Delhi Abhi Door Hai Kisne Kahaa Tha दिल्ली अभी दूर है किसने कहा था

दिल्ली अभी दूर है किसने कहा था



Pradeep Chawla on 12-05-2019

दिल्ली से जुडी एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है “दिल्ली अभी दूर है” जिसका अर्थ होता है “मंज़िल अभी दूर है”। जैसे की हर कहावत, लोकोक्ति या मुहावरे के पीछे कोई न कोई कहानी होती है, वैसे ही “दिल्ली अभी दूर है” के पीछे भी एक कहानी है जो की प्रसिद्ध सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया, उनके शागिर्द अमीर खुसरो और दिल्ली के तत्कालीन शासक गयासुद्दीन तुगलक से सम्बंधित है। आज इस लेख में हम आपको यह कहानी बताएँगे तथा साथ ही बताएँगे की आखिर दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे पड़ा।



Dilli Abhi Dur Hai Story History in Hindi



जब औलिया ने कहा- ‘हनूज दिल्ली दूरअस्त’ और बन गई कहावत



1320 ईसवीं के आसपास दिल्ली में गयासुद्दीन तुगलक की सल्तनत चलती थी। लेकिन उस वक्त दिल्ली तुगलकों से ज्यादा सूफी हजरत निजामुद्दीन औलिया और उनके शागिर्द अमीर खुसरो के नाम से जानी जाती थी। तब खुसरो तुगलक के दरबारी थे। तुगलक खुसरो को तो चाहता था मगर औलिया से चिढ़ता था। उसे लगता था कि औलिया के इर्दगिर्द बैठे लोग उसके खिलाफ साजिशें रचते हैं।



एक बार तुगलक कहीं से लौट रहा था। बीच रास्ते से ही उसने सूफी हजरत निजामुद्दीन तक संदेश भिजवा दिया कि उसकी वापसी से पहले औलिया दिल्ली छोड़ दें। खुसरो को इस बात से तकलीफ हुई। वे औलिया के पास पहुंचे। तब औलिया ने उनसे कहा कि हनूज दिल्ली दूरस्त। यानी दिल्ली अभी दूर है। तुगलक के लिए दिल्ली दूर ही रह गई। रास्ते में उसके पड़ाव और स्वागत के लिए लकड़ी के पुल पर शाही खेमा बनवाया गया था। लेकिन रात को ही भयंकर अंधड़ से वह टूट कर गिर गया और तुगलक की वहीं दबकर मौत हो गई।

Dilli Abhi Dur Hai Story History in Hindi



दिल्ली स्थित हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह।



किल्ली तो ढिल्ली भई… और नाम पड़ गया दिल्ली



ईसा पूर्व 50 में मौर्य राजा थे जिनका नाम था धिल्लु। उन्हें दिलु भी कहा जाता था। माना जाता है कि यहीं से अपभ्रंश होकर नाम दिल्ली पड़ गया। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि तोमरवंश के एक राजा धव ने इलाके का नाम ढीली रख दिया था क्योंकि किले के अंदर लोहे का खंभा ढीला था और उसे बदला गया था। यह ढीली शब्द बाद में दिल्ली हो गया। एक और तर्क यह है कि तोमरवंश के दौरान जो सिक्के बनाए जाते थे उन्हें देहलीवाल कहा करते थे। इसी से दिल्ली नाम पड़ा। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इस शहर को हजार-डेढ़ हजार वर्ष पहले हिंदुस्तान की दहलीज़ माना था। दहलीज़ का अपभ्रंश दिल्ली हो गया।



हालांकि दावे मौर्य राजा दिलु को लेकर ही होते हैं। उनसे जुड़ी एक कहानी है। माना जाता है कि उनके सिंहासन के ठीक आगे एक कील ठोकी गई। कहा गया कि यह कील पाताल तक पहुंच गई है। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की कि जब तक यह कील है, तब तक साम्राज्य कायम रहेगा। कील काफी छोटी थी इसलिए राजा को शक हुआ। उन्होंने कील उखड़वा ली। बाद में यह दोबारा गाड़ी गई, लेकिन फिर वह मजबूती से नहीं धंसी और ढीली रह गई। तब से कहावत बनी कि किल्ली तो ढिल्ली भई। कहावत मशहूर होती गई और किल्ली, ढिल्ली और दिलु मिलाकर दिल्ली बन गया।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Ram on 18-01-2024

Chandel bans ki sthapna kisne ki

Delhi abhi dur h Ye Nara kisne diya on 24-10-2023

Hii

Parveen kumar on 28-09-2023

एक व्यक्ति अपने मित्र को चांटा मारता है। तो व पाता है कि उसके मित्र का गाल विस्थापित हो गया है। इसका मतलब व्यक्ति कार्य करता है । (कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं) w = E मित्र के गाल पर किया गया कार्य व्यक्ति द्वारा लगाया गया उर्जा के बराबर होगा। ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, उर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है ना तो इसे बनाया जा सकता है ना तो इसका विनाश किया जा सकता है। रूपांतरण के पहले व रूपांतरण के पश्चात कुल ऊर्जा सदैव निश्चित रहती है। अतः व्यक्ति जितनी उर्जा अपने मित्र को देगा मित्र का गाल उतना ही कार्य करेगा। न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया के बराबर प्रक्रिया होती है। व्यक्ति द्वारा मित्र के गाल पर कार्य करके व्यर्थ किया गया ऊर्जा मित्र के गाल द्वारा भी कार्य करके उतनी ही ऊर्जा व्यक्ति के हाथ पर निरूपित कर देगा। अतः मित्र के गाल पर ऊर्जा की मात्रा शून्य होगा। तो मित्र का गाल विस्थापित क्यों हुआ ? जबकि कुछ भी बिना उर्जा लगाए विस्थापित नहीं हो सकता।
Same qu.....


Rahebar khan on 20-03-2023

Sadi lab hongi

Golu on 13-05-2022

Bharat ka India naam sabse pahle kisne prayog kiya tha

Busra on 03-10-2021

Dilli abhi dur hai kisne kaha tha

Dilli due nahi kisane kaha tga on 09-09-2021

Dilli dur nahi Kiska Nara hai


Vinod ramdas gunjal on 24-05-2021

Janab Delhi bahut dur he kesane kaha tha



Shailesh on 07-03-2020

एक व्यक्ति अपने मित्र को चांटा मारता है। तो व पाता है कि उसके मित्र का गाल विस्थापित हो गया है। इसका मतलब व्यक्ति कार्य करता है । (कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं) w = E मित्र के गाल पर किया गया कार्य व्यक्ति द्वारा लगाया गया उर्जा के बराबर होगा। ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, उर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है ना तो इसे बनाया जा सकता है ना तो इसका विनाश किया जा सकता है। रूपांतरण के पहले व रूपांतरण के पश्चात कुल ऊर्जा सदैव निश्चित रहती है। अतः व्यक्ति जितनी उर्जा अपने मित्र को देगा मित्र का गाल उतना ही कार्य करेगा। न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया के बराबर प्रक्रिया होती है। व्यक्ति द्वारा मित्र के गाल पर कार्य करके व्यर्थ किया गया ऊर्जा मित्र के गाल द्वारा भी कार्य करके उतनी ही ऊर्जा व्यक्ति के हाथ पर निरूपित कर देगा। अतः मित्र के गाल पर ऊर्जा की मात्रा शून्य होगा। तो मित्र का गाल विस्थापित क्यों हुआ ? जबकि कुछ भी बिना उर्जा लगाए विस्थापित नहीं हो सकता।


Riya chauhan on 08-09-2020

Dehli abhi dur h kiska nara h

THAKUR SACHIN TOMAR on 26-02-2021

DELHI ABHI DOOR HI KISKI BOOK HI .....



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