Kutubuddin Aibak Ki Mrityu Kaise Hui कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु कैसे हुई

कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु कैसे हुई



GkExams on 12-05-2019

कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 में घोड़े से पोलो खेल समय गिर कर एक दुर्घटना में हुई थी।



सम्बन्धित प्रश्न



Comments Ghanshyam on 16-03-2023

Eabak Ki mirityu kab hui

No on 08-03-2023

अरे राणा प्रताप जी का नाम बार- बार लेने वाले बेवकूफ कमेंट धारियों वह क्या बोल रहा है वह तो समझो राणा प्रताप के घोड़े से कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत नहीं हुई बल्कि उनके पूर्वज राजकुमार कर्णसिंह के घोड़े सुब्रत से मौत हुई है साला गवारगिरी से बार-बार राणा प्रताप राणा प्रताप के घोड़े का नाम लेते हो वह तो सबको मालूम है राणा प्रताप और कुतुबुद्दीन ऐबक अलग-अलग समय के हैं लेकिन मूर्ख बनाने वाली घटिया मानसिकता वाले साले वामपंथी लोग वह यह भी नहीं बताने देना चाहते की कुतुबुद्दीन ऐबक और राजकुमार करण सिंह वह दोनों एक समय के हैं इतनी अक्ल तेरे घटिया भेजे में नहीं घुसती है क्या


Atesh singh rajput on 27-12-2022

वीर महाराणा प्रताप जी का ‘चेतक’ सबको याद है लेकिन ‘शुभ्रक’ के बारे में शायद ही ज्यादा लोगों को मालूम होगा . जी हां तो आज जानिए कहानी ‘शुभ्रक’ की. कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में जम कर कहर बरपाया, और उदयपुर के ‘राजकुंवर कर्णसिंह’ को बंदी बनाकर लाहौर ले गया। कुंवर का ‘शुभ्रक’ नाम का एक स्वामिभक्त घोड़ा था जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया। एक दिन कैद से भागने की कोशिश में कुंवर सा को सजा-ए-मौत सुनाई गई और सजा देने के लिए ‘जन्नत बाग’ में लाया गया। ये तय हुआ कि राजकुंवर का सिर काटकर उससे ‘पोलो’ (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था) खेला जाएगा.



कुतुबुद्दीन ख़ुद कुंवर सा के ही घोड़े ‘शुभ्रक’ पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ ‘जन्नत बाग’ में आया। ‘शुभ्रक’ ने जैसे ही कैदी अवस्था में राजकुंवर को देखा उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे। फिर जैसे ही सिर कलम करने के लिए कुंवर सा की जंजीरों को खोला गया, तो ‘शुभ्रक’ से रहा नहीं गया उसने उछलकर कुतुबुद्दीन को घोड़े से गिरा दिया और उसकी छाती पर अपने मजबूत पैरों से कई बार वार किए, जिससे कुतुबुद्दीन के प्राण पखेरू उड़ गए . ये सब वहां मौजूद इस्लामिक सैनिक अचंभित होकर देखते रह गए. इसी बीच मौके का फायदा उठाकर कुंवर सा सैनिकों से छूटे और ‘शुभ्रक’ पर सवार हो गए। उस वक्त ‘शुभ्रक’ ने भी हवा से बाजी लगा दी.



‘शुभ्रक’ लाहौर से उदयपुर तक बिना रुके दौड़ता रहा और उदयपुर में महल के सामने आकर ही वो रुका. राजकुंवर घोड़े से उतरे और अपने प्रिय घोड़े को पुचकारने के लिए हाथ बढ़ाया, तो पाया कि वह तो प्रतिमा बना खडा था उसमें प्राण ही नहीं बचे थे। सिर पर हाथ रखते ही ‘शुभ्रक’ का निष्प्राण शरीर लुढ़क गया..



भारत के इतिहास में यह तथ्य हमें कहीं नहीं पढ़ाया जाता ना ही इसके बारे में कोई चर्चा हमने कभी सुनी, क्योंकि वामपंथी और सेक्युलर लेखक ऐसी दुर्गति वाली मौत को बताने से हिचकिचाते हैं। वामपंथी इतिहासकारों ने हमारे गौरव पूर्ण इतिहास को तोड़-मरोड़ को सच्चाई को छिपा कर बेइज्जती के साथ लिख कर देश की जनता के सामने परोसा है जबकि फारसी की कई प्राचीन किताबों में कुतुबुद्दीन ऐबक की हुई मौत को इसी तरह से बताई गई है।



नमन है स्वामीभक्त ‘शुभ्रक’ को.


Prakash Bhargav on 26-07-2022

ये सिद्धान्त गुप्ता एकदम ग़लत जानकारी देता है उसे ये तक नही पता की महाराणा प्रताप का 1540 में जन्म हुआ था और कुतुबुद्दीन ऐबक 1210 में मर गया था और महाराणा प्रताप मुग़ल शासक अकबर के समय थे


Josh kumar on 30-05-2022

Farshi kiton me kutubuddin ebak ki maut ke hui kya lekha h

sakshi on 30-04-2022

Muhammad ghori ka bara ma

Gajendra on 05-04-2022

Maharana Pratap Singh ke nahin Maharana Karan Singh ke Ghode Se Hui Kutub Ahmad Ki Maut


Nikhil on 13-12-2019

Kutbdin ki martyu labor me polo khete hui



Mahendra on 12-05-2019

Kutbudeen ki मृत्यु कैसे और कहा हुई

Siddhant Gupta on 13-05-2019

कुतुबुद्दीन की मृत्यु महाराणा प्रताप के घोड़े से हुई थी क्योंकि जब महाराणा प्रताप को बंदी बनाया गया था उनके रास्ते उनका एक घोड़ा था जो महाराणा प्रताप को बहुत पसंद करता था उसको भी कुतुबुद्दीन ले गया था जब महाराणा प्रताप को फांसी पर लटकाया जा रहा था उसी समय पोलो का खेल का भी विचार बना था कुतुबुद्दीन उसी घोड़े से मैदान में पहुंचता है और वहीं पर ही महाराणा प्रताप को जंजीरों से बंधा रखा होता है उसी को देखकर घोड़े के आंसू निकल आते हैं और घोड़ा कुतुबुद्दीन को उठाकर फेंक देता है और अपने पैर से बार-बार बार करता है और तुरंत ही महाराणा प्रताप को लेकर हवा की रफ्तार से भाग जाता है और जाकर उनके महल के दरबार के सामने रुकता है और वही ढेर हो जाता है परंतु महाराणा प्रताप को सुरक्षित उनके महल पहुंचा देता है इसको देखकर महाराणा प्रताप आंसू निकल आते हैं


एस एन नागल on 15-06-2019

कुतुबुद्दीन एबक व महाराणा प्रताप के काल अलग-अलग है। महाराणा प्रताप का काल मुगल सम्राट अक़बर के साथ है।

Utpala on 16-09-2019

Akbar mahan ke guru ka kya nam Tha




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