Rajasthan Kashtkari Adhiniyam pdf राजस्थान काश्तकारी अधिनियम pdf

राजस्थान काश्तकारी अधिनियम pdf



Pradeep Chawla on 29-09-2018

धारा 1 संक्षिप्त शीर्षक तथा प्रारम्भ
(1) यह अधिनियम राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 कहलायेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण राजस्थान राज्य में होगा।
(3) यह उस तारीख से प्रभावशील होगा जो राज्य सरकार इस संबंध मंे राजकीय राजपत्र में अधिसूचना के द्वारा नियत करे।

टिप्पणी- यह अधिनियम दिनांक 15 अक्टूबर 1955 से लागू हो गया। आबू, अजमेर और सुनेल क्षेत्र के लिए यह 15 जून 1958 से लागू हुआ।

धारा 5 परिभाषाएं
(1) कृषि वर्ष - कृषि वर्ष से अभिप्राय 1 जुलाई से प्रारम्भ होकर आगामी 30 जून को समाप्त होने वाले वर्ष से होगा।
(2) कृषि - कृषि में उद्यान कार्य, पशुपालन, दुग्धशाला और कुक्कुट पालन तथा वन विकास सम्मिलित होगा।
(3) काश्तकार - काश्तकार से मतलब ऐसे व्यक्ति से होगा जो कृषि से स्वयं अपने आप अथवा नौकरों या आसामियों के द्वारा पूर्णतः अथवा मुख्यतः अपना जीवन निर्वाह करता है।

CASE LAW:-
वी.के. ओ नोलीकोड बनाम एम. के.गोपाल
आर.आर.डी. 1966
यदि किसी व्यक्ति द्वारा अपनी भूमि का विक्रय कर दिया जाता है तो ऐसा व्यक्ति विक्रय के पश्चात् कृषक नहीं रह जाता है।

(4) सहायक कलक्टर - सहायक कलक्टर से मतलब राजस्थान टेरीटोरियल डिवीजन्स आर्डिनेंस, 1949 के अन्तर्गत अथवा तत्समय प्रवृत किसी अन्य कानून के अन्तर्गत नियुक्त किए गए सहायक कलक्टर से होगा।

(5) बिस्वेदार - बिस्वेदार से मतलब ऐसे व्यक्ति से होगा जिसे राज्य के किसी भाग में कोई गाँव अथवा गाँव का कोई बिस्वेदार पृथानुसार दिया जाता है तथा जो अधिकार अभिलेख (मिसल हकीयत) में बिस्वेदार अथवा स्वामी के रूप में दर्ज किया जाता है और उसमें अजमेर क्षेत्र का खेवटदार सम्मिलित होगा।

CASE LAW:-
भौरेलाल बनाम मंगलिया
आर.आर.डी. 1972 पृष्ठ 327
यदि किसी बिस्वेदार का नाम सरकार में बिस्वेदारी आने के दिनांक को वार्षिक रजिस्टरों में खुदकाश्त के रूप में दर्ज नहीं था तो बन्धक मोचन के लिए दावा नहीं लाया जा सकता है।

(6) बोर्ड - बोर्ड से मतलब राजस्थान बोर्ड आॅफ रेवेन्यू आर्डिनेन्स, 1949 के अन्तर्गत या तत्समय प्रवृत किसी अन्य कानून के अन्तर्गत राज्य के लिये स्थापित तथा गठित राजस्व मण्डल से होगा।
(6क) अधिकतम क्षेत्र - अधिकतम क्षेत्र से सम्पूर्ण राज्य में कहीं भी किसी व्यक्ति द्वारा किसी भी हैसियत में धारित भूमि के उस अधिकतम क्षेत्र से होगा जो कि उक्त व्यक्ति के ंप्रसंग में धारा 30-ग के अन्तर्गत नियत किया जा सके।
(7) कलक्टर - कलक्टर से मतलब राजस्थान टेरीटोरियल डिवीजन्स आर्डिनेन्स, 1949 के अन्तर्गत या तत्समय प्रवृत किसी अन्य कानून के अन्तर्गत नियुक्त किये गये कलक्टर या अतिरिक्त कलक्टर से होगा।
(8) आयुक्त - आयुक्त से किसी संभाग का आयुक्त अभिप्रेत है और इसमें अपर आयुक्त सम्मिलित होगा।
(9) फसल- फसलों में छोटे वृक्ष, झाडियों, पौधे तथा बेलें जैसे गुलाब की झाडियाँ, पान की बेलें, मेंहदी की झाडियाँ, केले तथा पपीत सम्मिलित होंगे परन्तु उसमें चारा व प्राकृतिक उपज शामिल नहीं होगा।
म्हाराजा बनाम नाथा
आर.आर.डी. 1958 पृष्ठ 61
फसल के अन्तर्गत चारा व प्राकृतिक पैदावार सम्मिलित नहीं होते हैं।

(10) भू-सम्पत्ति - भू-सम्पत्ति से मतलब जागीरदार प्रथा धारित जागीरदार या जागीर भूमि में हित से होगा और उसमें बिस्वेदार या जमीनदार (अथवा भू-स्वामी) द्वारा धारित भूमि या भूमि में हित सम्मिलित होगा।
(11) भू-सम्पत्ति-धारक - भू-सम्पत्ति-धारक से मतलब इस अधिनियम के प्रारम्भ होने के समय सम्पूर्ण राज्य या उसके किसी भाग में जागीर भूमियों या जागीरदारों के संबंध में प्रवृत किसी अधिनियम, अध्यादेश, विनियम, नियम, आदेश, संकल्प, अधिसूचना या उपनियम से होगा और इसमें-
(ए) इस अधिनियम के पा्ररम्भ के समय सम्पूर्ण राज्य या उसके किसी भाग में उक्त जागीर भूमियों या जागीरों के संबंध में प्रवृत तथा विधि-बल रखने वाली कोई रीति या रिवाज, और
(बी) जागीर भूमियों का अनुदान करने वाले अथवा उनके अनुदान को मान्यता प्रदान करने वाले किसी आदेश अथवा लिखित में अन्तर्विष्ट प्रतिबंध तथा शर्तैं सम्मिलित होंगी।

(11क) उपखण्ड - उपखण्ड से मतलब भूमि के ऐसे टुकड़े से होगा जो विहित न्यूनतम क्षेत्रफल से कम न हो।
(12) अनुदान - अनुदान से मतलब राज्य के किसी भाग में भूमि धारण करने या भूमि में हित रखने के अनुदान अथवा अधिकार से होगा और वह व्यक्ति जिसे उक्त अधिकार दिया जाय उसका अनुदान ग्रहीता कहलायेगा।

(13) अनुकूल लगान दर पर अनुदान - अनुकूल लगान दर पर अनुदान से मतलब राज्य के किसी भी भाग में ऐसे लगान पर किये गये अनुदान से होगा जो स्वीकृत लगान दर के अनुसार संगणित उसके लगान से कम हो तथा जिसमें अनुदान की शर्तों के अनुसार अध्याय 9 के अन्तर्गत हेर फेर न किया जा सके और ऐसे अनुदान ग्रहीता को अनुकूल लगान दर पर अनुदानग्रहीता कहा जाएगा। इस अभिव्यक्ति में सुनेल क्षेत्र का रियायत ग्रहीता भी सम्मिलित माना जाएगा।

(15) उपवन भूमि - उपवन भूमि से तात्पर्य राज्य के किसी भाग में भूमि के किसी विशिष्ट टुकड़े से होगा जिस पर वृक्ष ऐसी संख्या में लगे हुए हों कि उक्त भूमि को अथवा उसके किसी अधिकांश भाग को किसी अन्य कृषि-प्रयोजन के लिए मुख्यतया काम में लाने से रोकते हों अथवा पूर्णतः बढ़ जाने पर रोकेंगे और तत्रूपेण लगाये गये वृक्ष उपवन के रूप में होंगे।

(16) उच्च न्यायाल - उच्च न्यायालय से मतलब राजस्थान उच्च न्यायालय से होगा।
(17) भूमि-क्षेत्र - भूमि-क्षेत्र से मतलब भूमि के एक या अधिक खण्डों से होगा जो कि एक पट्टे, बंधन या अनुदान के अधीन अथवा ऐसे पट्टे, बन्धन या अनुदान के न होने की दशा में, एक धारणाधिकार के अधीन धृत हो या हों और उसमें, इजारेदार या ठेकेदार के प्रसंग में इजारे अथवा ठेके का क्षेत्र सम्मिलित होगा।

परन्तु किसी व्यक्ति द्वारा सम्पूर्ण राजस्थान में कहीं भी एक पट्टे, बन्धन, अनुदान या धारणा के अधिकार के अधीन धृत भूमि के सभी भाग चाहे उन्हें वह स्वयं जोतता हो या किराए पर या शिकमी किराए पर देता हो, अध्याय 3 ख के प्रयोजनों हेतु, उसे उसका भूमि क्षेत्र माना जावेगा और जहाँ इस प्रकार की भूमि एक से अधिक व्यक्तियों के द्वारा सह-आसामियों सह भागियों की हैसियत से प्रदान की गई हो, ऐसे व्यक्तियों में से प्रत्येक का हिस्सा उसका अलग भूमि क्षेत्र माना जायेगा चाहे उसका बंटवारा हुआ हो या न हुआ हो।
मुरारीलाल बनाम रामरख
किसी भूमि क्षेत्र के अन्तर्गत धीरे धीरे वृद्धि हो तो वह भूमि क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है।

(18) इजरा या ठेका - इजारा या ठेका से तात्पर्य लगान की वसूली हेतु दिए गये फार्म अथवा पट्टे से क्षेत्र जिसके बारे में इजारा ठेका है, इजारा या ठेका क्षेत्र कहलाएगा एवं इजारेदार अथवा ठेकेदार से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से होगा जिसको इजारा या ठेका दे दिया जाय।

(19) सुधार - सुधार से तात्पर्य आसामी के भूमि-क्षेत्र के संबंध में निम्नप्रकार से होगा-
(क) किसी आसामी के द्वारा स्वयं के निवास हेतु भूमि-क्षेत्र में बनाया रहने का भवन अथवा उसके द्वारा अपने भूमि-क्षेत्र में बनाया गया अथवा स्थापित किया हुआ पशुओं का बाड़ा, भण्डार गृह अथवा कृषि प्रयोजनार्थ कोई अन्य प्रकार का निर्माण,
(ख) ऐसा कोई भी कार्य जिससे ऐसी भूमि-क्षेत्र की कीमतों में महत्वपूर्ण वृद्धि हो जाव और जो उस प्रयोजनार्थ सुसंगत होवे जिसके लिए वह भूमि-क्षेत्र किराये पर दिया जावे और इस भाग के पहले के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, उसमें-
(1) कृषि प्रयोजनार्थ पानी के संग्रह करने प्रदाय या वितरण करने के लिए तालाबों, बंधो, कुआंे, नालों एवं अन्य प्रकार के साधनों का निर्माण,
(2) भूमि स ेजल बाहर आने के लिए बाढ़ों, मिट्टी की कटाई या पानी से हाने वाले अन्य नुकसान से उसकी रक्षा करने हेतु विभिन्न साधनों का निर्माण,
(3) भूमि का विभिन्न तरीकों से सुधार करना, सफाई करना, घेरा बांधना, बराबर करना अथवा ऊँचा करना,
(4) भूमि क्षेत्र के एकदम पास ऐसी किसी भूमि पर जो कि ग्राम की आबादी में न हो, भूमि-क्षेत्र के सुविधा युक्त लाभप्रद उपयोग हेतु निवास हेतु जरूरी भवन,
(5) ऊपर दिये गये कार्यों में से किसी का नवीनीकरण या पुनर्निर्माण अथवा उनमें ऐसे किसी परिवर्तन या परिवर्द्धन जो सिर्फ मरम्मत के ढंग के न हों, शामिल होंगे।

परन्तु इस प्रकार के अस्थायी कुएं, नाले, बंध, बाड़े अथवा अन्य कार्य जो आसामियों के द्वारा साधारणतया खेती के क्रम में बनाये जाते हैं, शामिल नहीं माने जावेंग।
रामप्रताप बनाम भीमसिंह
आर.आर.डी. 1964 पृष्ठ 138
काश्तकार द्वारा अपने क्षेत्र के अन्तर्गत कुए का निर्माण करना सुधार की परिभाषा में आता है।

(20) विलापित।
(21) जागीरदार - जागीरदार से तात्पर्य ऐसे भी किसी व्यक्ति से है जो कि राज्य के किसी स्थान में जागीर-भूमि या जागीर भूमि में हितों का धारण करता हो तथा किसी लागू जागीर कानून के अधीन जागीरदार के रूप में मान्य हो एवं उसमें जागीरदार से जागीर भूमि का अनुदानग्रहीता भी शामिल होगा, जिसमेंया जिसके बारे में जागीरदार को भू-राजस्व अथवा अन्य किसी राजस्व के विषय में अधिकार प्राप्त होते हैं।

(23) खुदकाश्त - खुदकाश्त से तात्पर्य राज्य के किसी भाग में किसी भी भू-सम्पत्तिधारी के द्वारा स्वयं द्वारा काश्त की गई भूमि से है और उसमें-
(1) इस प्रकार की भूमि जो कि इस अधिनियम के लागू होने के समय बन्दोबस्त अभिलेखों में खुदकाश्त ,सीर हवाला, निजी जोत घर खेड़ के रूप में उस समय जबकि उक्त अभिलेख तैयार किये गये हों, उस समय लागू विधि के अनुसार दर्ज की हुइ थी।
(2) ऐसे प्रारम्भ के बाद राज्य के किसी भी भाग में उस समय लागू किसी ऐसी विधि के अधीन, खुदकाश्त के रूप आवंटित की गई भूमि सम्मिलित होगी।

CASE LAW:-
कन्हैयालाल बनाम चिरमाली
आर.आर.डी. 1978 पृष्ठ 529
किसी भूमि को खुदकाश्त तभी माना जावेगा जब उसकी राज्य सरकार में निहित होने से पूर्व की तिथि में वार्षिक अभिलेखों में खुदकाश्त की प्रविष्टि हो।
स्टेट बनाम सोना
आर.आर.डी. 1979 पृष्ठ 577
खुदकाश्त की भूमि तभी मानी जायगी जब ऐसी प्रविष्टि रिकार्ड में हो।

(24) भूमि - भूमि से तात्पर्य ऐसी भूमि से होगा जो कृषि संबंधी कार्यों या तद्धीन ऐसे अन्य कार्यों अथवा उपवन अथवा चारागाह हेतु पट्टे पर दी जाये या धारित की जाये एवं उसमें भूमि क्षेत्र बनाये गये भवनों या बाड़ों की भूमि उस पानी से ढकी भूमि शामिल होगी, जो सिंचाई हेतु सिंघाड़ा अथवा तत्समान अन्य किसी उपज को उगाने हेतु काम में ली जा सके किन्तु उसमें आबादी भूमि शामिल नहीं होगी, उसमें भूमि संलग्न किसी भी चीज से स्थाई रूप में संबंधित वस्तुओं से होने वाले फायदे शामिल माने जायेंगे।

CASE LAW:-
समदकंवर बनाम स्टेट
आर.आर.डी. 1978 पृष्ठ 192
फेकरी के अहाते में आ जाने के बाद भी अहाते में ली गई भूमि खातेदार की जोत का ही अंश माना जायगा जब तक उसका अकृषि भूमि में रूपान्तरण न हो।
ब्रदी बनाम मोड़ा
आर.आर.डी. 1979 पृष्ठ 924
खेती की सिंचाई के निमित बनाया गया कुआं भी कृषि भूमि की परिभाषा में आवेगा।
(25) ऐसी भूमि जिसमें खुदकाश्त न की गई हो- ऐसी भूमि जिसमें खुदकाश्त न की गई हो से तात्पर्य उसके समस्त व्याकरण के संबंध रूपान्तरणों एवं अन्य इस प्रकार अभिव्यक्तियों सहित तात्पर्य उस भूमि से है जो स्वयं किसी व्यक्ति के लिए-
(1) उसके स्वयं के श्रम से अथवा
(2) उसके परिवार के सदस्यों के श्रम से अथवा
(3) उसकी व्यक्तिगत अथवा उसके परिवार के किसी भी सदस्य की देखरेख में किराये के मजदूरों से नौकरी से जिनकी मजदूरी नकद रूप में या जिन्स में दी जानी हो किन्तु फसल के भाग के रूप में नहीं काश्त की गई है।

किन्तु ऐसे व्यक्ति की दशा में जो कि विधवा हो, अथवा अवयस्क हो, अथवा किसी भी तरह की शारीरिक मानसिक रूप से अयोग्य हो अथवा भारतीय सेना, नौ सेना, हवाई सेना का सदस्य हो या राज्य सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्था का विद्यार्थी हो एवं आयु में 25 वर्ष से कम हो, भूमि, उपरोक्त प्रकार व्यक्तिगत देखरेख के अभाव में भी स्वयं के लिये काश्त की हुई मानी जावेगी।

(25क) भू-स्वामी - भू-स्वामी से तात्पर्य राजस्थान लैण्ड एक्वीजीशन आॅफ लैण्ड ओनर्स एस्टेट्स एक्ट, 1963 की धारा 2 के खण्ड (ख) में परिभाषित भू-सम्पत्ति को, अपनी स्वयं की या निजी सम्पत्तियों के बारे में प्रसंविदा के अनुसार किये गये और केन्द्रीय सरकार द्वारा आखरी रूप से अनुमोदित समझौते के अध्याधीन और उसके अनुसार, धारित करने वाले, राजस्थान की प्रसंविदाओं के अन्तर्गत रियासतों के राजा से है।

(26) भूमि धारी - भूमि धारी से तात्पर्य राज्य के किसी ऐसे भाग में, उस व्यक्ति से है जो चाहे जिस भी नाम से जाना जावे जो लगान देता है अथवा जिसे व्यक्त या गर्भित करार के अभाव में, लगान देना होगा और उसमें निम्न शामिल हैं:-
(1) भू-सम्पत्तिधारी,
(2) उचित लगान दर पर अनुदान-ग्रहीता,
(3) उप-पट्टे की दशा में, मुख्य आसामी जिसने भूमि शिकवी-किराये पर उठाई हो अथवा उसका बंधकग्रहीता,
(4) अध्याय 9 तथा 10 के प्रयोजनार्थ इजारेदार या ठेकेदार, और
(5) साधारणतया प्रत्येक व्यक्ति जो प्रकृष्टधारी (सपुीरियर होल्डर) है, उन व्यक्तियों के प्रसंग में जो भूमि सीधे उससे लेकर या उसके अधीन धारण करते हों।
(26क) भूमिहीन व्यक्ति - भूमिहीन व्यक्ति से तात्पर्य एक व्यवसायह करने वाले कृषक से है जो खुद भूमि काश्त करता है या जिससे उचित रीति से काश्त करने की आशा की जा सकती है परन्तु जो अपने खुद के नाम से या अपने सम्मिलित परिवार के किसी सदस्य के नाम से भूमि धारण नहीं करता है या एक टुकड़ा (फ्रेगमेंट) रखता है।

CASE LAW:-
अन्तरबाई बनाम बाधासिंह
आर.आर.डी. 1979 पृष्ठ 257
ऐसे काश्तकार की जिसने सीलिंग से अधिक भूमि राज्य सरकार को समर्पित कर दी और अपनी शेष भूमि बेच दी भूमि आवंटन हेतु भूमिहीन नहीं माना जाएगा।

सलीम बनाम राज्य
आर.आर.डी. 1982 पृष्ठ 520
राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के प्रावधान किसी भी धर्म से संबंधित व्यक्ति पर लागू होते हैं।
नारायन बनाम राज्य
आर.आर.डी. 1982 पृष्ठ 522
पिता से अलग रहने पर उसे संयुक्त परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता है।

(26 क क) मालिक - मालिक से तात्पर्य किसी जमीनदार अथवा बिस्वेदार से है जो, राजस्थान जमीनदारी एवं बिस्वेदारी एबोलीशन एक्ट, 1959 के अन्तर्गत अपनी भू-सम्पत्ति के राज्य सरकार में निहित हो जाने पर, अपने द्वारा धारण स्वयं काश्त भूमि का उक्त अधियिम की धारा 29 के अन्तर्गत स्वामी बन जाता है।

(26ख) भारत की सेना, नौ-सेना अथवा हवाई सेना सदस्य - भारत की सेना, नौ-सेना अथवा हवाई सेना सदस्य या संघ की सशस्त्र सैन्य बल का सदस्य में राजस्थान आर्म्ड कांस्टेबुलरी का सदस्य सम्मिलित है।

(27) अधिवासित भूमि - अधिवासित भूमि से तात्पर्य ऐसी भूमि से होगा जो किसी आसामी को कुछ समय के लिए किराये पर दी गई हो एवं उनक कब्जे में हो। उसके अन्तर्गत खुदकाश्त भूमि भी सम्मिलित होगी तथा अनधिवासित भूमि से तात्पर्य उस भूमि से होगा जो कब्जे में नहीं है।

CASE LAW:-
नरजी बनाम अमोलकसिंह
आर.आर.डी. 1982 पृष्ठ 237
अतिक्रमी के कब्जे की भूमि अधिवासित भूमि नहीं है।
हरपाल बनाम काना
आर.आर.डी. 1982 पृष्ठ 584
आवंटन के द्वारा अतिक्रमी के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा।

(28) गोचर भूमि - गोचर भूमि से तात्पर्य ऐसी भूमि से होगा जो गाँव या गाँवों के पशुओं को चराने के काम में आती हो या जो इस अधिनियम के प्रभाव में आने के समय बन्दोबस्त अभिलेख में ऐसी भूमि दर्ज हो अथवा उसके पश्चात् राज्य सरकार द्वारा निर्मित नियमों के अनुसार ऐसी भूमि दर्ज हो अथवा उसके पश्चात् राज्य सरकार द्वारा निर्मित नियमों के अनुसार ऐसी भूमि के रूप में सुरक्षित रखी गई हो,

(29) भुगतान - भुगतान जिसमें व्याकरण के अनुसार उसके समस्त रूपान्तर तथा संबंधित अभिव्यक्तियाँ समाविष्ट हैं, में जब लगान के संबंध में प्रयोग में लाया जाय, ‘‘दे देना’’ जिसमें व्याकरण के अनुसार समस्त रूपान्तर तथा संबंधित अभिव्यक्तियाँ समाविष्ट हैं, सम्मिलित होगा।

(30) निर्धारित - निर्धारित से तात्पर्य इस अधिनियम के अन्तर्गत निर्मित नियमों के द्वारा निर्धारित से होगा।

(31) पंजीयित - पंजीयित से तात्पर्य इण्डियन रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के अन्तर्गत पंजीयित से होगा और उसमें इस अधियिम की धारा 33 के अन्तर्गत ’’प्रमाणीकृत’’ सम्मिलित होगा।

(32) लगान - लगान से तात्पर्य उससे होगा जो कुछ भी भूमि के उपयोग या अधिवास या भूमि में किसी अधिकार के लिये नकद या जिंस अंशतः नकद और अंशतः जिन्स के रूप में देय और जब तक कोई विपरीत तात्पर्य प्रकट न हो इसमें ’’सायर’’ सम्मिलित होगा।

CASE LAW:-
गुमानसिंह बनाम परवतसिंह
आर.आर.डी. 1956 पृष्ठ 77
सेवा को लगान नहीं माना जा सकता है।

(33) विलोपित।
(34) राजस्व - राजस्व से तात्पर्य भू-राजस्व से होगा अर्थात् भूमि को या उसमें से किसी हित या भूमि के उपयोग के संबंध में किसी भी कारण से सीधा राज्य सरकार को भुगतान किये जाने योग्य वार्षिक योग और उसमें अभिहस्तांकित भू-राजस्व सम्मिलित होगा।

(34क) राजस्व अपील प्राधिकारी - राजस्व अपील प्राधिकारी से तात्पर्य राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम,1956 की धारा 20 क के अन्तर्गत ऐसे अधिकारी के रूप में नियुक्त किये गये अधिकारी से होगा।

(35) राजस्व न्यायालय - राजस्व न्यायालय से तात्पर्य ऐसे न्यायालय या पदाधिकार से होगा जो कृषक किरायेदारियों, लाभों तथा भूमि संबंधी अन्य मामलों अथवा भूमि में किसी अधिकार या अनिहित हित के विषय में ऐसे दावों या अन्य कार्यवाहियों को जिसमें उक्त न्यायाल या पदाधिकारी से न्यायपूर्वक कार्य करना अपेक्षित हो, स्वीकार करने की अधिकारिता रखता हो, उसमें बोर्ड तथा उसका प्रत्येक सदस्य राजस्व अपील अधिकारी, कलक्टर, सब डिवीजनल आफसिर, सहायक कलक्टर, तहसीलदार या कोई अन्य राजस्व पदाधिकारी जब कि वह इस प्रकार कार्य कर रहा हो, सम्मिलित होगा।

(36) राजस्व पदाधिकारी - राजस्व पदाधिकारी से तात्पर्य ऐसे पदाधिकारी से होगा जो राजस्व और लगान संबंधी कार्य करता हो या कार्य में राजस्व संबंधी रेकार्ड रखता हो।

(37) सायर - सायर में वह सब सम्मिलित है जो कुछ अनुज्ञाधारी या पट्टेधारी द्वारा अनधिवासित भूमि से ऐसी उपज जैसे घास,फूस, लकड़ी, ईंधन, फल, लाख , गोंद, लूंग, पाला, पन्नी, सिंघाड़ा या ऐसी कोई वस्तु या ऐसा कूड़ा कर्कट जैसे भूमि पर फैली हड्डियाँ या गोबर उठाने के अधिकार के कारण या मछली पकड़ने के अधिकार के कारण या वन अधिकारों या अप्राकृतिक साधनों से सिंचाई के प्रयोजनार्थ पानी लेने के कारण भुगतान किया जाना हो। भूमिधारी की भूमि से होने वाली आय से जो भुगतान किया जाता है, वह सायर होता है।

(37क) अनुसूचित जाति - अनुसूचित जाति से तात्पर्य संविधान (अनुसूचित जातियाँ) आदेश 1950 के भाग 14 के अन्तर्गत कोई भी जाति, प्रजाति या जन जाति से जातियों या जन जातियों के सदस्यों या उनमें समूहों से होगा।

(37ख) अनुसूचित जनजाति - अनुसूचित जनजाति से तात्पर्य संविधान (अनुसूचित जनजातियाँ) आदेश 1950 के भाग 12 के अन्तर्गत कोई भी जनजाति, जनजाति समुदायों से या जनजातियों या जनजाति समुदायों के भाग से या उनके समूहों से होगा।

(38) बन्दोबस्त - बन्दोबस्त से तात्पर्य लगान या राजस्व या दोनों के बन्दोबस्त या पुनः बन्दोबस्त से होगा और उसमें राजस्थान लैण्डस् समरी सैटिलमैण्ट एक्ट, 1953 के अन्तर्गत संक्षिप्त बन्दोबस्त भी सम्मिलित होगा।

(39) राज्य - राज्य से तात्पर्य राजस्थान राज्य जैसा कि स्टेट्स री-आर्गेनाइजेशन एक्ट, 1956 की धारा 10 द्वारा गठित है, से होगा।

(40) उपखण्ड अधिकारी - उपखण्ड अधिकारी से तात्पर्य राजस्थान टेरिटोरियल डिवीजन आर्डिनेन्स, 1949 के या उस समय प्रभावशील अन्य किसी कानून के अन्तर्गत एक या अधिक सब-डिवीजनों के प्रभारी सहायक कलक्टर से होगा और उसमें अध्याय 3ख के प्रयोजन के लिये, जिस जिले में वह उस समय पदस्थापित हो, उसके सारे सब डिवीजनों के लिए सहायक कलक्टर सम्मिलित होगा।

(41) शिकमी आसामी - शिकमी आसामी से तात्पर्य राज्य के किसी भाग में चाहे किसी भी नाम से जानने वाले ऐसे व्यक्ति से होगा जो भूमि के आसामी से लेकर भूमि धारण करता है और जिसके द्वारा लगान, व्यक्त या विवक्षित संविदा के अभाव में दिया जाता है। जिसमें मालिक अथवा भू स्वामी से भूमि धारण करने वाला आसामी सम्मिलित है ।

(42) तहसीलदार - तहसीलदार से तात्पर्य राजस्थान टेरिटोरियल डिवीजन आर्डिनेन्स, 1949 के या उस समय प्रभावशील अन्य किसी कानून के अन्तर्गत नियुक्त किये गये तहसीलदार होगा।

(43) आसामी - आसामी से तात्पर्य उस व्यक्ति से होगा जो लगान देता है या किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संविदा के अभाव में देगा।
और उसमें सिवाय उस अवस्था के जबकि विपरीत आशय प्रकट हो, निम्न भी शामिल होते हैं:-
(क) आबू क्षेत्र में स्थायी आसामी या संरक्षित आसामी।
(ख) अजमेर क्षेत्र में, भूतपूर्व स्थायी आसामी या अधिवासी आसामी या वंश परम्परागत आसामी या अनधिवासी आसामी या भू-स्वामी या काश्तकार।
(ग) भूतपूर्व स्वामी, आसामी या एक पक्का आसामी या एक साधारण आसामी, सुनेल क्षेत्र में,
(घ) एक सह आसामी,
(ङ) एक उपवनधारी,
(च) एक ग्राम सेवक,
(चच) एक भू-स्वामी से धारण करने वाला आसामी,
(छ) एक खुदकाश्त का आसामी,
(ज) एक काश्तकारी के अधिकारों का बंधक ग्रहीता और
(झ) एक शिकमी आसामी,

परन्तु अनुकूल लगार दर पर अनुदानग्रहीता या इजारेदार या ठेकेदार या अतिक्रमी सम्मिलित नहीं होंगे।

CASE LAW:-
सोहनसिंह बनाम लाला
आर.आर.डी. 1981 पृष्ठ 560
काश्तकारी के अधिकारों का बन्धकगृहीता एक आसामी है न कि अतिक्रमी। बिना कानूनी प्रक्रिया के उसे बेदखल करने पर वह प्रतिरक्षा पाने का अधिकारी है।

(44) अतिक्रमी - अतिक्रमी से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से होगा जो भूमि का कब्जा बिना अधिकार प्राप्त किये बनाए रखता है अथवा भूमि पर अन्य व्यक्ति को जिसे ऐसी भूमि विधि अनुसार पट्टे पर दी गई है, कब्जा करने से रोकता है।

CASE LAW:-
यादराम बनाम बिट्टी बाई
आर.आर.डी. 1978 पृष्ठ 147
खातेदार की इच्छा के विरूद्ध उपकृषक यदि पांच साल बाद भूमि पर बना रहता है तो उस भूमि पर उपकृषक का कब्जा साधिकार नहीं है।

आर.आर.डी. 1979 एन.ओ.सी. 37
उपकृषक जो अवधि समाप्त होने पर भी खातेदार की भूमि पर बना रहता है, तो वह अतिक्रमी नहीं है।

आर.आर.डी. 1979 पृष्ठ 221
जहाँ भूमि मैनेजिंग आफीसर पुर्नवास द्वारा वितरित की है उस पर काबिज कृषक अतिक्रमी नहीं है।



(45) ग्राम सेवा अनुदान - ग्राम सेवा अनुदान से तात्पर्य राज्य के किसी हिस्से में चाहे किसी भी नाम से जानने वाले ऐसे अनुदान से होगा जो ग्राम समुदाय के लिये या ग्राम प्रशासन के संबंध में किसी विनिर्दिष्ट सेवा के एवज में अथवा उसके परिश्रम के रूप में या तो लगान मुक्त या अनुकूल लगान दर पर अथवा अन्य शर्तों पर दिया जावे और ऐसे अनुदान का गृहीता ‘‘ग्राम सेवक’’ कहलायेगा।

(46) जमींदार - जमींदार से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से होगा जिसे राज्य के किसी हिस्से में कोई गाँव या किसी गाँव का हिस्सा, जमींदारी प्रथा के अनुसार बन्दोबस्त में दिया जाय और ऐसा जमींदारों के रूप में अधिकार अभिलेख में दर्ज किया जाये और उसमें सुनेल क्षेत्र के संबंध में, यदि कोई हो, मध्य भारत जमींदारी एबोलिशन अधिनियम संख्या 2008 की धारा 2 के खण्ड (क) में परिभाषित स्वामी सम्मिलित होगा।

(47) नालबट - नालबट से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा किसी कुए के स्वामी को, उस कुए को सिंचाई के प्रयोजनार्थ प्रयोग करने के लिए नकदी या जिन्सों के रूप में भुगतान करने से होगा।




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Comments GOVIND RAM BHATI on 27-03-2024

SAMAT 2010 ME KHUD KAST KI JAMIN HAI SAN 1971 ME USHI JAMIN KI RAGISTRI MERE PITAJI KE NAAM HAI JO KHARID KI HUI HAI AB 2011 ME TAHSIL DAR NOTIS DETA HAI KI YE JAMIN DOLI KI HAI AAP BATAYE KYA KARE REFRENCE KE DAWARA NOT LAGA DIYA HAI TAHSIL ME BATAYE KYA KRA

तबथडद on 20-02-2024

धारा 212

Ram on 15-02-2024

Jamin ka 50 Sal se khatadari me nam he log bol rehe he Doli Ki Jamin he kya kre


Mukesh k. on 14-10-2023

St ki krshi bhumi sc kharid sakta h kya

Raajn on 21-06-2023

khet ko bhaiyon me bant diya.. barabar..barabar..
ab ek bhai dusre bhai ko apne khet se rasta nahi de raha h...wo raste ke badle raste jitni jamin ki mang karta h... kya kare

rajendra kumar sharma on 18-05-2023

मेरे खेत के पास नदी की जमीन पर पहला हक़ किस नियम के तहत किसका होता हे यदि कोई ४ किमी दूर का निवासी जबरन अधिकार जमाये तो किस नियम में किसे आवेदन देना होगा और उस पर क्या कारवाही हो सकती हे


थ on 04-01-2023

सन 1952 से पहले खेत सती माता डोली थि सन 1955 से मिल बंदोबस्त खुद खासतौर दर्ज हो गया जब कि हम


Ram dhan on 28-08-2022

Rasta niyam kya h



Ratan Lal Gadri on 14-04-2020

तहसीलदार द्वारा प्रशासन गांवों के संग अभियान आपसी सहमति से बटवारा हो गया था उसके 2 माह पश्चात एक पक्षकार तहसीलदार के सामने जा कर रूका दिया है और अपने हिस्से को अपने पुत्र को दान कर दिया है तो इसमे आदेश बंटवारा मे क्या करना चाहिए


Hemant bohra on 10-05-2020

Is tehsildar empowered to permit cutting of khejri trees for purpose of state development projects

थ on 15-05-2020

सन 1952 से पहले खेत सती माता डोली थि सन 1955 से मिल बंदोबस्त खुद खासतौर दर्ज हो गया जबमदि कि हम मदिर के पुजारी है

hemaram on 25-05-2020

MERE PURVAJO KI JAMIN HAI JO 1947 SE PURAV RAJAWADI SAMAY SE HAI V ISKI RASIDE BHI HAI.LEKIN 1955 SETTLEMET ACT ME KHATEDARI ME HAMARA NAME NAHI HAI.LEKIN YAH JAMIN EIGHT TUKDO ME HAI JISME DO TOKDO ME MERE BADE PITAJI KA NAMEKASATKARI ME NAME JO.DO KHASRA ME HAI UNKI KOI OLAD NAHI HAI.MERE PITAJI BHI GUJAR GAYE HAI.HAmare


hemaram on 01-10-2020

MERE PURVAJO KI JAMIN HAI JO 1947 SE PURAV RAJAWADI SAMAY SE HAI V ISKI RASIDE BHI HAI.LEKIN 1955 SETTLEMET ACT ME KHATEDARI ME HAMARA NAME NAHI HAI.LEKIN YAH JAMIN EIGHT TUKDO ME HAI JISME DO TOKDO ME MERE BADE PITAJI KA NAME KASATKARI ME NAME JO.DO KHASRA ME HAI UNKI KOI OLAD NAHI HAI.MERE PITAJI BHI GUJAR GAYE HAI.HMARE PAS GIRDAWARI KI RASID HAI JO MERE BADE PITAJI KE NAME HAI JAMIN HUM HI KAR RAHE HAI KABJA HAMARE PAS HAI LEKIN KHATEDARI ME NAME DUSRA ANE SE KHATEDARI VALA NE HAMARE UPER JAMIN LENE KE LIA MUKDAMA KAR DIYA HAI.OR KABJA JAMANA CHAHTA HAI HAMKO BEDAKAHL KARNA CHAHTA HAI.SETTLEMENT ME KASATKARI ME HAMARE PURVAJO KA NAME HAI.KIS NIYAM KE TAHAT HAMARE NAME JAMIN HOGI


Ram kumar meena on 14-11-2020

यदि पुराने रिकॉर्ड में धोरा व रास्ता नही दिया हुवा है खाते की जमीन से रास्ता व धोरा लेने की क्या प्रक्रिया है

विशनाराम on 21-12-2020

राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 के अनुसार क्या कोई खातेदार अपनी पैत्रक भूमि के सम्पूर्ण हिस्सा को दान कर सकता है यदि कर सकता है तो किसको कर सकता है


Devaram Bishnoi on 14-03-2021

कया तहसीलदार द्वारा पारित बंटवाड़ा आदेश स्थाई होता?

Dhanraj bheel on 27-06-2021

Hamri jameen pr jabrdasti se rasta nikaalaa jaa rhaa hai kya kre

Jagdish Sharma on 20-07-2021

Rajasthani kastkari adhiniyam ki konsi dhara h jiske tahat krishi bhumi ko haq tyag kar sake


Surya on 14-01-2022

RE PURVAJO KI JAMIN HAI JO 1947 SE PURAV RAJAWADI SAMAY SE HAI V ISKI RASIDE BHI HAI.LEKIN 1955 SETTLEMET ACT ME KHATEDARI ME HAMARA NAME NAHI HAI.LEKIN YAH JAMIN EIGHT TUKDO ME HAI JISME DO TOKDO ME MERE BADE PITAJI KA NAME KASATKARI ME NAME JO.DO KHASRA ME HAI UNKI KOI OLAD NAHI HAI.MERE PITAJI BHI GUJAR GAYE HAI.HMARE PAS GIRDAWARI KI RASID HAI JO MERE BADE PITAJI KE NAME HAI JAMIN HUM HI KAR RAHE HAI KABJA HAMARE PAS HAI LEKIN KHATEDARI ME NAME DUSRA ANE SE KHATEDARI VALA NE HAMARE UPER JAMIN LENE KE LIA MUKDAMA KAR DIYA HAI.OR KABJA JAMANA CHAHTA HAI HAMKO BEDAKAHL KARNA CHAHTA HAI.SETTLEMENT ME KASATKARI ME HAMARE PURVAJO KA NAME HAI.KIS NIYAM KE TAHAT HAMARE NAME JAMIN HOGI




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