Padmakar Ke Dohe Arth Sahit पद्माकर के दोहे अर्थ सहित

पद्माकर के दोहे अर्थ सहित



GkExams on 07-09-2022


कवि पद्माकर के बारें में : इनका वास्तविक नाम प्यारे लाल था। रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे।

Padmakar-Ke-Dohe-Arth-Sahit


मूलतः हिन्दीभाषी न होते हुए भी पद्माकर (Biography of Padmakar in Hindi) जैसे आन्ध्र के अनगिनत तैलंग-ब्राह्मणों ने हिन्दी और संस्कृत साहित्य की श्रीवृद्धि में जितना योगदान दिया है वैसा अकादमिक उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है।



पद्माकर के दोहे अर्थ सहित :




औरै भाँति कुंजन में गुंजरत भीर भौंर,


औरे डौर झौरन पैं बौरन के ह्वै गए।




कहैं पद्माकर सु औरै भाँति गलियानि,


छलिया छबीले छैल औरै छबि छ्वै गए।




औरै भाँति बिहग-समाज में अवाज होति,


ऐसे रितुराज के न आज दिन द्वै गए।




औरै रस औरै रीति औरै राग औरै रंग,


औरै तन औरै मन औरै बन ह्वै गए।।




अर्थ : वसंत ऋतु के आते ही लताओं-झांडियो में घूमते विचरते भांरों की गुंजार कुछ और ही प्रकार की हो गई है। आम की मंजरियों के गुच्छों की छटा भी अलग ही प्रकार की हो गई है। कवि का तात्पर्य यह है कि वसंत ऋतु का आगमन होते ही प्रकृति में एक विशेष प्रकार का निखार आ गया है।




कवि पद्माकर कहते है कि गलियों में घूमने वाले वांके, सजीले और सुंदर नवयुवकों पर अलग प्रकार की ही छवि छा गई है। अर्थात् सुंदर युवकों की छवि और भी आकर्षक प्रतीत हो रही है।





पद्माकर के काव्य की विशेषताएँ :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा पद्माकर के काव्य की विशेषताओं से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • पद्माकर की भाषा शुद्ध तथा सरस है।
  • कलापक्ष की दृष्टि से उनका साहित्य उत्कृष्ट है।
  • इनके साहित्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, श्लेष, यमक, संदेह आदि अलंकार मिलते हैं।
  • पद्माकर को भक्ति, श्रृंगार तथा वीर-तीनों रसों में सहजता तथा प्रवीणता प्राप्त है।



  • पद्माकर की रचना :




    यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा पद्माकर की रचनाओं से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • हिम्मतबहादुर विरुदावली
  • पद्माभरण
  • जगद्विनोद
  • रामरसायन (अनुवाद)
  • गंगालहरी
  • आलीजाप्रकाश
  • प्रतापसिंह विरूदावली
  • प्रबोध पचासा
  • ईश्वर-पचीसी
  • यमुनालहरी
  • प्रतापसिंह-सफरनामा
  • भग्वत्पंचाशिका
  • राजनीति
  • कलि-पचीसी
  • रायसा
  • हितोपदेश भाषा (अनुवाद)
  • अश्वमेध



  • Pradeep Chawla on 12-05-2019

    check link below -





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    सम्बन्धित प्रश्न



    Comments Shivani sandal on 16-10-2022

    Padmaker Kavita ki presang vyakhya vishesh

    Naziyaahmed on 16-11-2021

    Dohe kiya earth hai

    j k m on 23-02-2021

    padmakar pat ka hindi art


    nitesh on 10-02-2021

    Padmakar Ji ke teen Kavita ki Vyakhya NCERT course kaksha 11 part 13

    Pooja on 30-01-2021

    Pdmakr ki viyakhiya

    Simran on 11-01-2021

    Jhoran ke meaning

    Rahul on 14-12-2020

    चितै-चितै चारों ओर चौंकि-चौंकि परै त्योंही, जहाँ-तहाँ जब-तब खटकत पात है।




    ram pal sharma on 14-09-2018

    arth batae

    Babu on 18-09-2018

    Arth bataye

    फरहीन on 22-01-2019

    पद्माकर के पद का अर्थ क्या है

    Y Ali on 12-05-2019

    कूलन में केलि में कछारन में कुंजन में
    क्यारिन में कलिन में कलीन किलकंत है.
    कहे पद्माकर परागन में पौनहू में
    पानन में पीक में पलासन पगंत है
    द्वार में दिसान में दुनी में देस-देसन में
    देखौ दीप-दीपन में दीपत दिगंत है
    बीथिन में ब्रज में नवेलिन में बेलिन में
    बनन में बागन में बगरयो बसंत है


    Vikas on 31-05-2019

    Meaning


    padmakr k doha prem rang bori ka arth on 18-06-2019

    padmakr k doha

    Padmakar on 03-08-2019

    Malin kilkant Ka arth

    Yashika jain on 05-08-2019

    Kya iska arth nhai he plz iska arth de

    Swekshu on 21-08-2019

    कुलन में केली मे का अर्थ

    JITENDRA KUMAR SAHU on 23-08-2019

    चितै-चितै चारों ओर, चौंकि-चौंकि परै, त्यों ही
    जहां-तहां, जब-तब, खटकत पात हैं।
    भाजन-सो चाहत, गंवार ग्वालिनी के कछू,
    डरनि डराने-से, उठाने रोम गात हैं॥
    कहै पदमाकर, सु देखि दसा मोहन की,
    सेस महेस सुरेस सिहात हैं।
    एक पाय भीत, एक पाय मीत-कांधे धरे,
    एक हाथ छींको एक हाथ दधि खात हैं॥। का भावार्थ


    अँचल के ऎँचे चल करती दॄगँचल को on 01-09-2019

    अँचल के ऎँचे चल करती दॄगँचल को


    Nand kishor pachori on 19-10-2019

    औरे भांति कुंजन में गुंजरत भौर भीर,
    औरे भांति बौरन के झौरन के ह्वै गए.
    कहै ‘पदमाकर’ सु औरे भांति गलियानि,
    छलिया छबीले छैल औरे छबि छ्वै गए.
    औरे भांति बिहँग समाज में आवाज होति,
    अबैं ऋतुराज के न आजु दिन द्वै गए.
    औरे रस,औरे रीति औरे राग औरे रंग,
    औरे तन औरे मन, औरे बन ह्वै गए.


    हेमंत on 29-01-2020

    कूलन में केली में कछारन में कुंजन में
    क्यारिन में कलिन में कलीन किलकंत है । का अर्थ बताएं

    Priya Bhadauriya on 30-01-2020

    Arey yahan to kisi bhi dohe ka arth hi nhi h to padhe kyA hum ismein

    Jyoti on 03-03-2020

    द्वावर में दिसान में दुनी में देस देसन में देखौ दीप दीपन दिगंत है

    Roshan Singh on 04-03-2020

    सम्पति सुमेर की कुबेर की जो पावै ताहि,
    तुरंत लुटावत बिलम्ब उर धारै ना.
    कहै ‘पदमाकर’ सुहेम हय हाथिन के,
    हल्के हजारन के बितऋ बिचारे ना.
    दीन्हें गज बकस महीप रघुनाथ राव,
    पाय गज धोखे कहूँ काहू देइ डारै ना.
    याही डर गिरजा गजानन को गोय रही,
    गिरतें गरेतें निज गोद से उतारे ना.




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