वैकल्पिक ऊर्जा (Alternative energy) क्या है : ऊर्जा के उन सभी स्रोतों को वैकल्पिक ऊर्जा कहते हैं जो जीवाश्म ऊर्जा के विकल्प हों।
इनको बेहतर उदाहरण से समझे - पवन ऊर्जा, जलविद्युत और सौर ऊर्जा
इन विकल्पों का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन, जैसे कि उच्च कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग में एक महत्वपूर्ण कारक के बारे में चिंताओं को संबोधित करना है। समुद्री ऊर्जा, जलविद्युत, हवा, भू-तापीय और सौर ऊर्जा ऊर्जा के सभी वैकल्पिक स्रोत हैं।
यह बात भी सच है की वर्तमान समय में पारम्परिक ऊर्जा (energy sources) खत्म होते जा रहे है। जिस कारण से वैज्ञानिक अपने रिसर्च से गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को भी उपयोग में ला रहे हैं। जिससे पारंपरिक उर्जा स्रोतों का उपयोग कम होगा, और गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत से लोगो को फायदा होगा।
वर्तमान समय में उर्जा के परम्परागत स्रोत (types of energy) महत्वपूर्ण हैं, और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता, तथापि ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों अथवा वैकल्पिक स्रोतों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
इससे एक ओर जहां ऊर्जा की मांग एवं आपूर्ति के बीच का अन्तर कम हो जाएगा, वहीं दूसरी ओर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों का संरक्षण होगा, पर्यावरण पर दबाव कम होगा, प्रदूषण नियंत्रित होगा, ऊर्जा लागत कम होगी और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक जीवन स्तर में भी सुधार हो पाएगा।
वैसे बात हम भारत की करें तो भारत ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 1.75 लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा से 60 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा से, 60 हजार मेगावाट पवन ऊर्जा से, 10 मेगावाट जैव ऊर्जा से और 5 मेगावाट लघु पनबिजली ऊर्जा से बनाना शामिल है।
हालाँकि अपतटीय पवन ऊर्जा की उम्मीदों को देखते हुए यह लक्ष्य बढ़ाया जा सकता है। भारत ने इस संबंध में अपना लक्ष्य पेरिस में प्रस्तावित विश्व पर्यावरण संधि के लिये ‘यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज’ (यूएनएफसीसीसी) के सामने रखा। इसमें जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों व दुष्प्रभावों से निपटने की विस्तृत जानकारियों व उपायों का उल्लेख है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में भारत का राष्ट्रीय लक्षित स्वैच्छिक योगदान (आईएनडीसी) तैयार किया गया।
पेरिस में 30 नवंबर से 11 दिसंबर तक होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिये सभी देशों को अपना-अपना आईएनडीसी देना जरूरी था। लिहाजा अगले डेढ़ दशक में उत्सर्जन को करीब एक-तिहाई घटाने का वायदा पूरा हो सकता है। पर इस दौरान अजीवाश्मीय ईंधन से 40 प्रतिशत विद्युत उत्पादन करने का लक्ष्य व्यावहारिक नहीं लगता।
खासकर तब, जब स्वच्छ ऊर्जा पर अतिशत जोर देने और इसके लिये समुचित संसाधन होने के बावजूद अमेरिका में 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन से विद्युत उत्पादन कुल उत्पादन के तीस फीसदी से अधिक नहीं हो पाएगा।
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