उत्तररामचरितम् Third Ank उत्तररामचरितम् तृतीय अंक

उत्तररामचरितम् तृतीय अंक



GkExams on 12-05-2019

3.10. उत्तररामचरितम् (तृतीय अंक) [(UTTARARAMACHARITAM



(THIRD-ACT)] संस्कृत साहित्य में महाकवि भवभूति विरचित ‘उत्तररामचरितम् नाटक का एक विशिष्ट स्थान है. इस ग्रन्थ का प्रारम्भ श्रीरामराज्याभिषेक से तथा अवसान लव-कुश के साथ श्रीराम के सम्मिलनपूर्वक भरतवाक्य से होता है. इसके नायक धीरोदात्त प्रकृति वाले श्रीराम तथा नायिका जनपुत्री सीताजी हैं. इसमें प्रतिनायक एवं विदूषक का अभाव है. करुणरसप्रधान इस नाटक की उपजीव्यता का श्रेय ‘रामायण को प्राप्त है. यहाँ पर निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार तृतीय अंक का सारांश दिया जा रहा है



विष्कम्भक में तमसा तथा मुरला नामक दो नदी देवताओं के सम्वाद द्वारा कुश तथा लव के विषय में सूचना मिलती है। कि वाल्मीकि आश्रम के पास लक्ष्मण के द्वारा छोड़ी गई सीताजी ने प्रसववेदना से व्यथित होकर अपने आप को गंगा में समर्पित कर दिया, जहाँ उन्हें दो पुत्ररत्नों की प्राप्ति हुई.





ऐसी स्थिति में भगवती भागीरथी एवं पृथ्वी के द्वारा सीताजी शिशुओं के साथ रसातल में ले जाई गयीं. स्तन्यत्याग के अनन्तर भगवती भागीरथी ने दोनों शिशुओं को महर्षि वाल्मीकि को अर्पित कर दिया.



अगस्त्याश्रम से लौटने के पश्चात् श्रीरामचन्द्रजी पञ्चवटी में आते हैं और उसी दिन लव-कुश की बारहवीं वर्षगाँठ (Birthday) भी है. इस अवसर पर भगवती भागीरथी सीता को उसी के हाथों से चुने हुए पुष्पों से भगवान सूर्य की पूजा कराने के बहाने (वस्तुतः राम की रक्षा के लिए) अपने साथ | लेकर गोदावरी के पास आती हैं. और सीता को अदृश्य बनाकर तमसा के साथ पञ्चवटी में भेज देती हैं. तदनन्तर श्रीराम पञ्चवटी में प्रवेश करते हैं और सीता-सहवासविषयक स्थानों को देखकर शोक से मूर्छित हो जाते हैं. भगवती सीता अदृश्य रहती हुई भी अपने शीतल-कर-स्पर्श से श्रीराम को चैतन्यलाभ पहुँचाती हैं. | वनदेवता वासन्ती पञ्चवटी में ही राम से मिलती है तथा | सीता-विषयक वार्तालाप करती है. सीता और राम दोनों ही | शोकसन्तप्त होकर विलाप करते हैं. अन्त में राम अश्वमेध | यज्ञ हेतु आयोध्या वापस लौट जाते हैं और सीता अपने पुत्रों



की वर्षगाँठ मनाने के लिए गंगा के पास लौट जाती है. इस | अंक में सीता को राम की विरहव्यथा का प्रत्यक्ष होता है. | राम के मुख से अश्वमेध यज्ञ में अपनी हिरण्यमयी प्रतिमा



को सहधर्मिणी के रूप में स्वीकार की गई सुनकर राम के | प्रति उनका सारा क्षोभ दूर हो जाता है और उनके हृदय से | परित्यागजन्य शल्य निकल जाता है. जिससे नाटक के अन्त में होने वाले समागम का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. ध्यातव्य है। कि इस अंक को ‘छायांक के नाम से जाना जाता है.




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Pritee on 23-03-2022

Aetani tani ••••••••••••••grihadi का अनुवाद

Kathasar on 13-03-2022

Khathasar

Parbha on 12-02-2022

Uttarramchritam ke tritiya ank ke sabhi shlok vyakhya sahit bataiye


simran on 07-11-2021

utam ramcaritam ke tears ank me kite islok hai

Dddfffd on 03-11-2021

Uttarramcharitam m Ankara

Sir ISKA pdf de dijeyega on 05-07-2021

Sir ISKA Puri book Ka pdf de dijiye kerpya

Sachin kumar on 28-05-2021

Dharti ank mein Uttar ramcharit main is logon ki sankhya kitni hai


Harikesh on 12-05-2019

Nandipath kaun sa h



Ghanshyam Tripathi on 22-01-2019

Vasanti kiski Sahithi

raj bahadur on 26-02-2019

uttar ramcharit ke tritiy ank ka notes

Harikesh on 12-05-2019

Nandipath kaun sa h

urmila on 12-05-2019

lt gret ke liye is ank se bahuviklpi prsnottr btaye




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