Nehru Ka Swatantrata Andolan Me Yogdan नेहरू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

नेहरू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान



GkExams on 11-02-2019


जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी के कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़े। चाहे असहयोग आंदोलन की बात हो या फिर नमक सत्याग्रह या फिर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की बात हो उन्होंने गांधी जी के हर आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। मलिक ने बताया कि नेहरू की विश्व के बारे में जानकारी से गांधी जी काफ़ी प्रभावित थे और इसीलिए आज़ादी के बाद वह उन्हें प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते थे। सन् 1920 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1923 में वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव चुने गए।

भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कारावास

जवाहरलाल नेहरू अपनी पत्नी कमला नेहरू और बेटी इंदिरा गाँधी के साथ
Jawahar Lal Nehru with his wife Kamla Nehru And Daughter Indira Gandhi

सितंबर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने के बाद जब वाइसरॉय लॉर्ड लिनलिथगो ने स्वायत्तशासी प्रांतीय मंत्रिमंडलों से परामर्श किए बिना भारत को युद्ध में झोंक दिया, तो इसके विरोध में कांग्रेस पार्टी के आलाकमान ने अपने प्रांतीय मंत्रिमंडल वापस ले लिए। कांग्रेस की इस कार्रवाई से राजनीति का अखाड़ा जिन्ना और मुस्लिम लीग के लिए साफ़ हो गया।

विचारों में मतभेद

युद्ध के बारे में नेहरू के विचार गांधी से भिन्न थे।

  • आरंभ में महात्मा का विचार था कि अंग्रेज़ों को बिना शर्त समर्थन दिया जाए और यह समर्थन अहिंसक होना चाहिए।
  • नेहरू का विचार था कि आक्रमण से प्रतिरक्षा में अहिंसा का कोई स्थान नहीं है और सिर्फ़ एक स्वतंत्र देश के रूप में ही भारत को नाज़ियों के ख़िलाफ़ युद्ध में ग्रेट ब्रिटेन का साथ देना चाहिए। अगर भारत मदद नहीं कर सकता, तो अड़चन भी न डाले।
    15 अगस्त 1947 युगवाणी में प्रकाशित पं. नेहरू का वक्तव्य

    दो वर्ष के भीतर भारत को स्वतन्त्र और विभाजित होना था। वाइसरॉय लॉर्ड वेवेल द्वारा कांग्रेस पार्टी और मुस्लिम लीग को साथ लाने की अंतिम कोशिश भी नाक़ाम रही। इस बीच लंदन में युद्ध के दौरान सत्तारूढ़ चर्चिल प्रशासन का स्थान लेबर पार्टी की सरकार ने ले लिया था। उसने अपने पहले कार्य के रूप में भारत में एक कैबिनेट मिशन भेजा और बाद में लॉर्ड वेवेल की जगह लॉर्ड माउंटबेटन को नियुक्त कर दिया। अब प्रश्न भारत की स्वतन्त्रता का नहीं, बल्कि यह था कि इसमें एक ही स्वतंत्र राज्य होगा या एक से अधिक होंगे। जहाँ गाँधी ने विभाजन को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया। वहीं नेहरू ने अनिच्छा, लेकिन यथार्थवादिता से मौन सहमति दे दी।भारत की स्वतंत्रता दिवस पर प्रकाशित होने वाले उत्तराखण्ड के प्रमुख पत्र युगवाणी में नेहरू जी द्वारा दिनांक 9 अगस्त1947 को दिल्ली के रामलीला मैदान में दिये गये भाषण का अंश प्रकाशित करते हुये लिखा गया था कि पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि -


    15 अगस्त दुनिया के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना का दिन होगा। इस दिन दुनिया से औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का अंत हो जायेगा जिसकी नींव 150 वर्ष पहले ब्रिटेन ने भारत में डाली थी। 5 वर्ष हुये 1942 में कांग्रेस ने ब्रिटेन को भारत छोडने को कहा था आज से 6 दिन बाद हमारा संकल्प फलीभूत होगा...

    15 अगस्त1947 को भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग स्वतंत्र देश बने। नेहरू स्वाधीन भारत के पहले प्रधानमंत्री हो गए।




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Comments Ankit Kumar on 13-11-2022

Pandit Jawaharlal Nehru ka janm kab hua





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