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= अर्धमागधी() (Ardhmagadhi)
मध्य भारतीय आर्य परिवार की भाषा अर्धमागधी संस्कृत और आधुनिक भारतीय भाषाओं के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह प्राचीन काल में मगध की साहित्यिक एवं बोलचाल की भाषा थी। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसी भाषा में अपने धर्मोपदेश किए थे। आगे चलकर महावीर के शिष्यों ने भी महावीर के उपदेशों का संग्रह अर्धमागधी में किया जो आगम नाम से प्रसिद्ध हुए। हेमचंद्र आचार्य ने अर्धमागधी को 'आर्ष प्राकृत' कहा है। अर्धमागधी शब्द का कई तरह से अर्थ किया जाता है :इस भाषा में विपुल जैन एवं लौकिक साहित्य की रचना की गई। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसी भाषा में अपने धर्मोपदेश किए थे। आगे चलकर महावीर के शिष्यों ने अर्धमागधी में महावीर के उपदेशों का संग्रह किया जो आगम नाम से प्रसिद्ध हुए। समय-समय पर जैन आगमों की तीन वाचनाएँ हुईं। अंतिम वाचना महावीरनिर्वाण के १,००० वर्ष बाद, ईसवी सन् की छठी शताब्दी के आरंभ में, देवर्धिगणि क्षमाक्षमण के अधिनायकत्व में वलभी (वला, काठियावाड़) में हुई जब जैन आगम वर्तमान रूप में लिपिबद्ध किए गए। इसी बीच जैन आगमों में भाषा और विषय की दृष्टि से अनेक परिवर्तन हुए। इन परिवर्तनों के होने पर भी आचारांग, सूत्रकृतांग, उत्तराध्ययन, दशैवकालिक आदि जैन आगम पर्याप्त प्राचीन और महत्वपूर्ण हैं। ये आगम श्वेतांबर जैन परंपरा द्वारा ही मान्य हैं, दिगंबर जैनों के अनुसार ये लुप्त हो गए हैं। आगमों के उत्तरकालीन जैन साहित्य की भाषा को अर्धमागधी न कहकर प्राकृत कहा गया है। इससे यही सिद्ध होता है कि उस समय मगध के बाहर भी जैन धर्म का प्रचार हो गया था।
अर्धमागधी meaning in english
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meaning in Gujarati: અર્ધ મગધી
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meaning in Marathi: अर्ध मागधी
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meaning in Bengali: অর্ধমগ্ধী
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meaning in Telugu: అర్ధ మాగధి
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meaning in Tamil: அர்த்தமாக்தி
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