love = प्यार() (Pyar)
प्यार वह दैवीय एहसास है जिससे इस संसार के उद्देश्य का एहसास होता है ,प्यार वह एहसास है जिससे एक नजरिया मिलता है,प्यार से विवेक मिलता है,विनम्रता का संचार होता है ,नई ऊर्जा का एहसास होता है यह प्यार किसी से भी हो सकता है माँ, पिता ,भाई ,बहन ,दोस्त ,गुरु, प्रेमिका ,प्रकृति ,ईश्वर आदि किसी से भी । प्यार ^1 संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रीति, प्रिय अथवा प्रियक]
1. मुहब्बत । प्रेम । चाह । स्नेह ।
2. वह स्पर्श, चुंबन, संबोधन आदि जिससे प्रेम सूचित हो । प्यार जनाने की क्रिया । जैसे, बच्चों को प्यार करना । मुहावरा—प्यार का खेलौना = बालक शिशु । बच्चा । उ॰— प्यार कर प्यार के खेलौने को, कौन दिल में पुलक नहीं छाई । —चोखे॰, पृ॰ 13 । प्यार ^2 संज्ञा पुं॰ [सं॰ पियाल] अचार या पियार नाम का वृक्ष जिसका बीज चिरौंजी है । यौ॰—प्यार मेवा = पियाल मेवा । चिरौंजी ।
प्यार वह दैवीय एहसास है जिससे इस संसार के उद्देश्य का एहसास होता है ,प्यार वह एहसास है जिससे एक नजरिया मिलता है,प्यार से विवेक मिलता है,विनम्रता का संचार होता है ,नई ऊर्जा का एहसास होता है यह प्यार किसी से भी हो सकता है माँ, पिता ,भाई ,बहन ,दोस्त ,गुरु, प्रेमिका ,प्रकृति ,ईश्वर आदि किसी से भी । प्यार ^1 संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रीति, प्रिय अथवा प्रियक]
1. मुहब्बत । प्रेम । चाह । स्नेह ।
2. वह स्पर्श, चुंबन, संबोधन आदि जिससे प्रेम सूचित हो । प्यार जनाने की क्रिया । जैसे, बच्चों को प्यार करना । मुहावरा—प्यार का खेलौना = बालक शिशु । बच्चा । उ॰— प्यार कर प्यार के खेलौने को, कौन दिल में पुलक नहीं छाई । —चोखे॰, पृ॰ 13 ।
प्यार वह दैवीय एहसास है जिससे इस संसार के उद्देश्य का एहसास होता है ,प्यार वह एहसास है जिससे एक नजरिया मिलता है,प्यार से विवेक मिलता है,विनम्रता का संचार होता है ,नई ऊर्जा का एहसास होता है यह प्यार किसी से भी हो सकता है माँ, पिता ,भाई ,बहन ,दोस्त ,गुरु, प्रेमिका ,प्रकृति ,ईश्वर आदि किसी से भी ।
प्यार या प्रेम एक अहसास है। प्यार अनेक भावनाओं का, रवैयों का मिश्रण है जो पारस्परिक स्नेह से लेकर खुशी की ओर विस्तारित है। ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना है। ये किसी की दया, भावना और स्नेह प्रस्तुत करने का तरीका भी माना जा सकता है। खुद के प्रति, या किसी जानवर के प्रति, या किसी इन्सान के प्रत
प्यार meaning in english