Q.120041: देवनागरी लिपि का विकास हुआ है- |
देवनागरी लिपि का विकास हुआ है- - Devanagari script has developed- - Devanagari Lipi Ka Vikash Hua Hai - हिन्दी व्याकरण in hindi, भाषा एवं लिपि question answers in hindi pdf questions in hindi, Know About हिन्दी व्याकरण online test हिन्दी व्याकरण MCQS Online Coaching in hindi quiz book
लगभग ई. 350 के बाद ब्राह्मी की दो शाखाएँ लेखन शैली के अनुसार मानी गई हैं। विंध्य से उत्तर की शैली उत्तरी तथा दक्षिण की (बहुधा) दक्षिणी शैली।
(1) उत्तरी शैली के प्रथम रूप का नाम "गुप्तलिपि" है। गुप्तवंशीय राजाओं के लेखों में इसका प्रचार था। इसका काल ईसवी चौथी पाँचवीं शती है।
(2) कुटिल लिपि का विकास "गुप्तलिपि" से हुआ और छठी से नवीं शती तक इसका प्रचलन मिलता है। आकृतिगत कुटिलता के कारण यह नामकरण किया गया। इसी लिपि से नागरी का विकास नवीं शती के अंतिम चरण के आसपास माना जाता है।
राष्ट्रकूट राजा "दंतदुर्ग" के एक ताम्रपत्र के आधार पर दक्षिण में "नागरी" का प्रचलन संवत् 675 (754 ई.) में था। वहाँ इसे "नंदिनागरी" कहते थे। राजवंशों के लेखों के आधार पर दक्षिण में 16वीं शती के बाद तक इसका अस्तित्व मिलता है। देवनागरी (या नागरी) से ही "कैथी", "महाजनी", "राजस्थानी" और "गुजराती" आदि लिपियों का विकास हुआ। प्राचीन नागरी की पूर्वी शाखा से दसवीं शती के आसपास "बँगला" का आविर्भाव हुआ। 11वीं शताब्दी के बाद की "नेपाली" तथा वर्तमान "बँगला", "मैथिली", एवं "उड़िया", लिपियाँ इसी से विकसित हुई। भारतवर्ष के उत्तर पश्चिमी भागों में (जिसे सामान्यत: आज कश्मीर और पंजाब कहते हैं) ई. 8वीं शती तक "कुटिललिपि" प्रचलित थी। कालांतर में ई. 10वीं शताब्दी के आस पास "कुटिल लिपि" से ही "शारदा लिपि" का विकास हुआ। वर्तमान कश्मीरी, टाकरी (और गुरुमुखी के अनेक वर्णसंकेत) उसी लिपि के परवर्ती विकास हैं।
दक्षिणी शैली की लिपियाँ प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उस परिवर्तित रूप से निकली है जो क्षत्रप और आंध्रवंशी राजाओं के समय के लेखों में, तथा उनसे कुछ पीछे के दक्षिण की नासिक, कार्ली आदि गुफाओं के लेखों में पाया जाता है। (भारतीय प्राचीन लिपिमाला)।
इस प्रकार निम्नलिखित बातें सामने आती हैं -