Gayatri = गायत्री() (Gayatri)
Category: Female name
गायत्री ^1 संज्ञा पुं॰ [सं॰ गायत्रिन्] [स्त्रीलिंग गायत्रिणी]
1. खैर का पेड़ ।
2. उदगाता । साम का गायक । गायत्री ^2 संज्ञा स्त्रीलिंग
1. एक वैदिक छंद का नाम । विसेष—यह छंद तीन चरणों का होता है और प्रत्येक चरण में आठ—आठ अक्षर होते हैं । इसके आर्षी दैवी, आसुरी, प्राजापत्या, याजुषी, साम्नी, आर्ची और ब्रह्मी आठ भेद हैं, जिनमें क्रमशः 24, 1, 15, 8, 6, 12, 18 और 36 वर्ण होते हैं । प्रत्येक भेद के पिपीलिका, मध्य, निचृत्, यवमध्या भूरिक, विराट और स्वराट आदि अनेक भेद होते हैं ।
2. एक पवित्र मंत्र का नाम जिसे सावित्री भी कहते हैं । विशेष—हिंदूधर्म में यह मंत्र बडे़ महत्व का माना जाता है । द्विजों में यज्ञोपवीत के समय वेदारंभ संस्कार करते हुए आचार्य इस मंत्र का उपदेश ब्रह्मचारी को करता है । इस मंत्र का देवता सविता और ऋषि विश्वामित्र हैं । मनु का कतन है कि प्रजापति ने आकर उकार और मकार वर्णों, भूः, भुवः और स्वः तीन व्यहृतियों तथा सावित्री मंत्र के तीनों पादों को ऋक्, यजुः और सामवेद से यथाक्रम निकाला है । इस सावित्री मंत्र के भिन्न विद्वानों ने भिन्न भिन्न अर्थ किए हैं और ब्राह्मणों, उपनिषदों से लेकर पुराणों और तंत्रों तक में इसके महत्व का वर्णन है । सावित्री मंत्र यह है—तत्सवितुर्वरेण्य । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ।
3. खैर ।
4. दुर्गा ।
5. गंगा ।
6. छह अक्षरों की एक वर्णवृत्ति । इसके तनुमध्या, शशिवदना आदि अनेक भेद हैं ।
गायत्री ^1 संज्ञा पुं॰ [सं॰ गायत्रिन्] [स्त्रीलिंग गायत्रिणी]
1. खैर का पेड़ ।
2. उदगाता । साम का गायक ।
गायत्री महामंत्र (सुनें देखें) वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मंत्र ॐ भूर्भुवः स्वः और ऋग्वेद के छंद 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में सवित्र देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। 'गायत्री' एक छन्द भी है जो ऋग्वेद के सात प्रसिद्ध छंदों में एक है। इन सात छंदों के नाम हैं- गायत्री, उष्णिक्, अनुष्टुप्, बृहती, विराट, त्रिष्टुप् और जगती। गायत्री छन्द में आठ-आठ अक्षरों के तीन चरण होते हैं। ऋग्वेद के मंत्रों में त्रिष्टुप् को छोड़
गायत्री meaning in english