Madan Mohan Malviya Ka Shiksha Darshan मदन मोहन मालवीय का शिक्षा दर्शन

मदन मोहन मालवीय का शिक्षा दर्शन



Pradeep Chawla on 12-05-2019

व्यक्ति और समाज के अभ्युदय के लिए बौद्धिक विकास से भी अधिक महत्वपूर्ण है चरित्र का निर्माण और उसका विकास। मात्र औद्योगिक प्रगति से ही कोई देश खुशहाल, समृद्ध और गौरवशाली राष्ट्र नहीं बन सकता। अत: युवाओं का चरित्र निर्माण इस प्रस्तावित विश्वविद्यालय का एक प्रमुख लक्ष्य होगा। उच्च शिक्षा द्वारा यहां केवल अभियंता, चिकित्सक, विधिवेत्ता, वैज्ञानिक और कुशल व्यापारी तथा शास्त्रज्ञ विद्वान ही तैयार नहीं किए जाएंगे, बल्कि ऐसे व्यक्तियों का निर्माण किया जाएगा, जिनका चरित्र उज्जवल हो, जो कर्तव्य परायण और मूल्य निष्ठा से ओतप्रोत हों। यह विश्वविद्यालय केवल अर्जित ज्ञान के स्तर को प्रमाणित कर डिग्रियां देने वाली संस्था मात्र न होकर सुयोग्य और सद्चरित्र नागरिकों की पौधशाला होगा।’



काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के मौके पर महामना मदनमोहन मालवीय का भाषण अपने आप में कालजयी है। यह भारत के विश्वविद्यालयों के पुनीत उद्देश्य और प्रासंगिकता के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। 21वीं सदी में शिक्षा पर एक अंतरराष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट ‘लर्निंग: द ट्रेजर विदिन’ में कहा गया है कि इस सदी में बहुत से तनावों और द्वंद्वों से हमें गुजरना पड़ेगा, जैसे- वैश्विक और स्थानीय, सार्वभौमिक व वैयक्तिक, परंपरा और आधुनिकता, दीर्घकालिक व अल्पकालिक सोच, प्रतियोगिता और सहयोग, ज्ञान का असीमित प्रसार और मानव की ग्राह्य क्षमता, आध्यात्मिकता व भौतिकता। इसलिए इस सदी की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जिससे ये तनाव और द्वंद्व कम किए जा सकें, साथ ही संतुलन बनाए रखा जा सके।



आज के युवा अपने वर्तमान और भविष्य के प्रति ज्यादा जागरूक, सजग और चिंतित हैं। वे अपने आने वाले कल को सदृढ़ करना चाहते हैं। भविष्य के प्रति चिंतित होना और सपने देखना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन उनके सामने बहुत से सवाल हैं, जिनका उत्तर आसान नहीं है। ये सवाल शिक्षा की प्रासंगिकता और गुणवत्ता को लेकर हैं, उनकी रोजगार परायणता को लेकर हैं, रचनाधर्मिता और मानवीयता से संबंधित हैं। आज के युवा और उनके पालक सर्वश्रेष्ठ उच्च शिक्षा की चाहत रखते हैं। ऐसी शिक्षा, जो कि युवाओं में वांछित ज्ञान, कौशल और दक्षता का विकास करे, उन्हें सही मायने में शिक्षित और संस्कारित बनाए, उनमें सही और गलत को समझने का नजरिया विकसित करे, उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने योग्य बनाए, उन्हें सदी की कसौटी पर खरा उतरने योग्य बनाए, उनमें प्रतिस्पर्धात्मक विश्व-रंगमंच पर सफल होने के लिए आवश्यक गुणों और क्षमताओं का विकास करे।



यह सब इसलिए, क्योंकि शिक्षा व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास का आधार है, राष्ट्र की उन्नति और विकास का संवाहक है और संपूर्ण मानवता के सवरेत्तम आदर्शो का स्तंभ है। इन उद्देश्यों की पूर्ति और सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए युवा-वर्ग को तैयार करने का जिम्मा शिक्षा तंत्र का है। राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को सहेजकर रखने और परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखने का दायित्व भी हमारा ही है। इस राष्ट्रीय लक्ष्य के हिसाब से मालवीयजी का शैक्षिक दर्शन आज अधिक प्रासंगिक है।



महामना मानते थे कि ‘जीवन का सर्वागीण विकास शिक्षा का मूलमंत्र हो। शिक्षा की ऐसी व्यवस्था हो कि विद्यार्थी अपनी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक शक्तियों का विकास कर आगे चलकर किसी व्यवसाय द्वारा सच्चई और ईमानदारी से अपना जीवन निर्वाह कर सकें, कलापूर्ण सौंदर्यमय जीवन व्यतीत कर सकें, समाज में आदरणीय और विश्वासपात्र बन सकें तथा देशभक्ति से, जो मनुष्य को उच्च कोटि की सेवा को प्रेरित करती है, अपने जीवन को अलंकृत कर राष्ट्र की सेवा कर सकें।’



एक आदर्श नागरिक ही किसी गणतंत्र की पहचान होता है- ऐसी सोच के साथ मालवीयजी ने बहुआयामी शिक्षा को परम आवश्यक माना और भारत को अशिक्षा तथा अज्ञान के अंधकार से निकालने का संकल्प किया। शिक्षा को महामना ने राष्ट्र निर्माण की अनिवार्य शर्त के रूप में देखा- एक ऐसी शिक्षा, जो प्राची और प्रतिची के समन्वय से बनी हो और मनुष्य मात्र के सर्वागीण कल्याण में अभिवृद्धि करती हो। मालवीयजी शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण और मजबूत ‘चेंज एजेंट’ के रूप में मानते थे। उन्होंने राष्ट्र निर्माण की संकल्पना में प्रजातांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय सहमति को सदैव उच्चतम वरीयता दी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय मालवीयजी की देशभक्ति और प्रजातांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण है।



आज भारत विश्व के शक्तिशाली और विकसित राष्ट्रों के बराबर होने की ओर बढ़ रहा है। निस्संदेह, इसके पीछे हमारे प्रतिभासंपन्न युवाओं की कर्मठता और बौद्धिक योग्यता है। भारतीय युवाओं की सिद्ध क्षमताओं ने विश्व में आज अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है। वह चाहे कला का क्षेत्र हो, विज्ञान हो, वाणिज्य हो, प्रबंधन का क्षेत्र हो या इंजीनियरिंग, चिकित्सा व तकनीक का।



भारत के विकास की राहें सरल अवश्य हुई हैं, किंतु अब भी हमारे सामने अनेक कठिन चुनौतियां हैं। गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, आतंकवाद, सामाजिक विषमता आदि अनेक मोर्चो पर अभी बहुत कुछ करना शेष है। हमारे सामने अपनी आबादी के एक-तिहाई हिस्से को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने, सामाजिक विकास के संकेतकों में निरंतर प्रगति करने, मानव विकास सूचकांक में विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में अपना स्थान बनाने और सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य के अनुरूप अपने राज-समाज को परिवर्तित करने की बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं। आतंकवाद और सामाजिक हिंसा की समस्याएं रह-रहकर हमारी प्रगति को अवरुद्ध कर रही हैं। पर्यावरण का प्रश्न विकराल रूप में हमारे सामने है।



इन तमाम चुनौतियों से जूझने के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन बन सकती है। शिक्षा वह नहीं, जो सिर्फ विद्यार्थियों को ज्ञानशील बनाए, अपितु वह उन्हें क्रिया-कौशल से युक्त भी करे। ऐसी शिक्षा, जो मानवीय आवश्यकताओं से जुड़ी हो और रोजगारपरक होने के साथ ही शांति व मानव विकास के प्रतिमानों के अनुकूल भी हो। शिक्षा का अंतिम पड़ाव श्रेष्ठ और जिम्मेदार नागरिक बनाना है। संस्कारनिष्ठ और गुणवत्ता युक्त शिक्षा ही सामाजिक समरसता, राष्ट्रीय एकता और विश्व बंधुत्व को बढ़ा सकती है।



शिक्षा हर समाज और राष्ट्र की रीढ़ होती है। हमारा वर्तमान और भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी शिक्षा पद्धति कैसी है। हमारे सीखने-सिखाने का तरीका कैसा है? हमारे शिक्षण-प्रशिक्षण का आधार क्या है? हम समाज में कैसा आदर्श प्रस्तुत करना चाहते हैं? इन सब प्रश्नों के उत्तर की आधारशिला महामना ने अपने जीवनकाल में ही स्थापित कर दी थी। यही रास्ता हमें शांति और विकास की ओर ले जाएगा।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Yej to e on 04-04-2022

Pandit
सब

Harsh singh on 09-01-2021

मालवीय जी ने l.l.b की परीक्षा किस विद्यालय से उत्तीर्ण की

Ankit Verma on 03-10-2020

Pandit Madan Mohan malviya ki sacchi vichar kya thi


Nida on 17-10-2018

Shiksha k smajic or darshnik adhar kind book me all lesson by poonam madan





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment