी भी शाहतलाई में मौजूद है, इसी पेड़ के नीचे बाबाजी तपस्या किया करते थे। दूसरा प्रमाण एक पुराना पोलिस स्टेशन है, जो कि “बड़सर” में स्थित है जहाँ पर उन गायों को रखा गया था जिन्होंने सभी खेतों की फसल खराब कर दी थी, जिसकी कहानी इस तरह से है कि, एक महिला जिसका नाम ’ रत्नो ’ था, ने बाबाजी को अपनी गायों की रखवाली के लिए रखा था जिसके बदले में रत्नो बाबाजी को रोटी और लस्सी खाने को देती थी, ऐसी मान्यता है कि बाबाजी अपनी तपस्या में इतने लीन रहते थे कि रत्नो द्वारा दी गयी रोटी और लस्सी खाना याद ही नहीं रहता था। एक बार जब रत्नो बाबाजी की आलोचना कर रही थी कि वह गायों का ठीक से ख्याल नहीं रखते जबकि रत्नो बाबाजी के खाने पीने का खूब ध्यान रखतीं हैं। रत्नो का इतना ही कहना था कि बाबाजी ने पेड़ के तने से रोटी और ज़मीन से लस्सी को उत्त्पन्न कर दिया। बाबाजी ने सारी उम्र ब्रह्मचर्य का पालन किया और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनकी महिला भक्त ‘गर्भगुफा’ में प्रवेश नहीं करती जो कि प्राकृतिक गुफा में स्थित है जहाँ पर बाबाजी तपस्या करते हुए अंतर्ध्यान हो गए थे।






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Comments Gurusirat kaur on 07-08-2022

Baba balaknath ji ka koi esa sidh mantar btaye jisse baba ji ki kirpa sda hmare pribar or aane wale bhagto pr bani rhe

Rohit kumar on 08-03-2022

Baba Balak Nath pahle kahan aaeye

Kashmir Singh on 12-05-2019

Mabababalaknathgekomantahibabagikasamarnkilinamelanaha


Deepender walia on 12-05-2019

Plz baba balaknath ji k sidhi bataye jo ghar me reh kr kr sake. Jis se baba ji k kirpa aur darshan mile





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