भारतेंदु Yug Ki Patrika भारतेंदु युग की पत्रिका

भारतेंदु युग की पत्रिका

GkExams on 24-11-2018

उपन्यास

भारतेन्दु काल में हिन्दी की उप विधा का विकास हुआ। पं बालकृष्ण भट्ट का 'सौ अजान एक सुजान' इस समय का उपदेश-प्रधान आदर्शवादी उपन्यास है। इसमें उस परिपूर्ण श्यामा-स्वप्न उपन्यास काव्य-सौन्दर्य से भरा हुआ है। अम्बिकादत्त व्यास का 'आश्चर्य वृत्तान्त', बालकृष्ण भट्ट का 'नूतन ब्रहमचारी' और राधाकृष्णदास का 'निःसहाय हिन्दू' इस काल के अन्य उपन्यास हैं।

कहानी

कहानी का क्रमबद्ध विकास भारतेन्दु युग से होता है। इस युग में केवल बंगला तथा अंग्रेजी कहानियों के अनुवाद हुए। मौलिक रूप में जो कहानियां लिखी गईं, उन पर इनका प्रभाव दिखाई देता है। भारतेन्दु जी ने एक अद्भुत अपूर्व स्वप्न नामक कहानी लिखी, जिसे अधिकांश विद्वान हिन्दी की प्रथम साहित्यिक तथा मौलिक कहानी मानते हैं।सरस्वती पत्रिका के प्रकाशन के साथ-साथ हिन्दी की श्रेष्ठ कहानियां प्रकाश में आयीं। सरस्वती के प्रारम्भिक कहानी लेखकों में किशोरीलाल गोस्वामी, पार्वतीनन्दन, बंग महिला, रामचन्द्र शुक्ल, डॉ0 भगवानदास आदि प्रमुख हैं।

नाटक

इस युग में मौलिक तथा अनूदित दोनों ही प्रकार के नाटक लिखे गये। भारतेन्दु के मौलिक नाटकों में चन्द्रावली, नीलदेवी, भारत-दुर्दशा प्रमुख हैं। अनूदित नाटकों में कुछ बंगला से और कुछ संस्कृत से अनूदित हैं। इस काल में प्रतापनारायण मिश्र ने गौ संकट, कलि प्रभाव, ज्वारी-ख्वारी, हमीर-हठ, राधाकृष्णदास ने महारानी पद्मावती, महाराणा पताप, दुखिनी बाला, बाबू गोकुलचन्द ने बूढ़े मुंह मुहासे, लोग चले तमाशे, आदि नाटक लिखे। श्रीनिवास दास, बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन, अम्बिकादत्त व्यास आदि इस काल के अन्य नाटककार हैं।

निबन्ध

हिन्दी में निबन्ध साहित्य का प्रारम्भ भारतेन्दु युग की पत्र-पत्रिकाओं से होता है। प्रायः तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में उनके सम्पादक उस समय की सांस्कृतिक तथा राजनीतिक समस्याओं पर लेख लिखा करते थे। भारतेन्दु ने सर्वप्रथम कविवचन सुधा तथा हरिश्चन्द्र मैगजीन में साहित्यिक ढंग से निबन्ध लिखे। इसके बाद पं प्रतापनारायण मिश्र तथा पं बालकृष्ण भट्ट तथा बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन ने क्रमषः हिन्दी प्रदीप, ब्राहमण तथा आनन्द कादम्बिनी नामक पत्रिकाओं में निबन्ध लिखे, जिन्हें साहित्यिक कोटि के निबन्ध कहा जा सकता ह। इसी समय पं.बालकृष्ण भट्ट ने विनोदपूर्ण तथा गम्भीर षैली में विवेचनात्मक, आलोचनात्मक तथा भावात्मक निबन लिखे। बालमुकुन्द गुप्त, प्रेमघन, अम्बिकादत्त व्यास, राधाचरण गोस्वामी इस युग के अन्य प्रसिद्ध निबन्ध लेखक हैं।

आलोचना

भारतेन्दु युग में गद्य के अन्य अंगों के साथ-साथ आलोचना विधा भी नया रूप धारण कर आगे बढ़ी। उसके स्वरूप और प्रकार में नये तत्वों का समावेश हुआ। साहित्यिक विवेचना में बौद्धिकता की प्रधानता हो गयी। उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक आदि के साथ-साथ उनकी आलोचनाएं भी लिखी जाने लगीं। इस नवीन आलोचना के विकास में तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं का प्रमुख हाथ रहा। इस समीक्षा के प्रवर्त्तकों में भारतेन्दु, प्रेमघन, बालकृष्ण भट्ट, श्री निवास दास, बालमुकुन्द गुप्त, प्रतापनारायण मिश्र, गंगाप्रसाद अगिनहोत्री आदि प्रसिद्ध हैं।


आनन्द कादम्बिनी नामक पत्रिका के द्वारा प्रेमघन ने पुस्तकों की विस्तृत तथा गम्भीर आलोचना प्रारम्भ की। इन्होंने श्रीनिवास दास के संयोगिता स्वयंवर नाटक की बड़ी विशद् और कड़ी आलोचना लिखकर प्रकशित की।



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Comments Nazmusshakib on 21-02-2024

Physics

Kumar on 13-10-2023

Bharatendhu yugh Patricia

आदि कवि है on 10-02-2023

आदि कवि है

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Himanshi on 02-11-2022

Hans kis yug ki patrika hai

Anuragbharti on 21-07-2022

Bharatendu Yug ki Patrika

Archana on 24-03-2022

Bharatendu Yug ki Patrika hai Kaun si

Bartendu yud Ki patrika h on 23-03-2022

Bhartedu yug ki patrika kaun h

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SHIVAM RAI on 09-03-2022

Up board modal paper

9548487828 on 13-02-2022

Bhartendu yug ki patrika kaun si hai

Sabina on 04-10-2021

Bhartendu ug ki patrika date

Deepak on 11-03-2021

Bhartendu patrika ke sampadak kon h

Yash papa on 21-12-2020

Bhartendu yug ki patrika nhi hai

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aakansha on 26-09-2020

bhartendu yug ki patrika ka nam btayie

Omprakash kumar on 14-09-2020

Bhatendu yog ka Patrika he

Kuldeep on 07-09-2020

Bhartandu youg ki patriyaka

Vishvprakash arya on 03-09-2020

Bhartendu Yug ki do Patra gaon AVN ke sampadak ke naam likhiye

Nihal on 17-07-2020

Bhartendu Yug ki Patrika

Navin on 18-06-2020

Barat tndu yugin hindi patrika Ki vivechana kare?

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Promila on 14-03-2020

Bhartendu yugin Hindi patrika


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