Jet Vayu Dharaein Kya Hai जेट वायु धाराएं क्या है

जेट वायु धाराएं क्या है



GkExams on 21-02-2019

जेट स्ट्रीम या जेटधाराएँ ऊपरी वायुमंडल में और विशेषकर समतापमंडल में तेज़ गति से प्रवाहित/बहने वाली हवाएँ हैं. इनके प्रवाह की दिशा जलधाराओं की तरह ही निश्चित होती है, इसलिए इसे जेट स्ट्रीम का नाम दिया गया है.



जेट स्ट्रीम धरातल से ऊपर यानी 6 से 14 km की ऊँचाई पर लहरदार रूप में चलने वाली एक वायुधारा है. इस वायुधारा का सम्बन्ध धरातल में चलने वाली पवनों के साथ भी जोड़ा गया है.



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वैसे तो भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं, जैसे –



अक्षांशीय स्थिति और आकार

उच्चावच की विभिन्नता

वायुदाब और पवन की समयानुसार बदलती प्रकृति

जल और स्थल का वितरण अथवा समुद्र से निकटता की दूरी

जेट वायुधाराओं का प्रभाव



पर आज इस आर्टिकल में हम सिर्फ जेट वायुधारा क्या है और वह भारतीय मानसून में किस तरह योगदान करती है, इसके बारे में जानने वाले हैं.

इतिहास



द्वितीय विश्वयुद्ध के समय में ही जेट स्ट्रीम नामक एक वायुधारा की जानकारी मिली. इस वायुधारा की जानकारी दरअसल 1945 ई. में मिली थी लेकिन 1949 ई. में इस जेट स्ट्रीम के साथ विश्व जलवायु के संबंधों को भी जोड़ा गया है.

Types of Jet Stream



पूरे विश्व में Jet Streams के चार प्रकार हैं. पर भारत के सन्दर्भ में यदि देखा जाए तो जेट स्ट्रीम दो प्रकार के होते हैं –



पछुआ (पश्चिमी) जेट स्ट्रीम – 20° से 35° North

पूर्वी जेट स्ट्रीम – 8° से 35° North



पश्चिमी जेट स्ट्रीम



यह स्थाई जेट स्ट्रीम है. यह सालों भर चलता है. इसके प्रवाह की दिशा पश्चिमोत्तर भारत से लेकर दक्षिण पूर्व भारत की ओर होती है. पश्चिमी jet stream का सम्बन्ध सूखी, शांत और शुष्क हवाओं से है. यह शीतकाल की आंशिक वर्षा के लिए उत्तरदाई है.

पूर्वी जेट स्ट्रीम



पश्चिमी जेट स्ट्रीम के ठीक विपरीत पूर्वी जेट स्ट्रीम की दिशा दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमोत्तर भारत की ओर है. यह अस्थाई है और इसका प्रभाव जुलाई, अगस्त, सितम्बर में ही देखा जा सकता है. पूर्वी जेट स्ट्रीम भारत में मूसलाधार वर्षा के लिए उत्तरदाई है. जैसा कि वैज्ञानिकों का अनुमान है, सम्पूर्ण भारत में जितनी भी वर्षा होती है उसका 74% हिस्सा जून से सितम्बर महीने तक होता है यह पूर्वी जेट से ही संभव हो पाता है.



पूर्वी जेट हवा गर्म होती है. इसलिए, इसके प्रभाव से सतह की हवा गर्म होने लगती है और गर्म होकर तेजी से ऊपर उठने लगती है. इससे पश्चिमोत्तर-भारत सहित पूरे भारत में एक निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है. इस निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर अरब सागर से नमीयुक्त उच्च वायुदाब की हवाएँ चलती हैं. अरब सागर से चलने वाली यही नमीयुक्त हवा भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के नाम से जाना जाती है.




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Comments Jiggyasa Kumari on 05-07-2023

South and West monsoon ki utpatti ka kya karan hai

Om dixit g on 29-01-2019

Jet vayu Dhara kesi kahi hi

Om dixit g on 29-01-2019

Jet vayu Dhara kesi kahi hi.






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