Chol Kaleen NatRaj Murti चोल कालीन नटराज मूर्ति

चोल कालीन नटराज मूर्ति



GkExams on 26-03-2022


नटराज की कांस्य मूर्ति चोल वंश से संबंधित है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की नटराज का अर्थ - तांडव नृत्य की मुद्रा में शिव होता है।
Chol-Kaleen-NatRaj-Murti

नटराज मूर्ति वास्तु :




वैसे कई लोग घर में सुंदरता की दृष्टि से नटराज की मूर्ति रखते हैं, क्योंकि ये बहुत ही आकर्षक होती है। नटराज की मूर्ति में शिवजी का रौद्र यानी क्रोधित रूप दिखाई देता है। शिवजी को क्रोधित स्वरूप घर में रखने से अशांति बढ़ती है। जो लोग शिवजी के क्रोधित स्वरूप के रोज दर्शन करते हैं, उनके स्वभाव में भी क्रोध बढ़ने लगता है।


नटराज मूर्ति के बारें में :




शिव का नटराज रूप मूल रूप से दक्षिणी भारत से आता है, विशेष रूप से तमिलनाडु से। ये सृष्टि की प्रचुरता का प्रतीक है। सृष्टि का नृत्य, जिसने स्वयं की रचना हमेशा रहने वाली स्थिरता में से की। चिदंबरम में जो खड़ा है वो नटराज बहुत ही प्रतीकात्मक है क्योंकि आप जिसे चिदंबरम कहते हैं वो सम्पूर्ण स्थिरता, शांति है। इस मंदिर के रूप में यही बात प्रकट की गयी है।


आप नृत्य को नहीं समझ सकते क्योंकि वो हर चीज़ जो आप समझते हैं, वो एक गलत निष्कर्ष ही है। पर, आप नृत्य की सुंदरता का अनुभव कर सकते हैं या आप खुद ही नृत्य बन सकते हैं। अगर आप देख कर ही नृत्य की सुंदरता का अनुभव कर लेते हैं तो हम कहते हैं कि आप एक जिज्ञासु हैं – जानना चाहते हैं। आप जानना चाहते हैं कि ये क्या है, इसीलिये आप ध्यान दे रहे हैं। अगर आप खुद ही नृत्य बन जायें तो आप दिव्यता बन जायेंगे, आप एक योगी बन जायेंगे। ये एक ऐसा विकल्प है जो आपके पास है।


जब नृत्य इतना अचूक, इतना ज्यादा परिपूर्ण होता है तो आप नर्तक को लगभग भूल ही जाते हैं। पर, कोई भी नृत्य, नर्तक के बिना नहीं हो सकता। हम नर्तक को नहीं देख पाते क्योंकि हमारी दृष्टि, हमारी समझ सिर्फ सतह तक ही रहती है, हमारा ध्यान सतह तक ही रहता है। नृत्य में नर्तक को पहचानने के लिये, आपको नृत्य में इतना ज्यादा डूब जाना होगा कि आप खुद ही नृत्य बन जायें, आप दर्शक न रह जायें, आप खुद ही नृत्य हो जायें। फिर, आप अनुभव से नर्तक को जान सकेंगे।


और आप पर उसका असर हो जायेगा। लेकिन अगर आप नर्तक को उसकी पूरी गहराई में, उसके सभी आयामों में, जानना चाहते हैं, आप नृत्य के स्रोत को जानना चाहते हैं, वह जो इस घटना का आधार है – तो आपको सम्पूर्ण ध्यान देना होगा, एक प्रकार से नृत्य से अलग रह कर। ये चीजें विरोधाभासी लगती हैं। एक तरफ मैं कह रहा हूँ कि आपको नृत्य के अंदर उतर जाना चाहिये और दूसरी तरफ ये भी कह रहा हूँ कि आपको नृत्य को पूरी तीव्रता के साथ देखना आना चाहिये। पर ये विरोधाभासी बातें नहीं हैं। बात बस ये है कि आप इसे टुकड़ों में देखते हैं। अगर आप इसे टुकड़ों में काट कर देखते हैं तो सब कुछ विरोधाभासी ही लगेगा।





सम्बन्धित प्रश्न



Comments Harman jit on 09-08-2020

Chal raj natural murti

Lalit on 01-04-2020

चोल कालीन नटराज मूर्ति किस भंगिमा में हैं

Anand on 03-03-2020

Chol kalin murti ka ulekh kre


Kamlesh saini on 21-01-2020

Cal college kisi Murti shilp ka naam likhiye

Vicky Insa on 21-01-2020

Chol kalin Kisi Murti ka naam likhiye

priyanka on 07-12-2019

Natraj ki pratima kis mudra me h

Hahaha on 12-11-2019

Cholkalin kis murti shilp ka name likhie




Anil kumar on 25-09-2019

चोल कालीन नटराज की मूर्ति किस मुद्रा मे है।



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