Stall
= दुकूल() (Dukul)
दुकूल संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. क्षौम वस्त्र । सन या तीसो के रेशे का बना कपड़ा ।
२. महीन कपड़ा । बारीक कपड़ा ।
३. वस्त्र । कपड़ा । उ॰— खग मृग परिजन, नगर वन, बल कल विमल दुकूल । नाथ साथ सुरसदन सम, परनसाल सुख- मूल । —तुलसी (शब्द॰) ।
४. बौद्धों के शाम जातक के अनुसार शाम के पिता का नाम जो एक मुनि थे । विशेष— शाम जातक में लिखा है कि एक दिन दुकूल अपनी पत्नी परिखा के सहित फलमूल की खोज में बन में गए । वहाँ किसी दुर्घटना से दोनों अंधे हो गए । शाम दोनों को ढूँढ़कर बन से लाए और अनन्य भाव से दोनों की सेवा करने लगे । एक दिन संध्या की वे अंधे मातापिता को छोड़ नदी से जल लाने गए वहाँ किसी राजा ने मृग समझकर उनपर तीर चलाया । तीर लगने से शाम की मृत्यु हो गई । राजा शाम से अंधे मातापिता के पास आए और अन्होंने उनसे सब समाचार कह सुनाया । सबके सब मृत शाम के पास शोक करते पहुँचे । परिखा ने कहा यदि मेरा पुत्र सच्चा ब्रह्माचारी रहा हो ओर बुद्धदेव में उसकी सच्ची भक्ति रही हो तो मेरा पु्त्र जी जाय । इस प्रकार की सत्य क्रिया करने पर शाम जी उठे और एक देवी ने प्रकट होकट उनके माता पिता का अंधापन भी दूर किया । बौद्धों का यह आख्यान रामायण में दिए हुए अँधक मुनि के आख्यान का अनुकरण है जिसमें उनके पुत्र सिंधु को महाराज दशरथ ने मारा था । अंतर इतना था कि रामायण में दोनों अंधों का पुत्रशोक में प्राणत्याग करना लिखा है और शाम जातक मे शाम का जी उठना और अंधों ता दृष्टि पाना लिखा गया है ।
दुकूल meaning in english