जनगणना सर्वेक्षण 1 व्यापक स्तर पर आबादी की जानकारी जुटाता है । इसके पश्चात इस जानकारी का इस्तेमाल समाज के अनेक इलाकों में निदर्शन एवं योजनाओं हेतु किया जाता है । निदर्शन सर्वेक्षण हेतु 1 व्यापक प्रतिरूप उठाया जाता है जो उन विषयों को समझने में सहायता करता है जो सम्बन्धित हो सकते हैं ।
पूर्वगामी एवं प्रमुख सर्वेक्षण:
पूर्वगामी सर्वेक्षण 1 संशोधन या तैयारी के स्वरुप में किया जाता है जिसमें सर्वेक्षण उपलब्धियों का सूक्ष्म परीक्षण किया जाता है । प्रमुख सर्वेक्षण में नवीन डाटा जुटाए जाते हैं । इस प्रकार के सर्वेक्षण अनेक संशोधन लक्ष्यों हेतु लाभदायक होते हैं ।
नित्य एवं कार्यवाहक सर्वेक्षण:
नित्य सर्वेक्षण सामाजिक कठिनाइयों या किसी विषय पर लगातार जानकारी का लेकर निरीक्षण करने का 1 विधि होता है । इस तरह का सर्वेक्षण 1 तय समयावधि में किया जाता है एवं इसके लिए 1 तय गिनती में नमूना लिया जाता है । इस तरह के सर्वेक्षण से समाज के अनेक विषयों में नित्य जानकारी प्राप्त कर सकते है ।
कार्यवाहक सर्वेक्षण सामाजिक या अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित विषयों का लेकर निरीक्षण करने का 1 विधि होता है । इस तरह का सर्वेक्षण संगठनों , संस्थाओं या समुदायों हेतु लाभदायक होता है , जो अपनी कामों का लगातार जांच एवं आकलन करना चाहते हैं । कार्यवाहक सर्वेक्षण के द्वारा संगठनों या समुदायों के कार्यक्रमों एवं योजनाओं के मुनाफ़ा एवं उनके वजहों का माना जा सकता है एवं इनके सुधार के इलाज बनाए जा सकते हैं ।
परिमाणात्मक एवं गुणात्मक सर्वेक्षण:
सामाजिक सर्वेक्षण के प्रकार में परिमाणात्मक एवं गुणात्मक सर्वेक्षण भी सम्मिलित होते हैं । परिमाणात्मक सर्वेक्षण में , समाज के किसी विशेष पक्ष या विषय के अंतर्गत मौजूद संख्यात्मक आंकड़ों का अध्ययन किया जाता है । इस तरह के सर्वेक्षण में , समाज के लोगों का गिनती , उनकी आमदनी , जाति वगैरह विषयों पर जानकारी एकत्रित की जाती है ।
वहीं , गुणात्मक सर्वेक्षण में , समाज के अनेक पहलुओं या विषयों के अंतर्गत उनसे जुड़े नज़रिए , अर्थ , परिस्थितियों , संगठनों वगैरह के बारे में जानकारी एकत्रित की जाती है । इस तरह के सर्वेक्षण में , उन समाजिक विषयों का अध्ययन किया जाता है जो मनुष्य का व्यक्तिगत स्थिति के अंतर्गत आते हैं । इस तरह के सर्वेक्षण में , समाज के लोगों का विचार व सोच , उनके सामाजिक संगठन , उनके संस्थागत व्यवस्थाओं वगैरह का अध्ययन किया जाता है ।
आरारम्भिक् एवं आवृत्तिमूलक सर्वेक्षण:
आरारम्भिक् एवं आवृत्तिमूलक सर्वेक्षण दो अलग - अलग चरणों में संपन्न किए पहचाने वाली सर्वेक्षण हैं । प्रारंभिक सर्वेक्षण 1 नवीन उत्पाद या सेवा हेतु ज़रूरी जानकारी इकट्ठा करने का प्रथम चरण होता है । इस चरण में अनेक पहलुओं का मूल्यांकन करके , ज़रूरी जानकारी इकट्ठा की जाती है जो 1 नवीन उत्पाद या सेवा का निर्माण करने में सहायता करती है ।
दूसरे ओर , आवृत्तिमूलक सर्वेक्षण प्रारंभिक सर्वेक्षण के पश्चात संपन्न किया जाता है । ये सर्वेक्षण उत्पाद या सेवा हेतु ज़रूरी जानकारी का ज्यादा साफ़ व विस्तृत ढ़ग से जांचने हेतु संपन्न किया जाता है । इससे पहले बनाए गए उत्पाद या सेवा के जुलूस का मापने , सूक्ष्म परीक्षण करने , समीक्षा करने एवं सुधार करने हेतु लाभदायक जानकारी इकट्ठा की जाती है ।
सार्वजनिक एवं गोपनीय सर्वेक्षण:
सार्वजनिक एवं गोपनीय सर्वेक्षण सामाजिक सर्वेक्षण के दो अनेक तरह होते हैं । सार्वजनिक सर्वेक्षण वह सर्वेक्षण होता है जो सार्वजनिक स्वरुप से प्राप्त होता है एवं जिसमें सामाजिक कठिनाइयों के समाधान हेतु संचार का ज़रूरत होती है । इसके उदाहरण आम जन का राय लेना , समाज का जरूरतों का अध्ययन करना , एवं राजनीतिक नीतियों हेतु जनमत संचय करना सम्मिलित होते हैं ।
दूसरी तरफ , गोपनीय सर्वेक्षण वह सर्वेक्षण होता है जो गोपनीय स्वरुप से किया जाता है एवं जो सामाजिक कठिनाइयों हेतु समाधान निकालने में सहायता करता है । इसके उदाहरण गोपनीय सर्वेक्षणों में राजनीतिक , फौज या आर्थिक मसला का अध्ययन , गोपनीय न्यायाधीशों के मामलों का जांच , एवं व्यक्तिगत या व्यवसायिक संदर्भों हेतु समाधान निकालना सम्मिलित होते हैं ।
प्राथमिक एवं द्वितीयक सर्वेक्षण:
प्राथमिक सर्वेक्षण 1 ऐसा सर्वेक्षण होता है जो 1 विशेष ग्रुप के साथ एकाधिक पहलुओं का मूल्यांकन करता है । इस सर्वेक्षण में अधिकतर डाटा प्राथमिक स्रोतों से आता है जैसे कि सवालनामे एवं समीक्षाएँ । इस सर्वेक्षण के जरिये से नवीन आंकड़े प्राप्त किए जाते हैं जो 1 निर्दिष्ट किया हुआ ग्रुप के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं ।
द्वितीयक सर्वेक्षण दो या दो से ज्यादा ग्रुपों के मध्य मुकाबले हेतु होता है । इस सर्वेक्षण में 1 बराबर सवालनामा दोनों ग्रुपों के लोगों का दिया जाता है एवं उनकी उत्तर देने के पश्चात डाटा विश्लेषित किया जाता है । इस सर्वेक्षण में प्रमुख लक्ष्य दो या ज्यादा ग्रुपों के मध्य मुकाबले की बुनियाद पर भिन्नता का मालूम करना होता है ।
Samajik sarvekshan ke Pramukh Prakar