Bhomiya Ji MahaRaj History In Hindi भोमिया जी महाराज हिस्ट्री इन हिंदी

भोमिया जी महाराज हिस्ट्री इन हिंदी



GkExams on 24-03-2022


जन्म : रूण नागौर जिले में स्थित है रूण गांव जिसका प्राचीन काल में नाम तांबावती था और बाद में उसका नाम बदलकर कोयलापाटन रखा गया। कोला पाटन के राजा अनंतराज जी के घर “भोमिया जी महाराज का जन्म” हुआ था। विक्रम संवत 1271 में सोमवार के दिन भोमिया जी महाराज का जन्म हुआ था।
Bhomiya-Ji-MahaRaj-History-In-Hindi

शिक्षा :


भोमिया महाराज जी बचपन से ही अस्त्र शास्त्र में बहुत ही रुचि रखते थे। उन्होंने बचपन में ही शस्त्र विद्या का अध्ययन कर लिया था। एक बार सीहड़देव अपने राज दरबार में बैठे थे तब उन्होंने अपने मंत्रियों से राज दरबारियों से पूछा कि मैं किस देवता की पूजा करूं जो मेरा युद्ध में सहयोग कर सके तब उन्होंने कहा कि आप भगवती माता चामुंडा की पूजा कीजिए इसके बाद सीहड़देव ने बचपन से ही माता चामुंडा को भक्ति करके उन्हें प्रसन्न कर लिया था।


और इसके बाद चामुंडा माता ने सीहड़देव को यह वरदान दिया कि तेरे जैसा वीर योद्धा या तेरे सामान कोई भी इस भारत भूमि पर नहीं होगा। युद्ध के अंदर तेरा सामना कोई भी युद्ध नहीं कर पाएगा मां भगवती से यह वरदान पाकर सीहड़देव बहुत ही खुश हुए।


युद्द की सुगबुगाहट :


सीहड़देवजी के पांच रानियां थी उस समय दिल्ली के ऊपर अलाउद्दीन खिलजी का शासन था अलाउद्दीन खिलजी ने उस समय ऐसी कुप्रथा चला रखी थी। वो ये थी की - जब भी किसी का विवाह होता था तो वह उसकी डोली अपने महल में बुलवा लेता था। और इसके बाद जब उसका मन भर जाता था तो वह उस औरत को वापस भेज देता था।


जब अलाउद्दीन खिलजी को इस बात का पता चला कि हरदेव की रानियां बहुत ही खूबसूरत है तब उन्होंने उनकी पत्नी पद्मिनी पर अपनी नजर डाली। इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने सीहड़देव को पत्र भेजा की आप अपनी पत्नी की डोली मेरे महल में भिजवा दें नहीं तो युद्ध के लिए तैयार रहें।


इसके बाद जब सीहड़देव को यह पत्र मिला तो उन्होंने युद्ध करना स्वीकार कर लिया और कहा कि मैं किसी भी हिंदू लड़की को बादशाह के महल में नहीं भेजूंगा। सीहड़देव ने कहा कि मैं बादशाह से डरता नहीं हूं मैं अकेला ही उनकी फौज का सामना करूंगा।


फिर बनी एक योजना :


सीहड़देव ने एक योजना बनाई उन्होंने अपनी एक दासी को रानी बनाकर बादशाह के महल में भेज दिया। और बादशाह के साथ उसका विवाह कर दिया। इसके बाद वह दासी बादशाह के साथ बेगम बनकर रहने लगी समय बीतता गया और वह दासी गर्भवती हो गई। जब बच्चे के जन्म का समय हुआ तब उस दासी को प्रसव की पीड़ा होने लगी बादशाह ने हकीम को बुलवाया, वेद को बुलाया, परंतु बच्चे का जन्म नहीं हो रहा था तब बादशाह की रानियों ने आकर उस दासी से पूछा की सभी ने बहुत कोशिश की परंतु तुम्हारे बच्चे का जन्म क्यों नहीं हो रहा है।


तब दासी ने उत्तर दिया की - मुझे कोयला पाटन से शिव कुंड का जल लाकर पिला दो तब मेरे बच्चे का जन्म होगा। जब इस बात का पता बादशाह को चला तो उन्होंने तुरंत अपने सैनिकों को शिव कुंड से जल लाने के लिए कोयला पाटन भेज दिया। लेकिन जब बादशाह के सैनिक कोयला पाटन पहुंचे तो रात हो चुकी थी।


और महल के दरवाजे बंद हो चुके थे। दरवाजों के सामने पहरेदार खड़े थे। जब उन सैनिकों ने उनसे शिव कुंड का पानी मांगा तो उनमें से एक ने गंदी नाली का पानी भर कर दे दिया और कहा कि यह पानी शिव कुंड से होकर ही आता है और वह सैनिक वह पानी लेकर महल में पहुंच गए।


वह पानी पीने के बाद सांखली रानी(दासी) ठीक हो गई और अच्छे से उनके बच्चे का जन्म हो गया। जब उस दासी ने उस पात्र को देखा तो उसमें नीचे किचन था तब उसने उन सैनिकों को बुलाया और पूछा कि तुम यह पानी कहां से लेकर आए हो तब उन सैनिकों ने कहा कि महल के बाहर जो पहरेदार थे उन्होंने हमें यह पानी दिया और कहा कि यह पानी शिव कुंड से आता है यह बात सुनकर वह दासी बहुत ही उदास हुई और उसने सोचा कि यदि आज मैं उनकी बहन होती तो मेरे लिए भी रात को दरवाजे खोले जाते और शिव कुंड का पानी दिया जाता। क्योंकि शिव कुंड का पानी बहुत ही निर्मल और साफ था उस दासी के गर्भ से शहजादे का जन्म हुआ था। इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी बहुत ही खुश होगा और वह रानी से मिलने के लिए उसके कक्ष में गया।


जब वहां पहुंचा तो वह दासी रो रही थी जब बादशाह ने उससे उसके रोने का कारण पूछा तो उस दासी ने सारी सच्चाई बादशाह को बता दी और कहा कि मैं कोई सांखला की रानी नहीं हूं। मैं एक दासी हूं जब इस बात का पता बादशाह को चला तो वह बहुत ही क्रोधित हुआ। और उन्होंने कोयला पाटन पर आक्रमण करने का आदेश दे दिया इसके बाद उस बादशाह को उसकी बेटी ने कहा कि हमारे महल में अभी मेरे भाई का जन्म हुआ है और आप आक्रमण करने के लिए कह रहे हो यह उचित नहीं है। आप कोयला पाटन पर आक्रमण नहीं कर सकते। क्योंकि सीहड़देव को माता भगवती से यह वरदान मिला हुआ है कि उन्हें कोई भी योद्धा पराजित नहीं कर सकता।


इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी अपने एक सेनापति बदरुद्दीन और अपनी बेटी को कोयला पाटन भेज देता है। वह वहां जाकर सीहड़देव से बातचीत करते हैं और वे कहते हैं कि आप दिल्ली में डोला भिजवा दीजिए। इस बात पर सीहड़देव बिल्कुल ही मना कर देते हैं इसके बाद वह सेनापति कहता है कि आप खुद चलकर बादशाह से बात कर लीजिए।


अब जब सीहड़देव दिल्ली जाकर बादशाह से बात करते हैं तो अलाउद्दीन खिलजी उनसे कहता है कि मैंने सुना है तुम्हारी रानियां बहुत ही खूबसूरत है एक बार मुझे उनका चेहरा दिखा दीजिए। इस पर सीहड़देव ने कहा कि मैं अपनी रानियों की परछाई भी तुम्हें नहीं देखने दूंगा। यह बात सुनकर बादशाह बहुत ही क्रोधित हो जाता है और वह उसे कहते हैं कि तुम आक्रमण के लिए तैयार हो जाओ।


इसके बाद सीहड़देव कोयला पाटन आ जाते हैं और वह सारी घटना अपने भाइयों को बताते हैं सारी बातें सुनकर उनके भाइयों ने युद्ध करने से इंकार कर दिया। जब उनके भाइयों ने युद्ध करने से इंकार कर दिया तब सीहड़देव माता चामुंडा के मंदिर में जा कर पूजा करने लगे और अपना शीश काटकर माता के चरणों में रखने वाले थे कि इतने में माता चामुंडा प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि सीहड़देव तुम चिंता मत करो युद्ध में मैं तुम्हारे साथ रहूंगी। मां भगवती ने उनसे कहा कि तुम अपना यह कटा हुआ शीश अपनी माता को दे दो और उनसे कहना कि इसे धरती पर ना रखें जब तक तुम युद्ध लड़ कर वापस ना आ जाओ।


जब सीहड़देव युद्ध के लिए जा रहे थे तब उनकी रानियों ने उनसे कहा कि तुम युद्ध में वीरगति को प्राप्त करने जा रहे हो हम पीछे रह कर क्या करेंगे हम भी तुम्हारे साथ सती हो जाएंगे। इसलिए अपने हाथों से हमारा शीश भी कलम कर दीजिए इसके बाद सीहड़देव ने अपने पांच रानियों के शीश काट दिए। यह सब देख कर अलाउद्दीन खिलजी की बेटी ने कहा कि मैंने भी अपने मन ही मन में तुम्हें अपना पति मान लिया है। और आप मेरा शीश भी काट दीजिए। सीहड़देव ने उसका भी शीश काट दिया आज भी उन रानियों के खून के निशान महल पर बने हुए हैं।


आक्रमण :




जब बादशाह ने कोयला पाटन पर आक्रमण किया तो सीहड़देव और उनके मित्र बदरुद्दीन युद्ध के मैदान में पहुंच गए। और जब बादशाह ने उन्हें बिना सिर के देखा तो कहा कि तुम मेरी सेना का कुछ भी नहीं उखाड़ सकते इस पर सीहड़देव ने कहा कि इस बात की चिंता तुम मत करो इसके बाद सीहड़देव ने माता चामुंडा का आह्वान किया और कहा कि अब मुझे आपकी जरूरत है आप मेरा साथ दीजिए। इसके बाद माता चामुंडा ने सीहड़देव का साथ दिया और सीहड़देव ने बिना सिर के बादशाह की सेना को तहस-नहस कर दिया।


ये सब दृश्य देखकर बादशाह हैरान रह गया कि बिना सिर के सीहड़देव किस प्रकार उनकी सेना पर भारी पड़ रहे हैं। जब बादशाह ने अपनी मौत को नजदीक देखा तो है भागने लगा परंतु भोमिया महाराज ने उन्हें पकड़ लिया। और उनकी दाढ़ी मूछ काट दी और कहा कि यह बता मैं तेरे साथ क्या करूं इसके बाद बादशाह भोमिया महाराज के पैरों में गिर कर माफी मांगने लगा।


और बोला कि - मैं आज के बाद कभी भी तुम्हारी नगरी की तरफ आंख उठाकर नहीं देखूंगा। इसके बाद भोमिया महाराज ने उसे चूड़ियां पहना कर चुनरी उड़ा कर वापस दिल्ली भेज दिया। इस युद्ध में भोमिया महाराज के मित्र बदरुद्दीन वीरगति को प्राप्त हो गए। और आज भी उनकी समाधि कोयला पाटन में बनी हुई है।


भोमिया महाराज की मृत्यु :


भोमिया महाराज सावंत 1311 में वीरगति को प्राप्त हुए थे आज भी गुरु पूर्णिमा के दिन भोमिया महाराज का जागरण होता है। और पूरे भारतवर्ष में इनकी पूजा की जाती है सीहड़देव सांखला बाद में भोमिया के नाम से प्रसिद्ध हुए।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Mukesh shrma on 22-09-2021

Bhomiya ji maharj ka ehites

Vikram on 22-07-2021

Bhomiya ji ka jnm kb hua

Ajay sharma on 24-01-2021

Bhomiya ji Maharaj per dudh kyon chadhaya jata hai


Maya on 12-05-2019

Hamare bhomiyaji sapne mai kayon nahi aate.agerunhe koi preshani hai to wah ham se kayu nhi batate iska aap ke pass koi nidan ho to hame jroor bataye. Or ak bat hamare bhomiyaji ko moti dekhane mai preshani kayon hoti hai.

कालुसिह साँखला राजपुत on 12-05-2019

रुण भोमिया जी का नाम जाती ईतिहास

Khivsingh on 01-09-2018

Siri bhomiyajimaharajkiske putarthe

gopal lohar on 16-07-2018

Bhomiya ji ka janm kab OR kaha hua ji






नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment