Samrat Ashok Ki Jati सम्राट अशोक की जाति

सम्राट अशोक की जाति



GkExams on 15-01-2019

यह अपने यहां ही हो सकता है कि ऐतिहासिक पात्रों की भी जाति ढूंढ निकाली जाए, जैसा कि सम्राट अशोक के साथ हो रहा है। जबकि वह महान सम्राट कई मायनों में अनोखा था। सिकंदर ने दुनिया में खूब तबाही मचाई। पर पश्चिमी इतिहासकारों के अनुसार, उसने वैश्विक एकता स्थापित की और असभ्य पूर्वी देशों को सभ्य बनाया। चंगेज खां को हम भले क्रूरता की बड़ी मिसाल मानते हों, पर मंगोलिया के लोग उन्हें राष्ट्र निर्माता कहते हैं। इसी तरह पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए उजबेकिस्तान ने भारत में लूट मचाने वाले तैमूर लंग को राष्ट्रपिता घोषित किया। इन सबके विपरीत अशोक सहिष्णुता, सांप्रदायिक सद्भाव, शांति और अहिंसा की नीतियों को अपनाने के कारण जाने गए। एक बड़े युद्ध के बाद उन्हें युद्ध से ही विरक्ति हो गई।

प्रजा को अशोक संतान की तरह मानते थे। उन्होंने संप्रदायों के बीच संवाद को प्रोत्साहित किया। संवादों का मकसद था कि सभी संप्रदायों के सार तत्व को समझा जाए। अपने अभिलेखों में उन्होंने माता पिता और गुरु की भूमिका पर जोर दिया। अशोक मानते थे कि राजा का कर्तव्य केवल नागरिकों की रक्षा करना तथा अपराधियों को दंड देना नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों और वृक्षों की सुरक्षा का भी ध्यान करना है। पशुओं के लिए भी उन्होंने अस्पताल खोले। उन्होंने शिकार यात्राओं के साथ-साथ धर्म के नाम पर पशुबलि भी बंद करवाई थी। मनुष्यों और पशुओं को छाया मिले तथा पर्यावरण का संरक्षण हो, इसके लिए अशोक ने सड़कों के किनारे पेड़ लगवाए, आम के बाग लगवाए तथा आठ-आठ कोस की दूरी पर कुएं खुदवाए और सराएं बनवाईं।

अशोक की तुलना गांधी से की जा सकती है। दोनों ने शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए लोगों को संगठित किया। अशोक एकमात्र उदाहरण है, जिसने राज्य को एक नैतिक और आध्यात्मिक राज्य बनाने का प्रयास सत्ता में रहकर किया। लार्ड एक्टन का यह कथन अशोक पर लागू नहीं होता कि सत्ता सत्ताधारियों को भ्रष्ट कर देती है।

ब्रिटिश संग्रहालय, लंदन में टेराकोटा की बनी एक बेलनाकार प्राचीन कृति पर उत्कीर्ण अभिलेख को देखने के लिए दर्शकों का तांता लगा रहता है। यह अभिलेख ईरान के सम्राट साइरस महान का माना जाता है। इसमें ईरानी सम्राट ने अपने नागरिकों के बीच समानता और उनकी धार्मिक सुरक्षा के लिए किए अपने कार्यों का बखान किया है। यूनेस्को ने इसे मानवाधिकार का प्रथम चार्टर घोषित किया है। साइरस का तो केवल एक अभिलेख है, जबकि शांति और भाईचारे का संदेश देने वाले अशोक के अभिलेख आज भारत और अफगानिस्तान में 48 स्थानों पर हैं। अशोक के संदेशों की जरूरत भी आज कहीं अधिक है। जरूरी है कि यूनेस्को अशोक के संदेशों को अंतरराष्ट्रीय विरासत माने। पर जब तक हम खुद अपनी इस विरासत के प्रति जागरूक नहीं होंगे, सब कुछ व्यर्थ होगा। धार्मिक सद्भाव का संदेश देता अशोक का एक अभिलेख दक्षिणी दिल्ली में ईस्ट ऑफ कैलाश में भी है। पर वहां कोई भूला-भटका ही पहुंचता है।

दुखद है कि बिहार चुनाव के समय अशोक महान को एक खास जाति से जोड़ा जा रहा है, जबकि उनकी जाति का कोई साक्ष्य नहीं है। यदि जाति ज्ञात हो, तो भी क्या उनकी महानता को वोट के लिए जाति के पिंजड़े में कैद करना उचित होगा?




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Comments Jitendra sen on 03-12-2021

Samrat ashok kis jati ke the





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