Coloide
= कोलॉइड() (Coloid)
कलिल या कोलाइड एक रसायनिक मिश्रण होता है जिसमे एक वस्तु दूसरी वस्तु मे समान रूप से परिक्षेपित (dispersed) होती है। परिक्षेपित वस्तु के कण मिश्रण मे केवल निलम्बित रहते है ना कि एक विलयन की तरह (जिसमे यह पूरी तरह घुल जाते हैं)। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कलिल मे कणों का आकार विलयन मे उपस्थित कणों के आकार से बड़ा होता है - यह कण इतने छोटे होते हैं कि मिश्रण मे पूरी तरह परिक्षेपित हो कर एक समरूप मिश्रण तैयार करें, लेकिन इतने बडे़ भी नहीं होते हैं कि प्रकाश को प्रकीर्णित करें और ना घुलें। इस परिक्षेपण के चलते कुछ कलिल विलयन जैसे दिखते हैं। किसी कलिल प्रणाली की दो पृथक प्रावस्थायें होती हैं: पहली परिक्षेपण प्रावस्था (या आंतरिक प्रावस्था) और दूसरी सतत प्रावस्था (या परिक्षेपण माध्यम)। एक कलिल प्रणाली ठोस, द्रव या गैसीय हो सकती है। नीचे की तालिका मे एक समरूप और असमरूप मिश्रण मे कलिल के कणों का व्यास का तुलनात्मक विश्लेषण है। :इसलिए, कलिलीय निलम्बन, समरूप और असमरूप मिश्रणों के मध्यवर्ती होते हैं। कलिल के लिए अँग्रेजी में कॉलायड (colloid) शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह शब्द ग्रीक भाषा के कोला शब्द से बना है जिसका अर्थ 'सरेस' (glue) होता है। सन् १८६१ ई. में एक अँग्रेज वैज्ञानिक, टामस ग्राहम, ने देखा कि ऐल्ब्यूमिन, सरेस, गोंद, माँड़, सिलिसिक अम्ल और इसी प्रकार के अन्य पदार्थ जल में घोले जाने पर जैव झिल्ली के छिद्रों से छनकर नहीं निकल पाते। इसके विपरीत शर्करा, यूरिया, सोडियम, क्लोराइड इत्यादि के जलविलयन जैव झिल्ली के छिद्रों से निकल जाते हैं। पूर्व प्रकार के पदार्थ अधिकांश में अक्रिस्टलीय रूप में मिलते हैं इस गुण के आधार पर जल में विलेय पदार्थो का दो वर्गों में विभाजन किया गया: एक वे पदार्थ, जो क्रिस्टलीय थे और जल में विलयन के पश्चात् जैव झिल्ली के छिद्रों से बहिर्गत हो सकते थे, क्रिस्टलॉयड (crystalloid) कहलाए और दूसरे वे, जो अक्रिस्टलीय थे और जल में घोलने पर जैव झिल्ली के छिद्रों से निकलने में समर्थ नहीं हो सकते थे, कलिल कहलाए। किंतु अब यह सिद्ध हो गया कि शर्करा और सोडियम क्लोराइड आदि क्रिस्टलीय पदार्थ भी उपयुक्त माध्यम में कलिल के रूप में प्राप्त किए जा सकते हैं। कलिलावस्था में कलिल कण एक अविच्छिन्न माध्यम में बिखरे रहते हैं। इस प्रकार कलिलों में दो संघटक रहते
कोलॉइड meaning in english