Bairath Sabhyata Ki Khoj बैराठ सभ्यता की खोज

बैराठ सभ्यता की खोज



Pradeep Chawla on 17-10-2018

  • यपुर जिले में स्थित बैराठ प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी थी।
  • डॉ. सत्यप्रकाश ने कहा है कि "आजादी के बाद जो कुछ हमने पाकिस्तान को देकर खोया है। उसमें कहि अधिक बैराठ को खोजकर पाया है।"
  • इस सभ्यता को प्रकाश में लाने का श्रेय 1936-37 में दयाराम साहनी को जाता है। इस सभ्यता का उत्खनन कार्य 1962-63 में नीलरत्न बनर्जी व कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
  • प्राचीन काल में भारत में 16 महाजनपद थे। राजस्थान से संबंधित 2 महाजनद - (1) मत्स्य महाजनपद - राजस्थानी (विराट नगर) इसी विराट नगर को आधुनिक बैराठ के नाम से जाना जाता है।
  • सूरशेन महाजनपद - राजधानी (मथुरा)।
  • बैराठ में उत्खनन कार्य निम्न पहाड़ियों पर किया गया। इन पहाड़ियों को स्थानीय भाषा में डूँगरी कहा गया है।

(1) बीजन पहाड़ी (2) महादेव पहाड़ी


(3) भीम पहाड़ी (4) गणेश/मोती पहाड़ी

  • महाभारत काल का संबंध बैराठ से रहा है। पाण्डवों ने अज्ञातवास का कुछ समय बैराठ में व्यतीत किया। भीमलत तालाब का संबंध भी पाण्डवों से ही माना जाता है। भीम पहाड़ी से पाषाण के शस्त्र बनाने के कारखाने प्राप्त हुए है।
  • बैराठ से बड़ी मात्रा में शैल चित्र के प्रमाण प्राप्त हुए है। इसलिए बैराठ को "प्राचीन युग की चित्रशाला भी कहा गया है।"
  • बैराठ की बीजक पहाड़ी से कैप्टन बर्ट के द्वारा मौर्य शासक अशोक का भाब्रु का शिलालेख खोजा। इस शिलालेख से ज्ञात होता है कि अशोक बौद्ध धर्म की अनुयायी था।
  • शिलालेख की भाषा- प्राकृत एवं लिपि - बाह्मी है।
  • कार्लाइल के द्वारा मौर्य शासक अशोक का एक अन्य शिलालेख खोजा गया। वर्तमान में यह दोनों शिलालेख कलकत्ता संग्राहलय में सुरक्षित है।
  • बौद्ध धर्म से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए 634 ई. में चीनी यात्री हेवनसांग बैराठ ह्वेनसांग को यहाँ पर बौद्ध मठ के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। यह साक्ष्य भग्नावेश अवस्था (जर्जर अवस्था) में थे। इस अवस्था के लिए ह्वेनसांग हूण शासक मिहिर कुल को जिम्मेदार मानता है।
  • ह्वेनसांग की पुस्तक का नाम सी-यू-की है।
  • यहाँ से एक सूती कपड़े में बंधी हुई 36 मुद्राएँ प्राप्त हुई है। इनमें से 28 मुद्राएँ प्राप्त हुई है। इनमें से 28 मुद्राएँ इण्डोग्रीक शासकों की व 8 मुद्राएँ आहत व पंचमार्क मुद्राए थी।
  • जयपुर के शासक रामसिंह द्वितीय के समय बैराठ में खुदाई कार्य करवाया गया। जिसमें एक स्वर्ण मंजूषा (पेटी) प्राप्त हुई है। इस मंजूषा में महात्मा बुद्ध के अवशेष मिले है।
  • मुगल शासक अकबर ने बैराठ में सिक्के ढालने की टकसाल का निर्माण करवाया है। इस टकसाल में जहाँगीर व शाँहजहा ने सिक्कों का निर्माण करवाया है।
  • अकबर व आमेर के शासक भारमल की प्रथम भेंट बैराठ नामक स्थान पर ही हुई।





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Comments Dinesh Kumar meena on 16-09-2022

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Virendra rathore on 18-11-2021

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Carnal jemas tod kon h on 02-09-2021

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Mahendra bhinchar on 19-03-2021

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