Balika Shiksha Ki Paribhasha बालिका शिक्षा की परिभाषा

बालिका शिक्षा की परिभाषा



Pradeep Chawla on 12-05-2019

शिक्षा मनुष्य का वह आभूषण है, जिसे ग्रहण करने से भविष्य गुणवान व संस्कारी बन जाता है. शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य विनम्रता, उदारता और सहनशीलता जैसे महान गुणों को सीखता है. Education Importance शिक्षा ही मनुष्य को कर्मठ, महत्वाकांक्षी व परिश्रमी बनाती है. अत: शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूल आधार है. इसके द्वारा न केवल मानसिक विकास होता है.









बालिका शिक्षा का Education Importance



बालिका शिक्षा का Education Importance



बल्कि उसकी सामाजिक, आर्थिक एवं मनोवेज्ञानिक स्थिति में भी अंतर स्पष्ट होता है. इसलिए आवश्यक है. लड़के एवं लडकियों की शिक्षा को तुलनात्मक रप से बराबर का मापदंड प्रदान किया जाए. प्रत्येक बालिका अथवा महिला के लिए शिक्षा वह खुबसूरत खिड़की है, जो विराट और खुबसूरत दुनिया में खुलती है.



प्रतिवर्ष महिला दिवस मनाने का यही अर्थ होता है, कि उनकी सामाजिक व शेक्षिक स्थिति में अपेक्षित सुधार शेष है.







बालिका एवं शिक्षा का सम्बंध – बालिका, जिसके जन्म पर घर में कोई प्रसन्न नहीं होता, जो जीवनभर सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव, प्रताड़ना, उत्पीड़न, कुपोषण और शोषण का शिकार होती रहती है, ऐसी बालिका के लिए शिक्षा ही एक ऐसा अस्त्र बन सकता है, जो न केवल उसे उसके नैतिक, सामाजिक और शेक्षणिक अधिकार दिलाएगी, बल्कि उसे जीवन में आने वाली कठिनाइयों के सामने एक सशक्त महिला के रूप में खड़ा करेगा. अत: बालिका के साथ शिक्षा के सम्बंध को नकारा नहीं जा सकता.







बालिका के लिए शिक्षा आवश्यक – स्त्रियों का परिवार, समाज व राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है. बालिकाओ पर भी किसी भी देश का भविष्य निर्भर करता है. क्योकि बालिकाए आगे चलकर माँ बनती है और माँ किसी भी परिवार की केन्द्रीय इकाई होती है. यदि माँ को शिक्षा प्राप्त नहीं है और वह बचपन से ही कुपोषण व अज्ञानता की शिकार है, तो वह एक स्वस्थ शिक्षित परिवार व उन्नत समाज को जन्म देने में विफल रहेगी. अत: बालिका के लिए शिक्षा नितांत आवश्यक है.







बालिका शिक्षा का प्राचीन स्वरुप – स्त्री को कमजोर करने का प्रयास उसके शेशव काल से ही प्रारम्भ हो जाता है. लड़के के मुकाबले लड़की के पोष्टिक भोजन एवं अन्य जरूरतों का स्थान दिया जाता है. प्राचीन समय में भी स्त्री को हमेशा ससुराल की सेवा पारिवारिक अनुशासन, चौके चूल्हे की परिधि तक ही सीमित रहने की शिक्षा दी जाती थी. एख बालिका, जो भविष्य में एक परिवार की महत्वपूर्ण इकाई बनती है, उसे परिवार में संस्कृतिक शिक्षा तो मिल जाती थी. पर सामाजिक, नैतिक शिक्षा से उसे वंचित रखा जाता था.







“मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित कविता की ये पंक्तियाँ आज भी उतनी ही सार्थक है, जितनी तब थी. दो दो कौर रोटियाँ मिलती और धोतियाँ चार, नारी तेरा यही मोल तो करता है संसार”



कवि सुमित्रानंदन पंत के शब्दों में



“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आँचल में है दूध और आखों में है पानी”







बालिका शिक्षा बेहतर भविष्य की और – आज बालिका शिक्षा को राष्ट्रीय आवश्यकता समझकर जोर दिया जा रहा है. परिणामत: बालिकाओ की स्थिति में सुधार हुआ है. समय तेजी से बदल रहा है. समय के साथ स्त्री जाती ने भी करवट ली है. आज बालिकाये, बालकों से किसी क्षेत्र में कम नहीं है, वे आज इस प्रतियोगी युग में तेजी से आगे बढ़ रही है. आज विचार किया जाए तो बालिकाएँ, बालकों से हर क्षेत्र में आगे न रखे हों.



यह सब सरकार की सुनियोजित योजनाओं का फल है कि आज समाज में बालिकाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण बदला है. जैसे (१) महिला बाल विकास योजना (२) महिला शिक्षा योजना (३) इंदिरा महिला व बाल विकास योजना (४) बालिकाओं के लिए बालिका वर्ष मनाना.



इनका मुख्य उदेश्य समाज में फैली अज्ञानता, बालिकाओं के शिक्षा के प्रति सकारात्मक रवैये को बदलना ही है. अत: हम पाते है कि बालिका शिक्षा ने आज ऐसे नए नए आयामों को जन्म दिया है, जिससे न केवल उनकी शिक्षा का भविष्य उन्नति पर है, बल्कि वे अपनी पूर्ण प्रगति के प्रति आश्वस्त भी है.







उपसंहार – निष्कर्ष रूप से यही कहा जा सकता है, कि बालिकाओ के प्रति समाज में सम्पूर्ण दृष्टीकोण में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है और यदि राष्ट्रीय महिला आयोग इस भूमिका को निभा लेगा तो निश्चय ही बहुत बड़ा योगदान होगा.



इक्कीसवीं सदी के प्रवेशद्वार पर बैठा मानव भविष्य की संभावनाओ अर्थात बेटियों व बालिकाओं के प्रति अपना असहिष्णु व निष्ठुर होता जा रहा है, इससे निपटने के लिए स्वेच्छिक संगठनों को इस मोर्चे को प्राथमिकता देनी होगी और जड़ सामाजिक रवैये पर पूरी शक्ति के साथ हमला करना होगा.



किन्तु यह सफलता कुछ व्यक्तियों के प्रयासों से सम्भव नहीं होगी. इसके लिए हमें भी जन जागृति लानी होगी. लोगो को बालिका शिक्षा का महत्त्व समझना होगा तभी हमारे देश में अशिक्षा का सूरज डूबेगा व उन्नत विकसित शिक्षित व सम्पन्न देश के नए सूरज का उदय होगा.



इस आशा के साथ कि साथ कि इक्कीसवीं सदी की बालिका अपने अनुकूल सार्थक व सुदृढ़ परिणामों से युक्त अपनी परिणति पर पहुचेगी. आइये, हम इसे सफल बनाने के लिए जुट जाएँ और इस कार्य का श्री गणेश अपने अपने घरों में ही आरम्भ करे.




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Comments Priyank on 30-01-2023

बालिका शिक्षा एवं निरधनता पर टिप्पणी लिखो

Moni kumari on 04-10-2021

बालिका का परिभाषा क्या है

RaGhav on 18-08-2021

बालिका शिक्षा से क्या समझते हैं


Vinay Kumar Singh on 25-06-2021

बालिका शिक्षा समाजशास्त्र समाज और मुद्दों को सामाजिक मुद्दों को समझाइए

Neesha bansal on 25-06-2021

बालिका शिक्षा की समाजशास्त्रीय समझ और सामाजिक मुद्दे क्या हैं?

Santram saket on 23-06-2021

Baklika shikcha KO samajsastri samaj or samajik muddo KO samjhaiy.

Pradyumna prasad pandey on 22-06-2021

Balika samaj Shastri Shiksha ke mudde


B. Ed on 22-06-2021

बालिका शिक्षा की समाजशास्त्रीय समझ और सामाजिक मुद्दों को समझाइए



sandeep on 12-05-2019

Balika

शैल सिंह on 07-09-2020

बालिका शिक्षाा के उद्देश्य

Manju meena on 08-09-2020

Balika shiksha chunotiya aur sambhavna ke bare mein aap kya jante Hain

Ravita on 12-06-2021

Balika vidhyalikaran ka arth




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