उत्तररामचरित In Hindi उत्तररामचरित इन हिंदी

उत्तररामचरित इन हिंदी



Pradeep Chawla on 20-10-2018

3.10. उत्तररामचरितम् (तृतीय अंक) [(UTTARARAMACHARITAM



(THIRD-ACT)] संस्कृत साहित्य में महाकवि भवभूति विरचित ‘उत्तररामचरितम् नाटक का एक विशिष्ट स्थान है. इस ग्रन्थ का प्रारम्भ श्रीरामराज्याभिषेक से तथा अवसान लव-कुश के साथ श्रीराम के सम्मिलनपूर्वक भरतवाक्य से होता है. इसके नायक धीरोदात्त प्रकृति वाले श्रीराम तथा नायिका जनपुत्री सीताजी हैं. इसमें प्रतिनायक एवं विदूषक का अभाव है. करुणरसप्रधान इस नाटक की उपजीव्यता का श्रेय ‘रामायण को प्राप्त है. यहाँ पर निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार तृतीय अंक का सारांश दिया जा रहा है



विष्कम्भक में तमसा तथा मुरला नामक दो नदी देवताओं के सम्वाद द्वारा कुश तथा लव के विषय में सूचना मिलती है। कि वाल्मीकि आश्रम के पास लक्ष्मण के द्वारा छोड़ी गई सीताजी ने प्रसववेदना से व्यथित होकर अपने आप को गंगा में समर्पित कर दिया, जहाँ उन्हें दो पुत्ररत्नों की प्राप्ति हुई.





ऐसी स्थिति में भगवती भागीरथी एवं पृथ्वी के द्वारा सीताजी शिशुओं के साथ रसातल में ले जाई गयीं. स्तन्यत्याग के अनन्तर भगवती भागीरथी ने दोनों शिशुओं को महर्षि वाल्मीकि को अर्पित कर दिया.



अगस्त्याश्रम से लौटने के पश्चात् श्रीरामचन्द्रजी पञ्चवटी में आते हैं और उसी दिन लव-कुश की बारहवीं वर्षगाँठ (Birthday) भी है. इस अवसर पर भगवती भागीरथी सीता को उसी के हाथों से चुने हुए पुष्पों से भगवान सूर्य की पूजा कराने के बहाने (वस्तुतः राम की रक्षा के लिए) अपने साथ | लेकर गोदावरी के पास आती हैं. और सीता को अदृश्य बनाकर तमसा के साथ पञ्चवटी में भेज देती हैं. तदनन्तर श्रीराम पञ्चवटी में प्रवेश करते हैं और सीता-सहवासविषयक स्थानों को देखकर शोक से मूर्छित हो जाते हैं. भगवती सीता अदृश्य रहती हुई भी अपने शीतल-कर-स्पर्श से श्रीराम को चैतन्यलाभ पहुँचाती हैं. | वनदेवता वासन्ती पञ्चवटी में ही राम से मिलती है तथा | सीता-विषयक वार्तालाप करती है. सीता और राम दोनों ही | शोकसन्तप्त होकर विलाप करते हैं. अन्त में राम अश्वमेध | यज्ञ हेतु आयोध्या वापस लौट जाते हैं और सीता अपने पुत्रों



की वर्षगाँठ मनाने के लिए गंगा के पास लौट जाती है. इस | अंक में सीता को राम की विरहव्यथा का प्रत्यक्ष होता है. | राम के मुख से अश्वमेध यज्ञ में अपनी हिरण्यमयी प्रतिमा



को सहधर्मिणी के रूप में स्वीकार की गई सुनकर राम के | प्रति उनका सारा क्षोभ दूर हो जाता है और उनके हृदय से | परित्यागजन्य शल्य निकल जाता है. जिससे नाटक के अन्त में होने वाले समागम का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. ध्यातव्य है। कि इस अंक को ‘छायांक के नाम से जाना जाता है.




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Kavita on 19-09-2021

उत्तररामचरितम् के सात अंको के श्लोक अर्थ सहित भेजे

Suman yadav on 20-09-2020

Uttrramcritm kuig prsan





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment