Abhilekhagaar Ki Paribhasha अभिलेखागार की परिभाषा

अभिलेखागार की परिभाषा



GkExams on 21-11-2018

अभिलेखागार सार्वजनिक अथवा वैयक्तिक, राजकीय अथवा अन्य संस्था संबंधी अभिलेखों, मानचित्रों, पुस्तकों आदि का व्यवस्थित निकाय और उसका संरक्षागार। अधिकतर ये अभिलेख राज्यों, साम्राज्यों, स्वतंत्र नगरों, संस्थाओं अथवा विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा महत्वपूर्ण कार्यों के संपादन के लिए प्रस्तुत किए जाते रहे हैं, कालांतर में जिन्हें ऐतिहासिक महत्व प्रदान कर दिया है। प्रशासन की घोषणाएँ, फर्मान, संविधानों की मूल प्रतियाँ, संधियों सुलहनामों के अहदनामें, राष्ट्रों के पारस्परिक संबंधों के मान और सीमाओं के उल्लेख आदि सभी प्रकार के अभिलेख इस श्रेणी में आते हैं और राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागारों में संरक्षित और सुरक्षित किए जाते हैं। पहले इनका उपयोग प्राय: संबंधित संस्थाओं का निजी था, पर अब ये ऐतिहासिक अध्ययन के लिए प्रयुक्त अथवा वादप्रतिवादों के संदर्भमें भी प्रमाण के लिए उपस्थित किए जा सकते हैं। संधियाँ तो राष्ट्रों को अपने पूर्वव्यवहारों ओर अहदनामों के अनुकूल आचरण करने को बाध्य करती हैं।

अभिलेखागार अथवा अभिलेख निकाय की राष्ट्रीय अथवा प्रशासन विभागीय व्यवस्था नि:संदेह आधुनिक हे जो वस्तुत: नियोजित रूप में फ्रांसीसी राज्यक्रांति के बाद और मुख्यत: उसके परिणामस्वरूप संगठित हुई है। किंतु अभिलेखागारों की संस्था प्राचीन काल में भी सर्वथा अनजानी न थी। ईसा से सैकड़ों साल पहले राजाओं, सम्राटों की दिग्विजयों, राजकीय प्रशासकीय घोषणाओं, फर्मानों, पारस्परिक आचरण व्यवहारों के संबंध में जो उनके अभिलेख मंदिरों, मकबरों की दीवारों, शिलाओं, स्तंभों, ताम्रपत्रों आदि पर खुदे मिलते हैं वे भी अभिलेखागार की व्यवस्था की ओर संकेत करते हैं। इस प्रकार के महत्व के अभिलेख प्राचीन काल में खोज में अभिरुचि रखनेवाले अनेक पुराविद सम्राटों द्वारा एकत्र कर उनके अभिलेखागारों में सदियों, सहस्राब्दियों संरक्षित रहे हैं। ईसा से पहले सातवीं सदी (638-33ई.पू.) में सम्राट् असुरबनिपाल ने अपनी राजधानी निनेवे में लाखों ईटों पर कीलनुमा अक्षरों में खुदे अभिलेखों को एकत्र कर अपना इतिहासप्रसिद्ध अभिलेखागार संगठित किया था जिसकी संप्राप्ति और अध्ययन से प्राचीन जगत्‌ के इतिहास पर प्रभूत प्रकाश पड़ा है। इसी अभिलेखागार में प्राय: तृतीय सहस्राब्दी ई.पू. में लिखे संसार के पहले महाकाव्य 'गिल्गमेश' की मूल प्रति उपलब्ध हुई है। खत्ती रानी का मिस्र के फ़राऊन के साथ युद्धविरोधी पत्रव्यवहार आज भी उपलब्ध है जो प्र%




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Comments Himani on 10-12-2021

Abhilekhagar aur sangrhalyaa main samanbndh bataiye

Himani on 28-05-2021

Abhilekhagar ke karyo ka varnan kijiye

Kamlesh on 02-04-2021

Nepali Kar Ke Prakar likhe


Priyanka on 04-01-2020

aapane Jin sangrahalu ka Daur Kiya hai unka varnan Karen ismein Desh ke Sanskriti itihaas aur logon ke bare mein aapke gyan ko kaise samriddh kiya hai





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