योजना आयोग 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012 से 2017) की तैयारी में जुटा है और अब तक मिले संकेतों से यही लगता है कि अप्रैल 2012 से शुरू होने वाली इस नई पंचवर्षीय योजना के लिए आयोग आर्थिक वृद्धि और ढाँचागत विकास के महत्वकांक्षी लक्ष्य तय करेगा।
वर्ष 2008 में शुरू हुए वैश्विक आर्थिक संकट की वजह से चालू पंचवर्षीय योजना के लक्ष्यों को काफी नीचे लाना पड़ा। योजना की मध्यकालिक समीक्षा में इस बारे में स्पष्ट तौर पर कहा गया है। आयोग ने आगे बढ़ते हुए अब 12वीं योजना की तैयारियाँ शुरू कर दी है और माना जा रहा है कि आयोग इसके लिए 10 प्रतिशत सलाना वृद्धि का लक्ष्य तय कर सकता है। चालू पंचवर्षीय योजना में यह 8.1 प्रतिशत रखा गया।
आयोग ने 12वीं योजना के लिए दृष्टिपत्र तैयार करने की प्रक्रिया इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ही शुरू कर दी थी और संभावना है कि यह मार्च 2011 तक तैयार हो जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसके आधार पर ही विस्तृत पंचवर्षीय योजना तैयार की जाती है। 12वीं पंचवर्षीय योजना एक अप्रैल 2012 से शुरू होगी।
आयोग ने एक वेबसाइट भी शुरू की है जिस पर जाकर कोई भी व्यक्ति लोगों द्वारा दिए गए विचार और टिप्पणी को देख सकता है। अगली पंचवर्षीय योजना हेतु कार्य शुरू करने से पहले आयोग ने मार्च में 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007 से 2012) की मध्यवाधि समीक्षा (एमटीए) पेश की थी।
आयोग ने समीक्षा में वैश्विक वित्तीय संकट का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव की चर्चा की थी। उसमें सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की सालाना औसत वृद्धि को 9 प्रतिशत से कम करके 8.1 प्रतिशत कर दिया गया। राष्ट्रीय विकास परिषद ने समीक्षा पर विचार कर मंजूरी भी दे दी। परिषद देश की नीति बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं।
आयोग ने समीक्षा में कहा कि योजना अवधि में वृद्धि दर 8 प्रतिशत से थोड़ी अधिक (8.1 प्रतिशत) रहेगी। यह मूल योजना 9 प्रतिशत से कम होगी। लेकिन यह 10वीं पंचवर्षीय योजना के 7.8 प्रतिशत से अधिक रहेगी।
आयोग ने 11वीं पंचवर्षीय योजना में 9 प्रतिशत औसत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य रखा था। पहले वर्ष इसे 8.5 प्रतिशत और अंतिम वर्ष में 10 प्रतिशत तक पहुँचाने की बात कही गई थी। लेकिन वैश्विक मंदी के कारण वृद्धि दर 2008-09 में गिरकर 6.7 प्रतिशत रह गयी, जो उससे पूर्व के तीन वर्ष में नौ प्रतिशत से अधिक थी।
समीक्षा में वित्तीय वर्ष (2009-10) के दौरान कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के बावजूद 7.2 प्रतिशत वृद्धि हासिल होने की बात कही गई। इस वर्ष कृषि क्षेत्र की विकास दर 0.2 प्रतिशत रहने का इसमें उल्लेख किया गया था, लेकिन सरकार द्वारा मई में जारी किए गए आँकड़ों से स्पष्ट हुआ कि 2009- 10 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही।
इससे पूर्व वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी अपने बजट भाषण में कहा था कि ‘हमारे सामने पहली चुनौती पुन: 9 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर वापस लौटना और फिर दहाई अंक वृद्धि को हासिल करने के लिए साधन खोजना है।’ इसके अलावा आयोग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में अधारभूत संरचना पर विशेष ध्यान देने को कहा। आयोग कई बार कह चुका है कि दहाई अंक वृद्धि अधारभूत संरचना को दोगुने करने पर ही हासिल की जा सकती है।
आयोग से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी 12वीं पंचवर्षीय योजना में अधारभूत संरचना में निवेश को चालू योजना के 500 अरब डॉलर को दोगुना कर एक हजार अरब करने पर जोर दिया था।
वर्ष के दौरान आयोग और सरकार के बीच भी तनातनी देखी गई। आयोग द्वारा जुलाई में अधारभूत संरचना पर आयोजित सम्मेलन में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने आयोग को ‘अरामकुर्सी पर बैठकर सलाह देने वाली संस्था’ कहा था।
महँगाई के मुद्दे पर अहलूवालिया को वर्ष के दौरान छात्रों के विरोध का सामाना भी करना पडा। आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया पर कोलकाता में प्रेसिडेंसी कालेज के वामपंथी विचार धारा के कुछ छात्रों ने महँगाई के मुद्दे पर अंडे फेंके। हालाँकि अहलुवालिया इससे बच गए। अहलुवालिया ने बाद में कहा ‘वे विद्यार्थी हैं और उन्हें विरोध करने का अधिकार है।’ (भाषा)
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