Maudrik Neeti Ke Ghatak मौद्रिक नीति के घटक

मौद्रिक नीति के घटक



GkExams on 17-01-2019

मौद्रिक नीति (Monetary policy )

  • किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करने की नीति को मौद्रिक नीति कहते हैं |
  • सभी देशों का केंद्रीय बैंक यह नीति बनाता हैं | भारत में मौद्रिक नीति RBI के द्वारा बनाया जाता हैं|

मौद्रिक नीति के उद्देश्य –

  • मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित कर मुद्रास्फीति और मुद्रा अवस्फीति को नियंत्रित करना हैं |
  • मौद्रिक प्रणाली में मुद्रा का प्रवाह कर्जदार व जमाकर्ता के बीच होता हैं और यह कार्य वित्तीय संस्थाओं के द्वारा किया जाता हैं
  • वित्तीय संस्थाएं दो प्रकार की होती हैं – बैंकिंग व गैर – बैंकिंग |
  • बैंकिंग व कुछ गैर – बैंकिंग संस्थाओं पर RBI का नियंत्रण होता हैं |

मुद्रा स्फीति (Inflation)-> वस्तुओं के मूल्यों में इज़ाफा -> अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक|
मुद्रा अवस्फीति (Deflation)-> वस्तुओं के मूल्यों में गिरावट -> बेरोजगारी में इज़ाफा -> अर्थात सेवाओं में गिरावट ->अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक|

    अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक क्यों?-

    किसी भी वस्तु के उत्पादन की एक निश्चित लागत होती हैं | इसीलिए यदि वस्तुओं के मूल्य में लगातार गिरावट आएगी तो उत्पादनकर्ता अपने खर्च को कम करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी शुरू करेगा जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी बढ़ेगी | वस्तुओं की गुणवत्ता कम हो जाएगी | लाभ नही होने पर व्यवसाय को बढ़ाने के प्रति उदासीनता बढ़ेगी | मूल्यों में लगातार गिरावट आने से सरकार के कर (tax) में कमी आएगी | परिणामस्वरूप सरकार शिक्षा , स्वास्थ्य, सड़क आदि पर कम खर्च करेगी | अंततः गरीबी , बीमारी , अशिक्षा आदि बढ़ेगी |

मौद्रिक नीति क्या हैं ?

  • केंद्रीय बैंक द्वारा बनाई गई नीति | भारत में मौद्रिक नीति आरबीआई के द्वारा बनाई जाती है |
  • यह एक ऐसी नीति हैं जो किसी भी अर्थव्यस्था में मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करती हैं | अर्थात मुद्रा स्फीति और मुद्रा अवस्फीति दोनों पर नियंत्रण करती हैं |

मौद्रिक नीति के उपकरण(Tools of Monetary Policy)


आरबीआई मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए दो तरह के उपकरण का इस्तेमाल करती हैं|

  • मात्रात्मक उपकरण (Quantitative tools)
  • गुणात्मक उपकरण (Qualitative tools)

मात्रात्मक उपकरण (Quantitative tools)
मात्रात्मक उपकरण निम्न है–
आरक्षित अनुपात (reserve ratio)
आरक्षित अनुपात (reserve ratio) दो प्रकार के होते है —

  • 1.नकद आरक्षित अनुपात [Cash Reserve Ratio (CRR)]
  • 2.सांविधिक तरलता अनुपात [Statutory Liquidity Ratio(SLR)]

1.नकद आरक्षित अनुपात (CRR)–:

  • अनुसूचित बैंकों को सकल जमाओं का कुछ पैसा आरबीआई के पास नकद (Cash) के रूप में रखना पड़ता हैं|इसे ही नकद आरक्षित अनुपात (CRR) कहते है|
  • यह(CRR) अधिकतम सकल जमाओं का 15 % हो सकती हैं | वर्तमान में CRR 4 % हैं|
  • इन पैसो पर बैंको को कोई ब्याज नही मिलता |

सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) –:

  • अनुसूचित बैंको को सकल जमाओं का कुछ पैसा अपने पास नकद (Cash), सोना(gold) , या सरकारी प्रतिभूतियों (government securuties)के रूप में रखना पड़ता हैं |इसे ही नकद सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) कहते है
  • यह सकल जमाओं का अधिकतम 40 % हो सकता हैं |वर्तमान में SLR 21.25% हैं |
  • इन पैसो पर बैंको को कुछ ब्याज मिलता हैं |

आरक्षित अनुपात मुद्रा स्फीति व मुद्रा अवस्फीति को नियंत्रित करने में कैसे सहायक है ?

    इसको समझने के लिए हम मान लेते है की बाजार में मुद्रा स्फीति की स्थिति हैं | और किसी एक बैंक X का सकल जमा 100 करोड़ हैं |
    (निवल मांग व सावधि देयताएं -Net Demand & Time Liabilities वह जमा हैं जिसपर कोई बैंक अपना व्यपार करती हैं , व NDTL पर ही किसी बैंक को CRR , SLR आदि रखना पड़ता हैं |इसे ही सकल जमा कहते हैं |)

    तो अभी बैंक X के पास कुल NDTL हैं ————-100करोड़|
    बैंक X को CRR के रूप में NDTL का 4 % रखना पड़ता हैं ——————————–4 करोड़ |
    बैंक X को SLR के रूप में NDTL का 21.25% रखना पड़ता हैं —————————-21.25 करोड़
    अब व्यपार के लिए बैंक X के पास शेष राशि हैं —–74.75 करोड़ |
    अब हम मान लेते हैं कि बाजार में मुद्रा स्फीति कि स्थिति है और RBI ने CRR व SLR को क्रमशः 10% व 30% कर दिया हैं|


    अब क्या होगा ?


    बैंक X के पास कुल NDTL हैं ————-100 करोड़ |
    बैंक X को CRR के रूप में NDTL का 10 % रखना पड़ा ——————————–10 करोड़ |
    बैंक X को SLR के रूप में NDTL का 30% रखना पड़ा —— —————————-30 करोड़ |
    अब व्यपार के लिए बैंक X के पास शेष राशि हैं —–60 करोड़ |


    बैंक X के पास पहले 74.75 करोड़ रुपए थे जिससे वो व्यपार करके अपने खर्च को मेन्टेन करती थी और मुनाफा कमाती थी |
    अब बाजार में मुद्रा स्फीति होने के कारन RBI ने CRR व SLR को बढ़ा दिया हैं |
    जिससे बैंक X के पास 60 करोड़ रुपए ही बचे हैं और उसे अपना खर्च भी मेन्टेन करना हैं और मुनाफा भी कमाना हैं |


    तो बैंक अब क्या करेगी ?


    बैंक अपना ब्याज दर पहले के अपेक्षा बढ़ा देगी जिससे उसे कम पैसो में ही पहले इतना लाभ हो सके |


    इसका प्रभाव बाजार पर क्या पड़ेगा ?—-


    ब्याज दर बढ़ने से व्यवसायी कम पैसा ऋण के रूप में लेंगे |नया बिज़नेस शुरू नही किया जाएगा | शुरू किए गए बिज़नेस को बढ़ाया नही जाएगा |


    परिणाम —-


    रोजगार में कमी होगी ,जिसके कारण कर्मचारियों की छंटनी होगी |
    वेतन में वृद्धि नही होगी जिसके परिणामस्वरूप लोगों के द्वारा अपने खर्च में कटौती की जाएगी | अंततः वस्तु व सेवा के मांग में कमीं आएगी (आय में कमीं के आने कारण)
    इन सब के परिणामस्वरूप बाजार में वस्तुओं के मूल्य में कमीं आएगी व मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण होगा |
    अर्थात जब बाजार में मुद्रा स्फीति रहती हैं तो RBI आरक्षित अनुपात को बढ़ा देती हैं, और मुद्रा के प्रवाह को कम कर देती हैं और मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण करती हैं | इसके विपरीत मुद्रा अवस्फीति के समय RBI बाजार में मुद्रा के प्रवाह को घटा देती हैं | कैसे ?—
    आरक्षित अनुपात को कम करके RBI बैंको के पास ज्यादा पैसा रहने देती हैं , जिससे बैंक अपना ब्याज दर कम रखती हैं और ऋण लेना सस्ता रहता हैं |

UPSC 2015 के एक प्रश्न को देखते हैं—


(Q) जब RBI एसएलआर को 50 आधार अंक कम कर देती हैं तो निम्नलिखित में से क्या होने की सम्भावना होती हैं ?
(a) भारत के जीडीपी विकास दर प्रबलता से बढ़ेगी |
(b)विदेशी संस्थागत निवेशक हमारे देश में और अधिक पूंजी लाएंगे |
(c) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अपने उधार देने की दर को घटा सकते हैं |
(d)इससे बैंकिंग व्यवस्था की नकदी में प्रबलता से कमी आ सकती हैं |


ans – (c) क्यों–


एसएलआर RBI के मौद्रिक नीति के उपकरण है ,इसे भारत के जीडीपी और विदेशी संस्थागत निवेशक से कोई लेना देना नही है ,सो a और b गलत हैं |
c सही हैं -> RBI एसएलआर को घटा रही हैं जिससे बाजार में महंगाई पर नियंत्रण हो रहा है | एसएलआर घटने से बैंको के पास ज्यादा पैसे शेष है सो बैंक अपने उधार देने की दर को घटा सकती है ताकि व्यपार आदि बढ़ सके |
(d) गलत है क्योंकि एसएलआर घटने से नकदी की प्रबलता में वृद्धि होगी |


अभी तक हमने पढ़ा कि—-

    RBI भारत में मौद्रिक नीति बनाती है व इसके द्वारा मुद्रा स्फीति और अवस्फीति पर नियंत्रण करती है |
    इसके लिए RBI दो तरह के उपकरण का प्रयोग करती है —मात्रात्मक व गुणात्मक |
    मात्रात्मक उपकरण —
  • आरक्षित अनुपात —CRR व SLR
  • मुद्रा स्फीति के समय RBI , CRR व SLR को बढ़ा देती है व मुद्रा अवस्फीति के समय RBI , CRR व SLR को घटा देती है |

अब हम RBI के दूसरे मात्रात्मक उपकरण को समझते है


(2)खुला बाजार परिचलन OPEN MARKET OPERATION (OMO)

    खुला बाजार परिचलन , RBI के द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों के क्रय ,विक्रय करने की प्रक्रिया है ,जिसके द्वारा मुद्रा का परिचलन नियंत्रित रहे |
    सरकारी प्रतिभूतियां – आम लोगों के भाषा में यह एक कागज़ का टुकड़ा है जिसे ख़रीदा व बेचा जाता है , इस शर्त पर की मैं आपको एक निश्चित ब्याज के साथ पैसे लौटाकर अपना कागज का टुकड़ा वापस ले लूंगा |

    अभी तक हमने देखा की मुद्रा स्फीति के समय RBI ऐसी नीति बनाती है कि बाजार में पैसो का परिचलन कम हो जाए |
    इसीलिए मुद्रा स्फीति के समय RBI अपने पास से सरकारी प्रतिभूतियों को बैंक X को बेचेगी | इस शर्त पर की मैं आपको एक निश्चित ब्याज के साथ पैसे लौटकर अपनी प्रतिभूतियों को वापस खरीद लूंगा|
    बैंक X जब प्रतिभूतियों का खरीद लेगी तो उसके पास ब्याज पर देने के लिए कम पैसे बचेंगे |
    परिणामस्वरूप बैंक X अपना ब्याज दर बढ़ा देगी जिसके कारण व्यवसायी कम ऋण लेंगे ,और नया बिज़नेस शुरू नही किया जाएगा | शुरू किए गए बिज़नेस को बढ़ाया नही जाएगा |
    परिणाम —-

  • रोजगार में कमी होगी ,जिसके कारण कर्मचारियों की छंटनी होगी |
  • वेतन में वृद्धि नही होगी जिसके परिणामस्वरूप लोगों के द्वारा अपने खर्च में कटौती की जाएगी | अंततः वस्तु व सेवा के मांग में कमीं आएगी (आय में कमीं के आने कारण)
  • इन सब के परिणामस्वरूप बाजार में वस्तुओं के मूल्य में कमीं आएगी व मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण होगा |
  • अब हम खुद ही सोच सकते है कि मुद्रा अवस्फीति के समय RBI को क्या करना चाहिए —-?
  • जब हमें मुद्रा स्फीति नियंत्रण करने का तरीका मालूम हो जाए तो, हम सिर्फ उसका उल्टा कर देंगे वही मुद्रा अवस्फीति नियंत्रण का तरीका होगा |

अभी तक हमने सीखा मुद्रा स्फीति के समय RBI बाजार से मुद्रा के परिचलन को कम कर देती है|जिससे मुद्रा का मूल्य बढ़ जाता है , इस प्रक्रिया को हम महंगी मुद्रा नीति कहते है | जबकि मुद्रा अवस्फीति के समय मुद्रा सस्ती हो जाती है और हम मुद्रा अवस्फीति के समय सस्ती मुद्रा नीति अपनाते है |


UPSC 2013 का एक प्रश्न देखते है ——


(Q)भारतीय बाजार में ‘खुला बाजार परिचलन ‘ किसे निर्दिष्ट करता है ?
(a) अनुचित बैंकों के द्वारा RBI से ऋण लेना |
(b) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उद्योग व व्यपार के लिए ऋण देना |
(c) RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय और विक्रय |
(d) उपयुक्त में से कोई नहीं |


ans – c


अभी तक हमने दो मात्रात्मक उपकरण देखा —

  • 1. आरक्षित अनुपात (Reserved Ratio)
  • 2. खुला बाजार परिचलन (Open Market operation)

अब हम एक और मात्रात्मक उपकरण को देखते है —–


(3)नीतिगत दर (Policy Rate)——

    रेपो रेट को ही नीतिगत रेट कहते है | इसे समझने से पहले कुछ और चीजों को देखते है|
  • बैंक रेट – वह ब्याज दर जिस पर बैंक RBI से दीर्घावधि के लिए ऋण लेती हैं|
  • इस तरह के ऋण के लिए बैंकों को कुछ भी सिक्योरिटी के रूप में RBI के पास गिरवी नही रखना होता |
  • RBI बैंक रेट की मदद से RBI महंगाई को कैसे नियंत्रित करती है ??

  • यदि महंगाई बढ़ी हुई है तो RBI मुद्रा के प्रवाह को कम कर देती हैं | मुद्रा के प्रवाह को कम करने के लिए RBI बैंक रेट को बढ़ा देती हैं ताकि बैंकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाए और वो कम ऋण ले सके |
  • परिणामस्वरूप बैंको के पास ब्याज पर देने के लिए कम पैसे बचेंगे और आगे की राम कहानी हम जानते हैं कि कैसे महंगाई कम हो जाएगी |

इससे 2015 में upsc ने एक सवाल पूछ लिया ——
(Q)भारतीय अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में निम्न पर विचार कीजिए —-

    1. बैंक दर
    2.खुली बाजार करवाई (OMO)
    3. लोक ऋण
    4. लोक राजस्व

    उपयुक्त में से कौन सा मौद्रिक नीति के घटक हैं ?
    (a) केवल 1 (b) 2,3,4


    (c)1 और 2 (d)1,3,4

अभी तक हमने जो सीखा उससे हमें पता हैं कि मौद्रिक नीति के घटक बैंक दर और (OMO) हैं , इसीलिए 1 व 2 सही हैं और 1 व 2 सिर्फ विकल्प c में हैं |इसीलिए सही उत्तर c होगा |


2013 के एक और प्रश्न को देखते हैं —-


(Q) बैंक दर में व्रिद्धि सामान्यतः इस बात का संकेत हैं कि —

    (a) ब्याज कि बाजार दर के गिरने की संभावना हैं |
    (b) केंद्रीय बैंक अब वाणिज्यिक बैंकों को कर नही दे रही हैं |
    (c) केंद्रीय बैंक सस्ती मुद्रा नीति का अनुसरण कर रही हैं |
    (d)केंद्रीय बैंक महंगी मुद्रा नीति का अनुसरण कर रही हैं |

ans –(d)


हमने अभी तक सीखा हैं कि बैंक दर का उपयोग RBI मौद्रिक नीति के उपकरण के रूम में करती हैं | बैंक दर बढ़ाने का मतलब हैं महंगाई को नियंत्रित करना ,जिसके लिए RBI महंगी मुद्रा नीति का अनुसरण करती हैं ,और मुद्रा के प्रवाह को कम कर देती हैं |


आइये अब बैंक दर के बारे में कुछ और जानते हैं —

  • RBI किसी भी बैंक पर पेनाल्टी लगाने के लिए (CRR व एसएलआर मेन्टेन न होने कि स्थिति में ) बैंक रेट का इस्तेमाल करती हैं |
  • पहली बार पेनाल्टी —– बैंक रेट + 3% होता हैं |
  • दूसरी बार पकडे जाने पर —-बैंक रेट + 5%|

आगे बढ़ते हैं —


तरलता समायोजन सुविधा (LIQUIDITY ADJUSTMENT FACILITIES , LAF)

  • 2000 में RBI के द्वारा इसकी शुरुआत की गई |
  • इसके अन्तर्गत आता हैं — रेपो रेट ,रिवर्स रेपो रेट , MSF |

रेपो रेट —

    वह ब्याज दर जिसपर RBI अपने ग्राहकों को लघु अवधि के लिए ऋण उपलब्ध कराती हैं , उसे रेपो रेट कहते हैं |
    तो प्रश्न उठता हैं कि RBI के ग्राहक कौन हैं ?

    RBI के ग्राहक ——

  • केंद्र सरकार
  • राज्य सरकार
  • सभी बैंक
  • NBFI (NON BANKING FINANCIAL INSTITUTION)NBFI के अन्तर्गत आते है -AIFI , NBFC,PRIMARY DAELER
  • (NBFI के बारे में हम अलग से पढ़ेंगे , अभी सिर्फ इतना जानते हैं कि ये सभी RBI के ग्राहक हैं )

    आइये अब रेपो रेट को समझते है—-
  • बैंक X को RBI से 100 करोड़ रुपए का ऋण चाहिए(लघु अवधि के लिए )
  • बैंक X , RBI के पास जाती है और 100 करोड़ की सरकारी प्रतिभूतियां RBI को देकर 100करोड़ रुपए ले कर आ जाती है |
  • लेकिन इस लेन देन में शर्त यह है कि बैंक X को अपनी वही प्रतिभूतियां RBI से 14 दिन के अंदर 106 करोड़ रुपए देकर वापस ले लेना होगा (हम मान लेते है कि अभी रेपो रेट 6 % है )
  • एक और शर्त यह है कि सरकारी प्रतिभूतियां बैंक X के SLR कोटे का नही होना चाहिए |

सीमांत गतिरोध सुविधा (MARGINAL STANDING FACILITIES , MSF)

  • सीमांत गतिरोध सुविधा के अन्तर्गत कोई वाणिज्यिक बैंक अपनी तरलता कि आवश्यकताओं के लिए RBI से लघु अवधि के लिए ऋण लेती है |
  • इस ऋण को लेने के लिए बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों को RBI के पास रखना होता हैं |
  • यहाँ पर बैंक अपने SLR कोटा के सरकारी प्रतिभूतियों को भी RBI के पास रख सकती हैं |
  • MSF हमेशा रेपो रेट से ज्यादा होता हैं |




IAS 2014 का एक प्रश्न देखते हैं


(Q)’सीमांत स्थायी सुविधा दर ‘(MSF) तथा ‘ निवल मांग और सावधि देयताएं ‘(NDTL) पदबंध कभी – कभी समाचार में आते रहते हैं | इनका प्रयोग किसके सम्बन्ध में किआ जाता है ?

    (a) बैंक कार्य
    (b) संचार नेटवर्किंग
    (c)युद्ध कौशल
    (d) कृषि उत्पादों की पूर्ति एवम मांग

ANS (a)


सीसैट आने के बाद से ECONOMICS के प्रश्न बहुत आसान आ रहे है | बस हमें इसे एक बार समझ लेने कि ज़रुरत हैं |


रिवर्स रेपो रेट —-

  • वह ब्याज दर जिसपर RBI अपने ग्राहकों से ऋण लेती हैं|
  • यह रेपो रेट से हमेशा कम होता हैं |

रेपो रेट व MSF में बहुत सारी समानताओं के वाबजूद कुछ अंतर भी हैं ——-

रेपो रेटMSF
-> RBI के सभी ग्राहक ऋण ले सकते हैकेवल वाणिज्यिक बैंक ऋण ले सकते हैं
-> न्यूनतम -5 करोड़न्यूनतम -1 करोड़
-> एसएलआर की प्रतिभूतिया गिरवी नही रख सकते हैएसएलआर की प्रतिभूतिया गिरवी रख सकते है
->ऋण लेने की अधिकतम कोई सीमा नही हैअधिकतम बैंक के NDTL का 0.75% ऋण ले सकते है
->RBI रेपो रेट का निर्धारण करती हैMSF = रेपो रेट +1 %


=>> मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिए RBI रेपो रेट को बढ़ देती हैं |


परिणाम -> बैंकों के लिए RBI से लघु अवधि के लिए ऋण लेना महंगा हो जाएगा |और बैंक अपना ब्याज दर बढ़ा देंगे (अपने लाभ को सुनिश्चित करने के लिए ) जिसके कारण व्यवसायी कम ऋण लेंगे और नए व्यवसाय की शुरुआत नही होगी | नौकरी में कमी आएगी , आय में कमीआएगी|अंततः मांग में कमी आएगी|


->मांग में कमी के परिणामस्वरूप , बाजार खुद ही अपनी कीमतों को घटा देंगी |व महंगाई पर नियंत्रण होने लगेगा |


->मुद्रा अवस्फीति कि स्थिति में RBI रेपो रेट को कम कर देगी |


अभी तक हमने जो पढ़ा उसे एक टेबल के सहारे समझते हैं——

मौद्रिक नीति———–महंगी मुद्रा नीतिसस्ती मुद्रा नीति

उपकरणमुद्रा स्फीतिमुद्रा अवस्फीतिआरक्षित अनुपात (reserve ratio)

CRR ,SLR

बढ़ा देंगेघटा देंगेखुला बाजार परिचलन—OPEN MARKET OPERATION (OMO)RBI प्रतिभूतियों को बेचेगीRBI प्रतिभूतियों को खरीदेगीनीतिगत दर(Policy Rate)बढ़ा देंगेघटा देंगे




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