Sunne Ke Kaushal Ka Mahatva सुनने के कौशल का महत्व

सुनने के कौशल का महत्व



GkExams on 18-11-2018

बोलना और सुनना

यह इकाई किस बारे में है

यह इकाई इस बारे में है कि बोलने और सुनने के सार्थक अवसर प्रभावी कक्षा शिक्षण और अधिगम में किस प्रकार योगदान करते हैं।


अपने छात्रों के बोलने और सुनने के कौशल के विकास के लिए आप विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाएँगे और उनका मूल्यांकन करेंगे। आप उन तरीकों पर भी विचार करेंगे, जिनके द्वारा छात्रों के विचार सुनकर आपको उनके सीखने का आकलन करने और अपने भावी पाठों की योजना बनाने में मदद मिल सकती है।

वीडियो: सीखने के लिए बातचीत

वीडियो: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना

अगली गतिविधि में आप अपने छात्रों को कहानियाँ बनाने और कक्षा में सुनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चित्रों का उपयोग कर्नेगे।

गतिविधि 3: चित्रों से कहानी

चित्र 3 के चारों चित्र देखें। इन चित्रों से संबंधित एक कहानी बनाएँ। यह आपकी इच्छा के अनुसार छोटी या बड़ी हो सकती है, और इसमें संवाद भी हो सकते हैं। अपनी कहानी किसी सहकर्मी को सुनाएँ। उन्हें यह कैसी लगी?

चित्र 3एक कहानी बनाने के लिए चित्रों का उपयोग करना।

अब अपने छात्रों के साथ एक चित्र-आधारित कहानी गतिविधि आज़माएं। इस उद्देश्य के लिए आप चित्रों की किसी भी श्रंखला का उपयोग कर सकते हैं - किसी पुस्तक से, पत्रिका या अखबार से, अथवा आपके द्वारा, आपके मित्र या सहकर्मी के द्वारा बनाए गए चित्र।


सबसे पहले चित्र 3 में दिए गए क्रमानुसार स्वयं एक लघुकथा सुनाकर इस गतिविधि का अभ्यास करें। इसके बाद अपने छात्रों को जोड़ियों या समूहों में व्यवस्थित करें उन्हें इन्हीं चित्र संकेतों का उपयोग करके अलग अलग कहानियाँ तैयार करने को कहें। जिन छात्रों के घर की भाषा एक समान है, उन्हें एक ही जोड़ी या समूह में रखें, ताकि वे उसी भाषा में कहानी सुनाने की तैयारी कर सकें। यदि संभव हो, तो उन्हें अलग अलग आवाज़ों और हावभावों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें।


जब सब लोग तैयार हो जाएँ, तो अपने छात्रों से उनकी कहानी दूसरी जोड़ी या समूह को, अथवा पूरी कक्षा को सुनाने को कहें। घर की भाषा की कहानियों का अनुवाद किस प्रकार स्कूल की भाषा में भी किया जा सकता है, इसके तरीकों के बारे में चर्चा के लिए समय दें।

विचार के लिए रुकें

  • इस गतिविधि से आपके छात्रों को कौन-से भाषा संबंधी अवसर मिले?
  • आपने कैसे सुनिश्चित किया कि कक्षा का प्रत्येक छात्र इसमें शामिल हुआ था?
  • आप इसे पाठ्यक्रम के किसी विशिष्ट विषय, जैसे इतिहास के लिए किस प्रकार अनुकूलित कर सकते हैं?
  • आप इस तरह की गतिविधि के द्वारा भाषा और विषय के ज्ञान का मूल्यांकन कैसे कर सकते हैं?

3 अपने अध्यापन में जानकारी के लिए छात्रों की बातचीत का उपयोग करना।

छात्र अक्सर अपने शिक्षण के बारे में बात करते हैं। अब क्रियाकलाप 4 करके देखें।

गतिविधि 4: अपने छात्रों की बातचीत सुनना

एक अधिगम संसाधन के रूप में छात्रों की बातचीत की सफलता की संभावना को समझने के लिए, छात्रों की किसी बातचीत को चुपचाप सुनें। यदि संभव हो, तो एक से ज्यादा बार ऐसा करें।


देखें कि क्या आप अपने छात्रों को निम्नलिखित में से कुछ करते हुए सुन सकते हैं:

  • किसी बात पर ध्यान देना
  • उसके बारे में ध्यान से सोचना
  • अपने अवलोकन एक-दूसरे को बताना
  • अपने अवलोकनों और अनुभवों को सुव्यवस्थित करना
  • एक-दूसरे के अवलोकनों और अनुभवों को चुनौती देना
  • अवलोकनों और अनुभवोंके आधार पर तर्क देना
  • अनुमान लगाना
  • किसी पिछले अवलोकन या अनुभव को याद करना
  • किसी दूसरे के अनुभव या भावनाओं की कल्पना करना
  • अपनी भावनाओं या अनुभवों को याद करना।

विचार के लिए रुकें

  • क्या आपने किन्हीं ऐसे छात्रों की बातें सुनीं, जो कुछ सीखने की प्रक्रिया में थे और बातचीत के द्वारा अपने शिक्षण को एकत्रित कर रहे थे?
  • आप अपने अध्यापन के संसाधन के रूप में इस तरह की बातचीत का उपयोग कैसे कर सकते हैं?

एक शिक्षक होने के नाते, एक अच्छा श्रोता होना महत्वपूर्ण है। अक्सर आप अपने छात्रों की जिन बातों को सुनते हैं, उनके तत्वों को आप अपने आगे के पाठों की योजनाओं में शामिल कर सकते हैं।


अब केस स्टडी 2 में दो उदाहरण पढ़ें। इन्हें पढ़ते समय इस बारे में सोचें कि शिक्षक जो सुनते हैं, उसका उपयोग अपने अध्यापन में सहायता के लिए किस प्रकार करते हैं। जब आप इसे पूरा कर लेते हैं, तो अपने छात्रों को सुनने का अगला अवसर ढूंढें। उनकी बातचीत के कौन-से पहलू आपकी अगली कक्षा गतिविधियों के लिए उपयोगी हो सकते हैं?

केस स्टडी 2: छात्रों की वार्ता से मदद लेना

सुश्री भूमि मुरादाबाद में कक्षा दो की शिक्षिका हैं।


एक दिन मैं बाहर बैठकर खाना खा रही थी कि तभी मैंने छात्रों को ऊंची आवाज़ में बहस करते हुए सुना। मैंने दखल देने के बजाय, ध्यान से सुनने का फैसला किया। चार छात्र एक कविता के बारे में बहस कर रहे थे, जो मैंने उन्हें उस दिन सुबह पढ़कर सुनाई थी। जब मैं कविता पढ़ रही थी, तो कक्षा ने चुपचाप वह कविता सुनी थी। इसलिए मैंने यह मान लिया था कि सब लोग उसे समझ गए हैं। लेकिन जब मैंने अपने छात्रों को बहस करते हुए सुना, तब मुझे अहसास हुआ कि उनमें से ज्यादातर ने उसे बिलकुल ही गलत अर्थ में समझा था। कविता के मुख्य शब्दों के लिए उनके द्वारा की गई अलग अलग व्याख्या को सुनकर मुझे यह बात पता चली।


मैंने अगले दिन उन्हें यह कविता फिर से सुनाई और यह जानने का प्रयास किया कि कविता उन्हें समझ में आई अथवा नहीं। इस घटना ने मुझे सिखाया कि जब हम पाठ्यपुस्तक-आधारित अन्य पाठ पढ़ते हैं, तो हमें इस बात को जाँचने के लिए ज्यादा समय देना चाहिए कि क्या कोई अपरिचित शब्दावली है और यदि ऐसा है, तो उसे ध्यानपूर्वक समझाना चाहिए। मैं उसके बाद से नियमित रूप से ऐसा कर रही हूँ और मैंने इसके फायदे भी देखे हैं।


श्रीमती सरोज बिठूर में कक्षा पाँच की शिक्षिका हैं।


मैं अपने छात्रों को लेखन कार्य देते समय कुछ मुख्य बिन्दु बता देती थी। इससे उनके लेख एक समान हो जाते थे।


एक दिन सुबह कक्षा से पहले, मैंने कई छात्रों को आपस में बातें करते हुए सुना। मुझे अचंभा हुआ कि उन कुछ मिनटों में ही उन्होंने कई तरह के विषयों पर चर्चा की, उन्हें समझाया, प्रश्न पूछे, तर्क दिए और अनुमान लगाया। उनके पास कई रोचक विचार थे।


उनकी बातें सुनने के परिणामस्वरूप मुझे अहसास हुआ कि यदि मैं अपने छात्रों को उनके मौखिक भाषा संसाधनों, अनुभवों और रुचियों का इस तरह उपयोग करने दूँ, तो वे और भी ज्यादा रचनात्मक और सार्थक रूप से लिख सकेंगे।


अब मैं अपने छात्रों को चार या पाँच के समूहों में रखती हूँ और उन्हें चर्चा करने के लिए एक विषय देती हूँ व इसके बाद उन्हें उस विषय पर लिखने के लिए आमंत्रित करती हूँ। अभी तक, उन्होंने स्कूल के बाहर वाली चाय की दुकान, एक स्थानीय त्यौहार, हाल ही में हुए एक खेल आयोजन और आस-पास के पेड़ों जैसे विषयों के बारे में बात की है और लिखा है। कभी-कभी मैं अपने छात्रों को स्कूल के परिसर में भेजती हूँ और उनसे कहती हूँ कि वे वस्तुओं का अवलोकन करें, आपस में चर्चा करें और फिर उनके बारे में लिखें।

अंतिम गतिविधि में, आप एक समूह गतिविधि आज़माएंगे, जिसमें बोलना और लिखना शामिल होगा। मुख्य संसाधन ‘समूह कार्य का उपयोग करना’ आपके लिए उपयोगी हो सकता है।

गतिविधि 5: लेखन की तैयारी के लिए सामूहिक बातचीत का उपयोग करना

श्रीमती सरोज की स्थिति अध्ययन (केस स्टडी) का मार्गदर्शक के रूप में का उपयोग करके, एक पाठ तैयार करें, जिसमें आप अपने छात्रों को किसी विषय पर चर्चा करने और फिर उसके बारे में अकेले-अकेले लिखने के लिए आमंत्रित करेंगे।

  • अपनी कक्षा को चार, पाँच या छः के समूहों में बाँटें।
  • प्रत्येक समूह को चर्चा करने के लिए एक विषय दें। यह आपके छात्रों की उम्र और रुचियों पर निर्भर होगा। आप प्रेरणा के लिए प्रत्येक समूह को एक चित्र या अखबार की किटंग दे सकते हैं।
  • दो या तीन छात्रों के साथ इस बात का नमूना दिखाएँ कि उन्हें किस तरह आपस में बात करनी चाहिए, उन्हें यह प्रदर्शित करके बताएँ कि उपयोगी अन्वेषक प्रश्न किस तरह पूछे जाते हैं और उनके सहपाठियों के उत्तरों को किस तरह आदरपूर्वक सुनना चाहिए।
  • कक्षा में घूमते हुए निरीक्षण करते रहें और यदि आवश्यक हो, तो समूहों की मदद करें। इस अवसर का उपयोग करके अपने छात्रों के व्यवहार, भाषा में उनकी महारथ और संबंधित विषय की उनकी समझ का अवलोकन करें।
  • चर्चा सत्र के बाद, अपने छात्रों से कहें कि उन्होंने जिस विषय पर चर्चा की है, वे उस पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें।
  • कभी-कभी आप अपने छात्रों के निबंधों को रुचि के अनुसार अन्य सदस्यों में वितरित भी कर सकते हैं।
  • अंत में, आप अपने छात्रों के लेखन के अपने मूल्यांकन के आधार पर आगे के पाठों की योजना बना सकते हैं।

4 सारांश

इस इकाई में आपको ऐसे अवसर तैयार करने के बारे में कुछ विचार दिए गए , जिनके द्वारा आपके छात्र कक्षा में सीखने में सहायता के लिए एक दूसरे से बात कर सकते हैं और सुन सकते हैं। इसमें यह दर्शाया गया है कि विषय के बारे में और भाषा कौशल के बारे में छात्रों की समझ और प्रगति की जानकारी प्राप्त करने में छात्रों की चर्चा किस तरह मूल्यवान हो सकती है। ऐसी जानकारी आपके कक्षा अभ्यास और पाठों की योजना दोनों में योगदान कर सकती है। अपने छात्रों की बातचीत को सुनकर , आप पाठों की योजना इसके अनुरूप बना सकते हैं कि आप अपने छात्रों को क्या सिखाना चाहते हैं और उनकी सोच को किस प्रकार विकसित करना चाहते हैं , ताकि उनकी उपलब्धि में सुधार हो सके।

संसाधन

संसाधन 1: सीखने के लिए बातचीत

सीखने के लिए बातचीत क्यों जरूरी है

बातचीत मानव विकास का हिस्सा है, जो सोचने-विचारने, सीखने और विश्व का बोध प्राप्त करने में हमारी मदद करती है। लोग भाषा का इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और बोध को विकसित करने के लिए औज़ार के रूप में करते हैं। अत: छात्रों को उनके अधिगम अनुभवों पर बात करने के लिए प्रोत्साहित करने का अर्थ होगा उनकी शैक्षणिक प्रगति का बढ़ना। सीखे गए विचारों के बारे में बात करने का अर्थ होता है:

  • उन विचारों को परखा गया है
  • तार्किक क्षमता विकसित और सुव्यवस्थित है
  • जिससे छात्र अधिक सीखते हैं।

किसी कक्षा में रटा-रटाया दोहराने से लेकर उच्च श्रेणी की चर्चा तक छात्र वार्तालाप के विभिन्न तरीके होते हैं।


पारंपरिक तौर पर , कक्षा में शिक्षक ही अधिक समय बोलता था और उसकी बातें छात्रों की बातचीत या छात्रों के ज्ञान के मुकाबले अधिक मूल्यवान समझी जाती थी। तथापि , पढ़ाई के लिए बातचीत में पाठों का नियोजन शामिल होता है जिसमें शिक्षक छात्रों के पूर्व अनुभवों से जोड़ते हुए चर्चा करें ताकि छात्र अधिक बात कर सकें व अधिक सीख भी सकें। यह किसी शिक्षक और उसके छात्रों के बीच प्रश्न और उत्तर सत्र से कहीं अधिक होता है क्योंकि इसमें छात्र की भाषा , विचारों और रुचियों को ज्यादा समय दिया जाता है। हम में से अधिकांश कठिन मुद्दे के बारे में या किसी बात का पता करने के लिए किसी से बात करना चाहते हैं , और अध्यापक बेहद सुनियोजित गतिविधियों से इस सहज - प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।

कक्षा में शिक्षण गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना

शिक्षण की गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना केवल साक्षरता और शब्दावली के लिए नहीं है, यह गणित एवं विज्ञान के काम तथा अन्य विषयों के नियोजन का हिस्सा भी है। इसे समूची कक्षा में, जोड़ी कार्य या सामूहिक कार्य में, आउटडोर गतिविधियों में, भूमिका पर आधारित गतिविधियों में, लेखन, वाचन, प्रायोगिक छानबीन और रचनात्मक कार्य में योजनाबद्ध किया जा सकता है।


यहां तक कि साक्षरता और अंकों के सीमित कौशलों वाले नन्हें छात्र भी उच्चतर श्रेणी के चिंतन कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें दिया जाने वाला कार्य उनके पहले के अनुभव पर आधारित और आनंदप्रद हो। उदाहरण के लिए, छात्र चित्रों, आरेखन या वास्तविक वस्तुओं से किसी कहानी, पशु या आकृति के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं। छात्र भूमिका निभाते समय कठपुतली या पात्र की समस्याओं के बारे में सुझावों और संभावित समाधानों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।


जो कुछ आप छात्रों को सिखाना चाहते हैं, उस पर केन्द्रित पाठ की योजना बनायें, साथ ही इस बारे में भी सोचें कि आप किस प्रकार की बातचीत को छात्रों में विकसित होते देखना चाहते हैं। कुछ बातचीत अन्वेषी होती है, उदाहरण के लिए: ‘इसके बाद क्या होगा?’, ‘क्या हमने इसे पहले देखा है?’, ‘यह क्या हो सकता है?’ या ‘आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि वह यह है?’ कुछ अन्य प्रकार की वार्ताएं ज्यादा विश्लेषणात्मक होती हैं, उदाहरण के लिए विचारों, साक्ष्यों या सुझावों का आकलन करना।


इसे रोचक व मजेदार बनाने का प्रयास करें जिससे सभी छात्र इसमें भाग ले सकें। इसके लिए उन्हें ऐसा वातावरण देने की आवश्यकता है जिसमें छात्र अपने दृश्टिकोण व विचारों को व्यक्त करने में सहज व सुरक्षित अनुभव करें व उन्हें उपहास का पात्र बनने व गलत होने का भय भी न लगे।

छात्रों की बातचीत को आगे बढ़ाएं

अधिगम के लिए वार्ता अध्यापकों को निम्न अवसर प्रदान करती है

  • छात्र जो कहते हैं उसे सुनना
  • छात्रों के विचारों की प्रशंसा करना और उस पर आगे काम करना
  • इसे आगे ले जाने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित करना।

सभी उत्तरों को लिखना या उनका औपचारिक आकलन नहीं करना होता है, क्योंकि वार्ता के जरिये विचारों को विकसित करना शिक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको उनके अधिगम को प्रासंगिक बनाने के लिए उनके अनुभवों और विचारों का यथासंभव प्रयोग करना चाहिए। सर्वश्रेष्ठ छात्र वार्ता अन्वेषी होती है, जिसका अर्थ होता है कि छात्र एक दूसरे के विचारों की जांच करते हैं और चुनौती पेश करते हैं ताकि वे अपने प्रत्युत्तरों को लेकर विश्वस्त हो सकें। एक साथ बातचीत करने वाले समूहों को किसी के भी द्वारा दिए गए उत्तर को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। आप समूची कक्षा की सेटिंग में ‘क्यों?’, ‘आपने उसका निर्णय क्यों किया?’ या ‘क्या आपको उस हल में कोई समस्या नजर आती है?’ जैसे समस्यात्मक प्रश्नों के प्रयोग के माध्यम से चुनौतीपूर्ण चिंतनशीलता उत्पन्न कर सकते हैं। आप छात्र समूहों को सुनते हुए कक्षा में घूम सकते हैं और ऐसे प्रश्न पूछकर उनकी चिंतन प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।


अगर छात्रों की वार्ता, विचारों और अनुभवों की कद्र और सराहना की जाती है तो वे प्रोत्साहित होंगे। बातचीत करने के दौरान अपने व्यवहार, सावधानी से सुनने, एक दूसरे से प्रश्न पूछने, और बाधा न डालना सीखने के लिए अपने छात्रों की प्रशंसा करें। कक्षा में कमजोर बच्चों के बारे में सावधान रहें और उन्हें भी शामिल किया जाना सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करें। कामकाज के ऐसे तरीकों को लागू करने में थोड़ा समय लग सकता है, जो सभी छात्रों को पूरी तरह से भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हों।

छात्रों को खुद से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें

अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करें जहां अच्छे चुनौतीपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं और जहां छात्रों के विचारों को सम्मान दिया जाता है और उऩकी प्रशंसा की जाती है। छात्र प्रश्न नहीं पूछेंगे अगर उन्हें उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर भय होगा या अगर उन्हें लगेगा कि उनके विचारों का मान नहीं किया जाएगा। छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करना उनको जिज्ञासा दर्शाने के लिए प्रोत्साहित करता है, उनसे अपने शिक्षण के बार में अलग ढंग से विचार करने के लिए कहता है और उनके नजरिए को समझने में आपकी सहायता करता है।


आप कुछ नियमित समूह या जोड़े में कार्य करने, या ‘छात्रों के प्रश्न पूछने का समय’ जैसी कोई योजना बना सकते हैं ताकि छात्र प्रश्न पूछ सकें या स्पष्टीकरण मांग सकें। आप:

  • अपने पाठ के एक भाग को ‘अगर आपका प्रश्न है तो हाथ उठाएं’ नाम रख सकते हैं।
  • किसी छात्र को हॉट-सीट पर बैठा सकते हैं और दूसरे छात्रों को उस छात्र से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जैसे कि वे पात्र हों, उदाहरणत: पाइथागोरस या मीराबाई
  • जोड़ों में या छोटे समूहों में ‘मुझे और अधिक बताएं’ खेल खेल सकते हैं
  • मूल पूछताछ का अभ्यास करने के लिए छात्रों को कौन/क्या/कहां/कब/क्यों वाले प्रश्न ग्रिड दे सकते हैं
  • छात्रों को कुछ डेटा (जैसे कि विश्व डेटा बैंक से उपलब्ध डेटा, उदाहरणत: पूर्णकालिक शिक्षा में बच्चों का प्रतिशत या भिन्न देशों में स्तनपान की विशेष दरें) दे सकते हैं और उनसे उन प्रश्नों के बारे में सोचने के लिए कह सकते हैं जो इस डेटा के बारे में आपके प्रश्न हैं।
  • छात्रों के सप्ताह भर के प्रश्नों को सूचीबद्ध करते हुए प्रश्न दीवार डिज़ाइन कर सकते हैं।

जब छात्र प्रश्न पूछने और उन्हें मिलने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए स्वतंत्र होते हैं तो उस समय आपको रुचि और विचारशीलता के स्तर को देखकर हैरानी होगी। जब छात्र अधिक स्पष्टता और सटीकता से संवाद करना सीख जाते हैं, तो वे न केवल अपनी मौखिक और लिखित शब्दावलियां बढ़ाते हैं, अपितु उनमें नया ज्ञान और कौशल भी विकसित होता है।

संसाधन 2: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना

शिक्षक हमेशा अपने छात्रों से सवाल पूछते रहते हैं; सवालों का अर्थ ये होता है कि शिक्षक सीखने और सीखते रहने में अपने छात्रों की मदद कर सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार औसतन, एक शिक्षक अपने समय का एक-तिहाई हिस्सा छात्रों से सवाल पूछने में खर्च करता है (हेस्टिंग्स, 2003)। पूछे गए प्रश्नों में से, 60 प्रतिशत में तथ्यों को दोहराया गया था और 20 प्रतिशत प्रक्रियात्मक थे (हैती, 2012), जिनमें से ज्यादातर के उत्तर सही या गलत में थे। लेकिन क्या सिर्फ सही या गलत में उत्तर वाले सवाल पूछने से सीखने को प्रोत्साहन मिलता है?


छात्रों से कई अलग अलग तरह के सवाल पूछे जा सकते हैं। शिक्षक किस तरह के उत्तर और परिणाम पाना चाहते हैं, उनसे पता चलता है कि शिक्षक को किस तरह के सवाल पूछने चाहिए। शिक्षक आमतौर पर छात्रों से सवाल पूछते हैं, ताकि वे:

  • जब कोई नया विषय या सामग्री प्रस्तुत की जाती है, तो वे छात्रों को इसे समझने के लिए मार्गदर्शन कर सकें
  • बेहतर ढंग से सोचने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित कर सकें
  • कोई त्रुटि दूर कर सकें
  • छात्रों को प्रोत्साहित कर सकें
  • समझ को जाँच सकें।

प्रश्नों का उपयोग आमतौर पर यह देखने के लिए किया जाता है कि छात्र क्या जानते हैं, इसलिए यह उनकी प्रगति का आंकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रश्नों का उपयोग प्रेरणा देने, छात्रों के सोचने के कौशल को बढ़ाने और जिज्ञासु मन विकसित करने में भी किया जा सकता है। उन्हें मोटे तौर पर दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

  • निचले स्तर के प्रश्न, जिनमें कि तथ्यों का स्मरण और पहले सिखाया गया ज्ञान शामिल होता है, प्रायः बंद सिरे के प्रश्नों (हां या नहीं में उत्तर) से संबद्ध होते हैं।
  • उच्च स्तर के प्रश्न, जिनके लिए ज्यादा सोचने की ज़रुरत होती है। उनके लिए छात्रों को पहले किसी उत्तर से सीखी गई जानकारी को एक साथ रखने या तार्किक रूप से किसी दलील का समर्थन करने की ज़रुरत पड़ सकती है। उच्च स्तर के प्रश्न प्रायः ज्यादा खुले सिरों वाले होते हैं।

खुले सवाल छात्रों को पाठ्यपुस्तक पर आधारित, सीधे सपाट जवाबों से परे सोचने को प्रोत्साहित करते हैं, इसलिए उत्तरों की श्रेणी खींच निकालते हैं। इनसे शिक्षकों को भी सामग्री के बारे में छात्र की समझ का आंकलन करने में मदद मिलती है।

छात्रों को उत्तर देने के लिए प्रोत्साहित करना

कई शिक्षक एक सेकंड से भी कम समय में अपने प्रश्न का उत्तर चाहते हैं और इसलिए अक्सर वे खुद ही प्रश्न का उत्तर दे देते हैं या प्रश्न को दूसरी तरह से दोहराते हैं (हेस्टिंग्स, 2003)। छात्रों को केवल प्रतिक्रिया देने का समय मिलता है – उनके पास सोचने का समय ही नहीं होता! अगर आप उत्तर चाहने से पहले कुछ सेकंड इंतजार करते हैं तो छात्र को सोचने के लिए समय मिल जाएगा। इसका छात्रों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रश्न को प्रस्तुत करने के बाद इंतजार करने से निम्नांकित में वृद्धि होती है:

  • छात्रों के उत्तरों की लंबाई
  • उत्तर देने वाले विद्यार्थियों की संख्या
  • छात्रों के प्रश्नों की बारंबारता
  • कम सक्षम छात्रों के पास से उत्तरों की संख्या
  • छात्रों के बीच सकारात्मक संवाद।

आपका उत्तर महत्वपूर्ण है

आप दिए गए सभी उत्तरों को जितने सकारात्मक ढंग से स्वीकार करते हैं, छात्र भी उतना ही ज्यादा सोचना और कोशिश करना जारी रखेंगे। यह सुनिश्चित करने के कई तरीके हैं कि गलत उत्तरों और गलत धारणाओं को सुधार दिया जाए, और यदि एक छात्र के मन में कोई गलत विचार है, तो आप निश्चित रूप से यह मान सकते हैं कि कई अन्य छात्रों के मन में भी वही गलत धारणा होगी। आप निम्नलिखित का प्रयास कर सकते हैं:

  • उत्तरों के उन हिस्सों को चुन सकते हैं, जो सही हैं और एक सहायक ढंग से छात्र से अपने उत्तर के बारे में थोड़ा और सोचने के लिए कह सकते हैं। यह ज्यादा सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है और आपके छात्रों की अपनी गलतियों से सीखने में मदद करता है। निम्नलिखित टिप्पणी यह दर्शाती है कि आप ज्यादा मददगार ढंग से किस प्रकार से गलत उत्तर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं: ‘आप वाष्पीकरण से बनते बादलों के बारे में सही थे लेकिन मुझे लगता है कि हमें बारिश के बारे में आपने जो कहा है उसके बारे में थोड़ा और पता लगाने की जरूरत है। क्या आपमें से कोई और इस बारे में कुछ बता सकता है?’
  • छात्रों से मिलने वाले सभी उत्तर ब्लैकबोर्ड पर लिखें, और छात्रों से पूछें कि वे इनके बारे में क्या सोचते हैं। उनके अनुसार कौन-से उत्तर सही हैं? कोई अन्य उत्तर देने का कारण क्या रहा होगा? इससे आपको यह समझने का एक मौक़ा मिलता है कि आपके छात्र किस तरीके से सोच रहे हैं और आपके छात्रों को भी एक मित्रवत तरीके से अपनी गलत धारणाओं को सुधारने का अवसर मिलता है।

सभी उत्तरों को ध्यान से सुनकर और आगे समझाने के लिए छात्रों को प्रेरित करके उन्हें महत्व दें। उत्तर चाहे सही हो या गलत, लेकिन यदि आप छात्रों से अपने उत्तरों को विस्तार में समझाने को कहते हैं, तो अक्सर छात्र अपनी गलतियाँ खुद ही सुधार लेंगे, आप एक विचारशील कक्षा का विकास करेंगे और आपको वास्तव में पता चलेगा कि आपके छात्र कितना सीख गए हैं और अब किस तरह आगे बढ़ना चाहिए। यदि गलत उत्तर देने पर अपमान या सज़ा मिलती है, तो दोबारा शर्मिंदगी या डांट के डर से आपके छात्र कोशिश करना ही छोड़ देंगे।

उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना

यह महत्वपूर्ण है कि आप प्रश्नों का एक ऐसा क्रम अपनाने की कोशिश करें, जो सही उत्तर पर ख़त्म न होता हो। सही उत्तरों के बदले फॉलो-अप प्रश्न पूछने चाहिए, जो छात्रों का ज्ञान बढ़ाते है और उन्हें शिक्षक के साथ संलग्न होने का मौका देते हैं। यह आप पूछकर कर सकते हैं:

  • एक कैसे या एक क्यों
  • उत्तर देने का एक और तरीका
  • एक बेहतर शब्द
  • किसी उत्तर को सही साबित करने के लिए प्रमाण
  • संबंधित कौशल का एकीकरण
  • उसी कौशल या तर्क का किसी नई स्थिति में अनुप्रयोग।

छात्रों ज्यादा गहराई में जाकर सोचने में मदद करना और उनके उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना आपकी भूमिका का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। निम्नलिखित कौशल अधिक उपलब्धि हासिल करने में छात्रों की मदद करते हैं:

  • प्रोत्साहनके लिए छात्रों को उचित संकेत देने की ज़रुरत पड़ती है – ऐसे संकेत जिनसे छात्रों को उनके प्रश्नों को विकसित करने और सुधार में मदद मिलती हो। उत्तर में सही क्या है, आप पहले इसे चुनकर इसके बाद जानकारी, आगे के प्रश्न तथा अन्य संकेत दे सकते हैं। (‘तो अगर आप कागज के अपने हवाई जहाज के अंतिम सिरे पर वजन रखते हैं तो क्या होगा?’)
  • जांच-पड़तालअधिक जानकारी पाने की कोशिश करने, एक अव्यवस्थित उत्तर को या आंशिक रूप से सही उत्तर को सुधारने की कोशिश में छात्र जो कहना चाहते हैं, उसे स्पष्ट करने में उनकी मदद करने से संबंधित है। (‘तो इस सबका जो अर्थ है उसके बारे में आप मुझे और क्या बता सकते हैं?’)
  • फिर से ध्यान केंद्रित करनासही उत्तरों के आधार पर छात्रों के ज्ञान को उस ज्ञान से जोड़ने से संबंधित होता है, जो उन्होंने पहले सीखा है। यह उनकी समझ को विकसित करता है। (‘आपकी बात सही है, लेकिन पिछले सप्ताह हम अपने स्थानीय पर्यावरण विषय के बारे में जो पढ़ रहे थे, यह उससे किस प्रकार संबंधित है?’)
  • प्रश्नों को अनुक्रित करनेका अर्थ है ऐसे क्रम में प्रश्न पूछना, जिन्हें सोच का विस्तार करने हेतु बनाया गया है। प्रश्नों के द्वारा छात्रों को सारांश बनाने, तुलना करने, समझाने और विश्लेषण करने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। ऐसे प्रश्न तैयार करें, जिनसे छात्रों को सोचने की प्रेरणा मिले, लेकिन उन्हें इतनी ज्यादा भी चुनौती न दें कि प्रश्न का अर्थ ही खो जाए। (‘स्पष्ट करें कि आप अपनी पहले की समस्या से किस प्रकार उबरे। उससे क्या फर्क पड़ा? आपको क्या लगता है आगे आपको किस चीज का सामना करने की जरूरत पड़ेगी?’)
  • सुननेसे आप न केवल अपेक्षित उत्तर पर गौर करने में समर्थ होते हैं, बल्कि इससे आप असाधारण या नवोन्मेषी उत्तरों के प्रति सतर्क भी होते हैं, जिसकी हो सकता है कि आपको अपेक्षा न रही हो। इससे यह भी दिखाई देता है कि आप छात्रों के विचारों को महत्व देते हैं और इसलिए इस बात की ज्यादा संभावना होती है कि वे सुविचारित उत्तर देंगे। इस तरह के उत्तर भ्रांतियों को चिन्हंकित कर सकते हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत होती है अथवा वे एक नयी पहुंच दर्शा सकते हैं, जिन पर आपने विचार नहीं किया हो। (‘मैंने इसके बारे में सोचा नहीं था। आप इस तरह से क्यों सोचते हैं इसके बारे में मुझे और जानकारी दें।’)





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