Jal Shodhan Ki Vidhi जल शोधन की विधि

जल शोधन की विधि



Pradeep Chawla on 24-10-2018

जल उपचार के लिए घरेलू स्तर पर उपयोग के लिए छन्ने (Filter)

छन्ने को बनाने में उपयोगी सामग्री तथा उनके गुणः

विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का उपयोग जल को छानने में किया जा सकता है। साधारणतया सूक्ष्म रेत (0.3mm) का उपयोग छानने में किया जाता है। ग्रैवल रेत के सहारे सूक्ष्म रेत का उपयोग भी किया जा सकता है। जिसमें निम्नवत गुण होने चाहिएः

•इसे धुल तथा अन्य अशुद्धियों जैसे क्ले, वनस्पति तथा कार्बनिक अशुद्धियों से मुक्त होना चाहिए।

•इसे प्रकृति तथा आकार में एक समान (Uniform) होना चाहिए।

•इसे कठोर तथा प्रतिरोधी होना चाहिए।

•24 घंटे तक हाइडेरोक्लोरिक अम्ल में रखने पर इसके वजन में 5 प्रतिशत से ज्यादा की कमी नहीं आनी चाहिए।

•रेत के नीचे प्रयोग किये गए ग्रैवल को कठोर, टिकाउ, अशुद्धि रहित, गोल तथा घनत्व लगभग 1600 कि.ग्र./मी. 3 होना चाहिए।

•पिसा हुआ नारियल का छिलका भी एक अच्छी छानन सामग्री होती है। हमारे देश में कुछ छानन इकाइयों में इसका उपयोग सफलतापूर्वक किया गया है।

छन्ने की उपयोग विधि


•सर्वप्रथम एक बर्तन में पानी को लेते हैं तथा उसे कुछ देर के लिए छोड़ देते हैं जिसके बड़े कण तलछटी में जमा हो जाए।

•दो बर्तनों का उपयोग करके छानन प्रणाली बनाना।

•पहले बर्तनों की तली में छेद बनायें जिससे पानी निकल सके।

•रेत और ग्रैवल की बराबर मात्रा मिलाकर इतना मिश्रण बनाते हैं जो कि बर्तन के तीन चौथाई भाग के लिए पर्याप्त हो।

•इस मिश्रण को ऊपरी बर्तन में भरते हैं।

•नीचे वाला बर्तन स्वच्छ एवं खाली होना चाहिए जिससे उसमें छना हुआ पानी एकत्र किया जा सके।

•अशुद्ध छनने वाले पानी को धीरे-धीरे बर्तन में डालें तथा बर्तन की तलछटी में एकत्रित कणों को फिल्टर/छन्ने में न डालें।

•जब नीचे वाला बर्तन पूरा भर जाए तो दुबारा फिल्टर के प्रयोग से पहले तक बर्तन को ढंक कर रखें।

पानी को जीवाणु (रोगाणु) रहित करना


अवसादन और छानने की प्रक्रिया के बाद पानी को जीवाणुरहित करते हैं। पानी को शुद्ध करने का यह सामान्यतया अन्तिम चरण होता है। इस चरण के बाद पानी उपयोग करने के लिए उपयुक्त हो जाता है। इस चरण में हानिकारक जीवाणुओं (विषाणु, प्रोटोजोआ आदि) को नष्ट अथवा निष्क्रिय किया जाता है।

पानी को कई तरीके से जीवाणु रहित किया जा सकता है-

•ताप अथवा अन्य भौतिक कारक द्वारा

•सतही सक्रिय रसायनों द्वारा

•पराबैगनी किरणों तथा रेडियोधर्मी आयन के द्वारा

•अम्ल व क्षार द्वारा

•धात्विक आयन जैसे – सिल्वर, तांबा तथा पारे के द्वारा

•रसायनों द्वारा आक्सीकरण जैसे – हैलोजन, ओजोन तथा अन्य ब्रोमीन, आयोडीन और क्लोरीन के यौगिकों द्वारा।

(0.5 ppm) सान्द्रता वाला ओजोन 5 मिनट, 1.0 ppm सान्द्रता वाली क्लोरीन लगभग 2 घंटे तथा 1.00 ppm सान्द्रता की ब्रोमीन 4 से 10 घण्टे में जीवाणुओं को नष्ट कर सकते हैं।

म्युनिसपॉलिटी के द्वारा सामान्यतया जीवाणुओं को मारने के लिए क्लोरीन, आयोडीन तथा सिल्वर का उपयोग किया जाता है। औद्योगिक संस्थानों में अधिक पानी सप्लाई हेतु पराबैगनी किरणों तथा ओजोन का भी उपयोग पानी के शुद्धिकरण में किया जाता है। ये तरीके घरेलू स्तर में भी उपलब्ध है। इन प्रक्रियाओं का बाद में विस्तार से वर्णन किया गया है। पानी को शुद्ध करने के दो सबसे अच्छे तरीके क्लोरीनीकरण तथा पानी को उबालना है। यदि ये दोनों तरीके सही ढंग से किये जाये तोपीने के पानी को रोगाणुरहित रखा जा सकता है।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Nikita mishra on 23-10-2022

Jal shodhan ki vidhi aur paribhasha

Aman chaudhary on 07-11-2021

Kal ka sodhn ki vidhi ka adyen karna chemistry ma project mila hai 6-7 page ma likhana hai kaisa likhe

Priya on 12-06-2021

Jal sodhan or chhaina dono ek hi hai kya?






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