Chetak Ki Veerta Ka Arth चेतक की वीरता का अर्थ

चेतक की वीरता का अर्थ



Pradeep Chawla on 12-05-2019

चेतक महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम था। हल्दी घाटी-(1937

- 1939 ई0) के युद्ध में चेतक ने अपनी स्वामिभक्ति एवं वीरता का परिचय

दिया था। अन्ततः वह मृत्यु को प्राप्त हुआ। श्याम नारायण पाण्डेय द्वारा

रचित प्रसिद्ध महाकाव्य हल्दीघाटी में चेतक के पराक्रम एवं उसकी

स्वामिभक्ति की कथा वर्णित हुई है। आज भी चित्तौड़ में चेतक की समाधि बनी हुई है।









इतिहास से



मेवाड़ के उष्ण रक्त ने श्रावण संवत 1633 विक्रमी में हल्दीघाटी का कण-कण लाल कर दिया। अपार शत्रु सेना के सम्मुख थोड़े-से राजपूत और भील सैनिक कब तक टिकते? महाराणा को पीछे हटना पड़ा और उनका प्रिय अश्व चेतक, जिसने उन्हें निरापद पहुँचाने में इतना श्रम किया कि अन्त में वह सदा के लिये अपने स्वामी के चरणों में गिर पड़ा।

हल्दीघाटी के प्रवेश द्वार पर अपने चुने हुए सैनिकों के साथ प्रताप

शत्रु की प्रतीक्षा करने लगे। दोनों ओर की सेनाओं का सामना होते ही भीषण

रूप से युद्ध शुरू हो गया और दोनों तरफ़ के शूरवीर योद्धा घायल होकर ज़मीन

पर गिरने लगे। प्रताप अपने घोड़े पर सवार होकर द्रुतगति से शत्रु की सेना

के भीतर पहुँच गये और राजपूतों के शत्रु मानसिंह को खोजने लगे। वह तो नहीं मिला, परन्तु प्रताप उस जगह पर पहुँच गये, जहाँ पर सलीम (जहाँगीर) अपने हाथी

पर बैठा हुआ था। प्रताप की तलवार से सलीम के कई अंगरक्षक मारे गए और यदि

प्रताप के भाले और सलीम के बीच में लोहे की मोटी चादर वाला हौदा नहीं होता

तो अकबर

अपने उत्तराधिकारी से हाथ धो बैठता। प्रताप के घोड़े चेतक ने अपने स्वामी

की इच्छा को भाँपकर पूरा प्रयास किया और तमाम ऐतिहासिक चित्रों में सलीम के

हाथी के सूँड़ पर चेतक का एक उठा हुआ पैर और प्रताप के भाले द्वारा महावत

का छाती का छलनी होना अंकित किया गया है। महावत के मारे जाने पर घायल हाथी सलीम सहित युद्ध भूमि से भाग खड़ा हुआ।



राणा प्रताप का सबसे प्रिय



महाराणा प्रताप की प्रतिमा, हल्दीघाटी, उदयपुर


महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था। हल्दीघाटी के युद्ध

में बिना किसी सहायक के प्रताप अपने पराक्रमी चेतक पर सवार हो पहाड़ की ओर

चल पडे‌। उसके पीछे दो मुग़ल सैनिक लगे हुए थे, परन्तु चेतक ने प्रताप को

बचा लिया। रास्ते में एक पहाड़ी नाला बह रहा था। घायल चेतक फुर्ती से उसे

लाँघ गया, परन्तु मुग़ल उसे पार न कर पाये। चेतक, नाला तो लाँघ गया, पर अब

उसकी गति धीरे-धीरे कम होती गई और पीछे से मुग़लों के घोड़ों की टापें भी

सुनाई पड़ीं। उसी समय प्रताप को अपनी मातृभाषा में आवाज़ सुनाई पड़ी, "हो,

नीला घोड़ा रा असवार।" प्रताप ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे एक ही अश्वारोही

दिखाई पड़ा और वह था, उसका भाई शक्तिसिंह। प्रताप के साथ व्यक्तिगत विरोध

ने उसे देशद्रोही बनाकर अकबर का सेवक बना दिया था और युद्धस्थल पर वह मुग़ल

पक्ष की तरफ़ से लड़ रहा था। जब उसने नीले घोड़े को बिना किसी सेवक के

पहाड़ की तरफ़ जाते हुए देखा तो वह भी चुपचाप उसके पीछे चल पड़ा, परन्तु

केवल दोनों मुग़लों को यमलोक पहुँचाने के लिए। जीवन में पहली बार दोनों भाई

प्रेम के साथ गले मिले। इस बीच चेतक ज़मीन पर गिर पड़ा और जब प्रताप उसकी

काठी को खोलकर अपने भाई द्वारा प्रस्तुत घोड़े पर रख रहा था, चेतक ने प्राण

त्याग दिए। बाद में उस स्थान पर एक चबूतरा खड़ा किया गया, जो आज तक उस

स्थान को इंगित करता है, जहाँ पर चेतक मरा था।







साहित्य से



प्रसिद्ध साहित्यकार श्यामनारायण पाण्डेय वीर रस के अनन्य गायक हैं। इन्होंने चार महाकाव्य रचे, जिनमें हल्दीघाटी और जौहर विशेष चर्चित हुए। हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के जीवन और जौहर में रानी पद्मिनी

के आख्यान हैं। हल्दीघाटी पर इन्हें देव पुरस्कार प्राप्त हुआ। हल्दीघाटी

के द्वादश सर्ग में चेतक की वीरता के संदर्भ में कुछ पंक्तियाँ लिखी, जो

निम्न है-







मेवाड़–केसरी देख रहा,


केवल रण का न तमाशा था।


वह दौड़–दौड़ करता था रण,


वह मान–रक्त का प्यासा था।





चढ़कर चेतक पर घूम–घूम


करता मेना–रखवाली था।


ले महा मृत्यु को साथ–साथ¸


मानो प्रत्यक्ष कपाली था।





रणबीच चौकड़ी भर-भर कर,


चेतक बन गया निराला था


राणाप्रताप के घोड़े से,


पड़ गया हवा का पाला था।





जो तनिक हवा से बाग हिली,


लेकर सवार उड जाता था


राणा की पुतली फिरी नहीं,


तब तक चेतक मुड जाता था।





गिरता न कभी चेतक तन पर,


राणाप्रताप का कोड़ा था


वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर,


वह आसमान का घोड़ा था।





था यहीं रहा अब यहाँ नहीं,


वह वहीं रहा था यहाँ नहीं


थी जगह न कोई जहाँ नहीं,


किस अरि मस्तक पर कहाँ नहीं।





निर्भीक गया वह ढालों में


सरपट दौडा करबालों में


फँस गया शत्रु की चालों में





बढते नद सा वह लहर गया,


फिर गया गया फिर ठहर गया


बिकराल बज्रमय बादल सा,


अरि की सेना पर घहर गया।





भाला गिर गया गिरा निशंग,


हय टापों से खन गया अंग


बैरी समाज रह गया दंग,


घोड़े का ऐसा देख रंग।








सम्बन्धित प्रश्न



Comments Ruksar on 12-11-2022

Aisa kyun lagta hai ki chetak ranbhumi me sab jagah upsthit tha?

अंजली on 22-02-2022

चेतक के अंदर कया कया गुण है

चेतक ने ऐसा कया किया कि बैरी समाज उसे देखकर दंग रह गया
चेतक को निराला कयो कहा गया है
चेतक को बढते नद सा कयो कहा गया है


Samiksha kumari Jha on 10-10-2021

Shatru Rana Pratap ke Ghode se Kyon ghabra the


Samiksha kumari Jha on 10-10-2021

Chetak ki Veerta Kavita ka Saransh likhiye

संचिका on 06-07-2021

वह दौड़ रहा अरि मस्तक पर, या आसमान पर धोखा था

Kavir rathore on 16-03-2021

Maharana pratap. Check par kabhi chabuk kyu nahi chelate tha

Parro on 05-02-2021

Chetak kiske Ishare par Mor jata tha


Nitu on 04-01-2021

Chetak virta ka mul sandesh



Chetak ki veerta on 04-10-2018

Kya sr AAP es kavita ka Arth btao na ye SB to Khani ho gyi...
Es kavita ka Arth btane ki kripa kre..
Plzz

Rana ki putli firi Nahi tab take cetak mud Jaya th on 26-11-2018

Rana ki putli firi Nahi tab take chetak mud Jata th iska arth

Chetak ki virata ka arth on 11-12-2018

Chetak ki verata ka arth

Raj on 26-12-2018

Hai tapo se khan gya ang ka meaning in hindi


Abantika on 28-01-2019

Hai tapo se khan gaya ang ka meaning

Baag hilte hi cetak par kya pravao padh jata tha on 10-05-2019

Baag hilte hi chetak par kya pravao padta tha?

Radha Gupta on 14-05-2019

Chetak ki veerata Kavita ka arth

F on 11-06-2019

Is kavita ka arth kya hai pagal jaldi bata

Priya sharma on 03-08-2019

Is kavita ka sarans bataiye

Shailesh on 08-09-2019

हय टापों से खन गया अंग island art bataiye.


Sudhil on 17-10-2019

Es Kavita ke pahre ki vyakhya explain kro

Rajendar sahu on 06-11-2019

गिरता न कभी ............. मुड़ जाता था इस पंक्ति का आर्थ व सप्रसंग बताइए

on 23-11-2019

hava se bag hilte hi chetak kya karta tha

Rekha Singh on 01-01-2020

Ari mastak Ka arth batao.

Ran beech choksi pr betha on 16-01-2020

Ran beech choksi pr betha arth

Ari-mastak ka arth on 20-01-2020

Ari-mastak ka arth

Nida on 26-01-2020

Chetak ko badate nad sa Kya kaha gaya hai

Xyz on 24-02-2020

Ari - mastak ka meaning hai
Ari - dushman , mastak - sar , head

Abhay s.singh on 29-02-2020

Chatak ran bhomi me kiss matr de deta tha

Siyona on 02-04-2020

chetak KO aasman kA ghoda kyo kaha jata hai?

Siyona on 02-04-2020

Chetak KO aasman ka ghoda kyo kaha jata ha I?

Raghab jha on 23-07-2020

चेतक कविता का हिंदी में भावार्थ क्या होगा


Yash kumar on 19-08-2020

Cheatak ke Vitara

Arun Sharma on 06-09-2020

Search class 6 में विषय हिंदी के पाठ पांच चेतक की वीरता कविता की हिंदी व्याख्या

लक्षिता on 18-09-2020

चेतक पर राणा का घोड़ा क्यों नहीं गिरता था

Neha nuniya on 28-09-2020

Chetak ko Nirala kyon kaha gaya hai

Rekha on 17-10-2020

Chetak ko kore kiu nahi lagte the

Aarti dhurve on 23-10-2020

Bairi samaj ka aarth bataye

hamza on 15-11-2020

chetak kavita ke chate 6th pantiyon ki explanation kar ke batae please hindi me

Minor shinde on 28-11-2020

Aasmaan par ghoda se kya abhipray hai?



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