Rajasthan Ka Rahan Sahan राजस्थान का रहन सहन

राजस्थान का रहन सहन



Pradeep Chawla on 20-09-2018


राजस्थान देश भर में
अपनी संस्कृति तथा प्राकृतिक विविधता के
लिए जाना जाता है। राजस्थान के रीति-
रिवाज, यहां के
लोगों का पहनावा तथा भाषा सादगी के साथ-
साथ अपनेपन का भी अहसास कराती है।
राजस्थान में लोगों को अपनी एकता के लिए
जाना जाता है। राजस्थान के रीति-रिवाज,
वेशभूषा तथा भाषा में सादगी के साथ अपनापन
भी है। राजस्थान के लोगों का रहन-सहन
सादा और सहज है। राजस्थान के लोग जीवटवाले
तथा ऊर्जावन होते हैं साथ ही जीवन के हर पल
का आनंद उठाते हैं। राजस्थानी महिलाएं
अपनी सुंदरता के लिए मशहूर हैं। राजस्थान के लोग
रंगीन कपड़े और आभूषणों के शौकीन हैं। रहन-सहन,
खान-पान और वेशभूषा में समय के साथ थोड़ा-बहुत
परिवर्तन तो आया है, लेकिन राजस्थान
अभी अन्य प्रदेशों की तुलना में अपनी संस्कृति,
रीति-रिवाजों और परंपराओं को सहेजे हुए है।
राजस्थान में भोजन वहां की जलवायु के आधार पर
अलग-अलग प्रकार से बनता है। पानी और
हरी सब्जियों की कमी होने की वजह से
राजस्थानी व्यंजनों की अपनी एक अलग
ही शैली है। राजस्थानी व्यंजनों को इस तरह से
पकाते हैं कि वो लंबे समय तक खराब नहीं होते
तथा इन्हें गरम करने
की आवश्यकता भी नहीं होती।
रेगिस्तानी जगहों जैसे – जैसलमेर, बाड़मेर और
बीकानेर में दूध, छाछ और मक्खन पानी के स्थान
पर प्रयोग किया जाता है। राजस्थान में अधिकतर
खाना शुद़्ध घी से तैयार किया जाता है। यहां पर
दाल-बाटी-चूरमा बेहद मशहूर है। जोधपुर
की मावा कचौड़ी, जयपुर का घेवर, अलवर
की कलाकंद और पुष्कर का मालपुआ, बीकानेर के
रसगुल्ले, नमकीन भुजिया, दाल का हलवा, गाजर
का हलवा, जलेबी और रबड़ी विशेष रूप से प्रसिद्ध
है। भोजन के बाद पान
खाना भी यहां की परंपरा में शुमार है।
राजस्थानी वेशभूषा
राजस्थान के लोगों का पहनावा रंग-रगीला है।
रेत और पहाड़ियों के सुस्त रंगों के बीच चमकीले
रंगों की पोशाक राजस्थान के लोगों को जीवंत
बनाती है। सिर से लेकर पांव तक, पगड़ी, कपड़े, गहने
और यहां तक कि जूते भी राजस्थान की आर्थिक
और सामाजिक स्थिति को दर्शाते हैं।
सदियों बीत जाने के बाद
भी यहां की वेशभूषा अपनी पहचान बनाये हुए है।
राजस्थान की जीवन शैली के आधार पर अलग-
अलग वर्ग के लोगों के लिए अलग-अलग परिधान के
अंतर्गत पगड़ी यहां के लोगों की शान और मान
का प्रतीक है। यहां के लोग 1000 से भी अधिक
प्रकार से पगड़ी बांधते हैं। कहा जाता है
कि यहां हर 1 किमी. से पगड़ी बांधने
का तरीका बदल जाता है। पुरुष पोशाक में पगड़ी,



अंगरखा, धोती या पजामा, कमरबंद
या पटका शामिल है और महिलाओं की पोशाक में
घाघरा, जिसे लंबी स्कर्ट भी कहते हैं,
कुर्ती या चोली और ओढ़नी शामिल हैं। घाघरे
की लंबाई थोड़ी छोटी होती है ताकि पांव में
पहने गहने दिखायी दे सकें और ओढ़नी घूंघट करने के
काम आती है।
ऊंट, बकरी और भेड़ की खाल से बने जूते पुरुष और
महिलाओं के जरिये पहने जाते हैं। मखमल या जरी के
ऊपर कढ़ाई कर के जूते के बाहरी भाग पर
चिपकाया जाता है। जैसलमेर, जोधपुर,
रामजीपुरा और जयपुर
की जूतियां पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।



Comments Ritika on 08-01-2024

rajasthan ka rahan saran kesa ha

chandan on 17-05-2022

rajasthan ka rahan sahan

Rahan sahan on 02-05-2022

Khan paan and rahan sahan


Kashish on 08-09-2021

Bangaal and Rajsthan ka rahan sahan kaisa hai

Neha on 29-01-2020

Jaipur ka rahan sahan





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