Manav Netra Ke Karya मानव नेत्र के कार्य

मानव नेत्र के कार्य



GkExams on 27-12-2018

आँख शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसकी सहायता से हम वस्तुओं को देखते हैं। आँख एक कैमरे की भाँति कार्य करती है। आँख बाहर से एक कठोर व अपारदशीं श्वेत झिल्ली से ढकी रहती है, जिसे दृढ़ पटल (sclerotic) कहते हैं। दृढ़ पटल के सामने वाला भाग कुछ उभरा हुआ रहता है, जिसे कॉर्निया (Cornea) कहते हैं। नेत्रदोन में इसे ही दान किया जाता है। आँख में प्रकाश कार्निया से होकर ही प्रवेश करता है। कॉर्निया के पीछे एक रंगीन अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है, जिसे परितारिका या आइरिस (Iris) कहते हैं।

आइरिस के बीच में एक छेद होता है, जिसे ऑख की पुतली (Pupil) अथवा नेत्र तारा कहते हैं। आइरिस का कार्य ऑख में जाने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करना होता है। अधिक प्रकाश में यह स्वतः सिकुड़कर छोटा हो जाता है तथा अंधेरे या कम प्रकाश में स्वतः फैल जाता है। पुतली के पीछे नेत्र लेंस (Eye Lens) होता है। इस लेंस के पिछले भाग की वक्रता त्रिज्याएँ छोटी तथा अगले भाग की बड़ी होती है। यह कई परतों का बना होता है, जिसके अपवर्तनांक बाहर से अन्दर की ओर बढ़ते जाते हैं तथा माध्य अपवर्तनांक लगभग 1.44 होता है।


लेंस अपने स्थान पर मांसपेशियों के बीच टिका रहता है तथा उसमें अपनी फोकस दूरी को बदलने की क्षमता होती है। कॉर्निया और ऑख के लेंस के बीच में एक नमकीन पारदर्शी द्रव भरा रहता है, जिसे नेत्रोद या जलीय द्रव (Aqueous Humour) कहते हैं। इसका अपवर्तनांक 1.336 होता है। ऑख के लेंस के पीछे एक अन्य पारदर्शी द्रव होता है, जिसे काचाभ द्रव (vitreous Humour) कहते हैं। इसका अपवर्तनांक भी 1.336 होता है।


दृढ़ पटल के नीचे काले रंग की एक झिल्ली होती है, जिससे रक्तक पटल (Choroid) कहते हैं। यह प्रकाश को शोषित करके प्रकाश के आन्तरिक परावर्तन को रोकती है। इस झिल्ली के नीचे आँख के सबसे भीतर एक पारदर्शी झिल्ली होती है, जिसे दृष्टि पटल या रेटिना (Retina) कहते हैं। यह दृष्टि शिराओं या तंत्रिकाओं (optie Nerves) की एक फिल्म होती है। ये शिराएँ वस्तुओं के प्रतिबिम्बों के रूप, रंग और आकार का ज्ञान मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं। किसी वस्तु से चलने वाली प्रकाश किरणे कॉर्निया तथा नेत्रोद से गुजरने के बाद लेंस पर आपतित होती है तथा इससे अपवर्तित होकर काचाभ द्रव से होती हुई रेटिना पर पड़ती हैं। रेटिना पर वस्तु का प्रतिबिम्ब उल्टा एवं वास्तविक बनता है।


प्रतिबिम्ब बनने का संदेश दृष्टि तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचता है और वहाँ उसे वस्तु की शक्ल के रूप में समझा जाता है। समझने की यह क्रिया वस्तु की उस छाया को उलट देती है जो रेटिना पर उल्टे रूप में पड़ती है, और इस तरह हमें वस्तु उलटी नहीं बल्कि सीधी दिखाई देती है। इस प्रकार, स्पष्ट है कि रेटिना पर बने उल्टे प्रतिबिम्ब को सीधा करने का काम मस्तिष्क दृष्टि तंत्रिका के माध्यम से करता है।


जिस स्थान पर दृष्टि शिरा रेटिना को छेदकर मस्तिष्क में जाती है, उस स्थान पर प्रकाश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस स्थान को अन्ध बिन्दु (Blind spot) कहते हैं। रेटिना के बीचों-बीच एक पीला भाग होता है, जहाँ पर बना हुआ प्रतिबिम्ब सबसे अधिक स्पष्ट दिखाई देता है। इसे पीत-बिन्दु (Yellow spot) कहते हैं।


आँख की संसजन क्षमता Power of Accommodation of Eye


किसी वास्तु को स्पष्ट देखने के लिए यह आवश्यक है कि उससे चलने वाली प्रकाश किरणें रेटिना पर ही केन्द्रित हों। यदि किरणे रेटिना के आगे या पीछे केन्द्रित होगी तो वह वस्तु हमें दिखाई नहीं देगी। सामान्य अवस्था में दूर की वस्तुओं से चलने वाली किरणे स्वतः ही रेटिना पर ही केन्द्रित होती हैं, जिससे आँख की मांसपेशियों पर कोई तनाव नहीं पड़ता एवं वस्तु हमें दिखायी देने लगती है। यह आँख की सामान्य स्थिति होती है। इस स्थिति में आँख के लेंस की फोकस दूरी सबसे अधिक होती है। जब आँख किसी समीप की वस्तु को देखता है, तो मांसपेशियाँ सिकुड़कर लेंस के तलों की वक्रता-त्रिज्याओं को छोटी कर देती हैं। इससे आंख के लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है। और वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब पुनः रेटिना पर बन जाता है। आंख की इस प्रकार फोकस दूरी को कम करने की क्षमता को समंजन क्षमता कहते हैं।


ज्यों-ज्यों हम अधिक पास की वस्तुओं को देखते हैं, त्यों-त्यों समंजन क्षमता अधिक लगानी पडती है। परन्तु समंजन क्षमता लगाने की भी एक सीमा होती है। यदि वस्तु को आँख के बहुत निकट लाया जाए तो वह स्पष्ट दिखाई नहीं देगी। वह निकटतम बिन्दु जिसे आँख अपनी अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकता है, आँख का निकट-बिन्दु (Near Point) कहलाता है। आंख से निकट-बिन्दु की दूरी स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (Least Distance of Distinct vision) कहलाती है। सामान्य नेत्र (normal eye) के लिए यह दूरी 25cm होती है। इसके विपरीत, वह दूरतम बिन्दु जिसे ऑख बिना समंजन क्षमता लगाए स्पष्ट देख सकता है, नेत्र का दूर-बिन्दु (Far Point) कहलाता है। सामान्य ऑख के लिए दूर बिन्दु अनन्त (infinity) पर होता है।


रंग दृष्टि Colour Vision


रेटिना में दो प्रकार की प्रकाश संवेदनशील कोशिकाएँ होती हैं- शंकु (cones) तथा छड़ (rods)


शंकु के आकार की कोशिकाएँ रंगों के अनुरूप प्रतिक्रिया करती हैं और इन्हीं से हमें रंग का आभास होता है। छड़ के आकार की कोशिकाएँ प्रकाश की तीव्रता के अनुरूप प्रतिक्रिया करती है। ये धुंधले प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, इसलिए अंधेरे में भी हम किसी वस्तु का अनुमान लगा पाते हैं।


जब प्रकाश अधिक चमकीला हो। जाता है, तो छड़ कार्य करना कम कर देते हैं और शंकु संवेदनशील हो जाते हैं। एक सामान्य व्यक्ति के रेटिना में तीन प्रकार की शंकु कोशिकाएँ होती हैं। पहले प्रकार की कोशिकाएँ छोटे तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश जैसे- नीले वर्ण के प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, दूसरे प्रकार की कोशिकाएँ मध्यम तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं- जैसे हरे रंग के प्रकाश के प्रति और तीसरे प्रकार की शंकु कोशिकाएँ बड़े तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जैसे-लाल रंग के लिए।


वर्ण अनुकूलन Chromatic Adaptation


यदि किसी चमकीले रंगीन कागज को आधा ढक दिया जाये और खुले आधे भाग को लगातार 30 सेकण्ड तक देखने के बाद ढंके हुए आधे भाग को हटाकर देखा जाए, तो पहले वाला भाग बाद वाले भाग की तुलना में कम चमकीला दिखाई देगा। इस घटना को ही वर्ण अनुकूलन कहते हैं।


अनुक्रमिक वैषम्य Successive Contrast


यदि हम 30 सेकण्ड तक किसी रंगीन प्रतिबिम्ब की ओर देखें और फिर किसी उजली सतह पर देखें तो इसमें एक अनुप्रतिबिम्ब (after image) बनता है, जिसका आकार वास्तविक प्रतिबिम्ब के बराबर होता है, लेकिन इसका रंग भिन्न होता है। यदि वास्तविक प्रतिबिम्ब लाल था, तो अनुप्रतिबिम्ब हरा होगा और यदि वास्तविक प्रतिबिम्ब हरा था तो अनुप्रतिबिम्ब लाल होगा। नीला क्षेत्र पीला तथा पीला क्षेत्र नीला हो जाता है। उजले और काले भी परस्पर उल्टे हो जाते है। इस प्रकार की वर्ण दृष्टि को तकनीकी रूप से आनुक्रमिक वैषम्य कहा जाता है।


वर्ण अधिष्ठापन या समकालिक वैषम्य Chromatic Induction or Simultaneous Contrast


किसी वर्ण की दृष्टि उसके चारों ओर के रंग पर निर्भर करती है। यदि हम एक ही रंग को विभिन्न पृष्ठीय रंगों के ऊपर रखकर देखें, तो वह प्रत्येक बार भिन्न-भिन्न दिखेगा। यदि किसी रंग को किसी गहरे रंग की पृष्ठभूमि वाले तल पर रखकर देखा जाता है, तो वह हल्का दिखाई देता है, जबकि उसी रंग को किसी हल्के रंग के पृष्ठभूमि वाले तल पर रखकर देखने से वह गहरे रंग का दिखाई देता है। रंगों के दिखाई देने में इस आपेक्षित अंतर को वर्ण अधिष्ठापन (Chromatic Induction) या समकालिक वैषम्य (Simultaneous Contrast) कहते हैं।


प्रेतवर्ण Phantom Colour


कभी-कभी हम उन क्षेत्रों में रंगों को देख सकते हैं, जहाँ केवल उजले और काले क्षेत्र होते हैं। ऐसे रंगों को प्रेतवर्ण कहा जाता है। इन्हें किसी श्वेत-श्याम टी0 वी0 (T.V.) पर भी कभी-कभी तस्वीरों की द्रुत गति के कारण देखा जा सकता है।


दृष्टिदोष Defects of Vision


एक सामान्य व्यक्ति में स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी होती है। वह 25 सेमी से लेकर अनन्त पर स्थित वस्तु को अपनी रेटिना पर फोकस कर सकता है। लेकिन उम्र बढ़ने या अन्य कारणों से ऑख की यह क्षमता कम या, समाप्त हो जाती है। इसका कारण आँख के लेंस में उत्पन्न गड़बड़ी होती है, इससे कई प्रकार के दृष्टि-दोष उत्पन्न होते हैं।


दृष्टिदोष के प्रकार


1. निकट दृष्टि दोष Myopia or, Shortsightedness


इस रोग से ग्रसित व्यक्ति पास की वस्तु को देख लेता है, परन्तु दूर स्थित वस्तु को नहीं देख पाता है।


कारण:


(i) लेंस की गोलाई बढ़ जाती है।


(ii) लेंस की फोकस दूरी घट जाती है।


(iii) लेंस की क्षमता बढ़ जाती है।


इस कारण वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के आगे बन जाता है।


रोग का निवारण निकट दृष्टि दोष के निवारण के लिए उपयुक्त फोकस दूरी के अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है।


2. दूर दृष्टि दोष Hypermetropia or, Long Sightedness


इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को दूर की वस्तु दिखलाई पड़ती है, निकट की वस्तु दिखलाई नहीं पड़ती है।


कारण:


(i) लेंस की गोलाई कम हो जाती है।


(ii) लेंस की फोकस दूरी बढ़ जाती है।


(iii) लेंस की क्षमता घट जाती है।


इस रोग में निकट की वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है।


रोग का निवारण: इस दोष के निवारण के लिए उपयुक्त फोकस दूरी के उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।


3. जरा दृष्टि दोष Presbyopia


वृद्धावस्था के कारण ऑख की समंजन क्षमता घट जाती है या समाप्त हो जाती है, जिसके कारण व्यक्ति न तो दूर की वस्तु और न निकट की ही वस्तु देख पाता है।


रोग का निवारण - इस रोग के निवारण के लिए द्विफोकसी लेंस (Bifocal Lens) का उपयोग किया जाता है।


4. दृष्टि वैषम्य या अबिन्दुकता Astigmatism


यह दोष नेत्र लेंस के क्षैतिज (horizontal) या उर्ध्वाधर (vertical) वक्रता में अंतर आ जाने के कारण उत्पन्न होता है। इसमें नेत्र क्षैतिज दिशा में तो ठीक देख पाता है, परन्तु उर्ध्व दिशा में नहीं देख पाता है; या फिर नेत्र उर्ध्व दिशा में तो ठीक देख पाता है, परन्तु क्षैतिज दिशा में नहीं देख पाता है। इसके निवारण हेतु बेलनाकार लेंस (Cylindrical Lens) का प्रयोग किया जाता है।


5. वर्णांधता Colour Blindness


कुछ व्यक्तियों की आंखों में सभी रंगों को देखने की क्षमता नहीं होती। इसे वर्णाधता कहते हैं। वर्णांधता कई प्रकार और स्तर की होती है। यह रेटिना की शंक्वाकार कोशिकाओं के विभिन्न दोषों पर निर्भर करता है। वर्णांधता आनुवांशिक बीमारी होती है, इसका इलाज नहीं किया जा सकता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को हरे एवं लाल रंग की पहचान नहीं होती है।


दृष्टि निर्बंध Persistence of Vision


किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर 1/10 सेकण्ड तक रहता है। अतः यदि वस्तु को आँख के सामने से हटा दिया जाए तो वस्तु 1/10 सेकण्ड तक दिखाई देती रहेगी। दृष्टि का यह विशेष गुण दृष्टि निर्ब कहलाता है। चलचित्र इसी सिद्धांत पर बनाया जाता है। दृष्टि निर्बध के कारण ही उल्काएँ आकाश में लम्बी रेखा जैसा मालूम पड़ते है। तेजी से चलते हुए बिजली के पंखे भी इसी कारण अस्पष्ट दिखाई पड़ते हैं।





Comments Anjli on 28-12-2023

Manav Netra mein paritarika mein kya Karya likhiye

Rohit Kumar on 09-11-2023

मानव नेत्र के कार्य क्या है

Jiductiyfutyuf on 26-06-2023

Manav Netra Mein cornia ka kya Karya hai


Manoneet ka karya on 19-10-2022

Manoneet ka karya

Abhishek Verma on 23-04-2022

Manav netra ka kary

Deep kushwaha on 21-06-2021

मानव नेत्र का सचित्र वर्णन कीजिये

Suhani on 07-04-2021

Very good


Saneha on 05-01-2021

Eyes ka kam



Sandeep on 30-05-2020

Human eye kese karey karta hai



नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment