analahaka
= अनलहक() (Analhak)
अनलहक संज्ञा पुं॰ [अ॰ अनलहक] मैं सत्य हूँ । मै ब्रह्मन हूँ । उ॰— दुई खुदी हस्ती जब मेटे निरंकार कहलैहों । गगन भूमि में राज हमारो, अनलहक धूम मचैहौं । —पलटू॰ बानी, भा॰ ३, पृ॰ ३ ।
अनलहक सूफियों की एक इत्तला (सूचना) है जिसके द्वारा वे आत्मा को परमात्मा की स्थिति में लय कर देते है। सूफियों के यहाँ खुदा तक पहुँचने के चार दर्जे है। जो व्यक्ति सूफियों के विचार को मानता है उसे पहले दर्जे क्रमश: चलना पड़ता है - शरीयत, तरीकत मारफत और हकीकत। पहले सोपान में नमाज, रोजा और दूसरे कामों पर अमल करना होता है। दूसरे सोपान में उसे एक पीर की जरूरत पड़ती है-पीर से प्यार करने की और पीर का कहा मानने की। फिर तरीकत की राह में उसका मस्तिष्क आलोकित हो जाता है और उसका ज्ञान बढ़ जाता है; मनुष्य ज्ञानी हो जाता है (मारफत)। अंतिम सोपान पर वह सत्य की प्राप्ति कर लेता है और खुद को खुदा में फना कर देता हैं। फिर 'दुई' का का भाव मिट जाता है,'मैं' और 'तुम' में अंतर नहीं रह जाता। जो अपने को नहीं सँभाल पाते वें 'अनलहक' अर्थात् 'मैं खुदा हूँ' पुकार उठते हैं। इस प्रकार का पहला व्यक्ति जिसने 'अनलहक' का नारा दिया वह मंसूर-बिन-हल्लाज था। इस अधीरता का परिणाम प्राणदंड हुआ। मुल्लाओं ने उसे खुदाई का दावेदार समझा और सूली पर लटका दिया।
अनलहक meaning in english
analahaka
meaning in Gujarati: અયોગ્ય
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meaning in Marathi: अयोग्य
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analahaka
meaning in Bengali: অনুপযুক্ত
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meaning in Telugu: తగని
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meaning in Tamil: பொருத்தமற்ற
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