chili = मिर्च(noun) (Mirch)
मिर्च संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ मरिच]
1. कुछ प्रसिद्ध तिक्त फलों और फलियों का एक वर्ग जिसके अंतर्गत काली मिर्च, लाल मिर्च और उनकी कई जातियाँ हैं ।
2. इस वर्ग की एक प्रसिद्ध तिक्त फली जिसका व्यवहार प्रायः स्रे संसार में व्यंजनों में मसाले के रूप में होता है और जिसे प्रायः लाल मिर्च और कहीं कहीं मिरचा, मरिचा या मिरचाई भी कहते हैं । विशेष—इस फली का क्षुप मकोय के क्षुप के समान, पर देखने में उसके अधिक झड़दार होता है, और प्रायः सारे भारत में इसी फली के लिये उसकी खेती की जाती है । इसके पत्तें पीछे की ओर चौड़े और आगे की ओर अनीदार होते हैं । इसके लिये काली चिकनी मिट्टी की अथवा बाँगर मिट्टी की जमीन अच्छी होती है । दुभ्मट जमीन में भी यह क्षुप होता है, पर कड़ी और अधिक बालूवाली मिट्टी इसके लिये उपयुक्त नहीं होती । इसकी वोआई असाढ़ से कार्तिक तक होती है । जाड़े में इसमें पहले सफेद रंग के फूल आते हैं तव फलियाँ लगती हैं । ये फलियाँ आकार में छोटी, बड़ी, लंबी, गोल अनेक प्रकार की होती हैं । कहीं कहीं इनका आकार नारंगी के समान गोल और कहीं कहीं गाजर के समान भी होता है पर साधारणतः यह उंगली के बराबर लंबी और उतनी ही मोटी होती है । इन फलियों का रंग हरा, पीला, काला, नारंगी या लाल होता है और ये कई महीनों तक लगातार फलती रहती हैं । प्रायः कच्ची दशा में इनका रंग हरा और पकने पर लाल हो जाता है । मसाले में कच्ची फलियाँ भी काम आती हैं और पकी तथा सुखाई हुई फलियाँ भी कुछ जाति की फलियाँ बहुत अधिक तिक्त तथा कुछ बहुत कम तिक्त होती है । अचार आदि में तो ये फलियाँ और मसालों के साथ डाली ही जाती हैं, पर स्वयं इन फलियों का भी अचार पड़ता है । इसके पत्तों की तरकारी भी बनाई जाती है । इसका स्वाद तिक्त होने के कारण तथा इसके गरम होने के कारण कुछ लोग इसका बहुत कम व्यवहार करते हैं अथवा बिलकुल ही नहीं करते । वैद्यक में यह तिक्त, अग्निदीपक, दाहजनक तथा कफ, अरुचि, विशूचिका, व्रण, आर्द्रता, तंद्रा, मोह, प्रलाप और स्वरभेद आदि की दूर करनेवाली मानी गई है । त्वचा पर इसका रस लगने से जलन होती है; और यदि इसका लेप किया जाय तो तुरंत छाले पड़ जाते हैं । इसके सेवन से हृदय, त्वचा, वृक्क और जननेंद्रिय में अधिक उतेजना होती है । पर यदि इसका बहुत अधिक सेवन किया जाय तो बल और वीर्य की हानि होती है । वैद्यक, हिकमत और डाक्टर
मिर्च meaning in english